वो 30 रुपए लेकर पहुंचा मुंबई, वहीदा रहमान संग हिट रही जोड़ी, 1 फिल्म के लिए तो टॉकिज के बाहर चल गई थीं गोलियां….
60-70 के दशक का वो सुपरस्टार जिसकी एक झलक पाने के लिए फैंस लंबी लाइन लगाकर इंतजार किया करते थे. साल 1943 में अपनी जेब में 30 रुपए लिए लाहौर से बंबई तक का सफर करने वाले इस अभिनेता ने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन इंडस्ट्री पर यूं राज करेंगे. उनकी फिल्मों में काम करने का एक्ट्रेसेस का सपना हुआ करता था. वहीदा रहमान संग जिनकी हिट थी जोड़ी वो एक्टर कोई और नहीं देवानंद ही थे।
फिल्मी दुनिया का सदाबहार एक्टर जो जब-जब पर्दे पर नजर आता फैंस की खुशी का ठिकाना नहीं होता था. 1946 में फिल्म ‘हम’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले वो एक्टर देवानंद थे. जिन्होंने छह दशकों तक इंडस्ट्री पर राज किया. वह एक सिनेमाई आइकॉन बने और हिंदी सिनेमा को कुछ ऐसी फिल्में दीं, जो यादगार बन गई।
यूं तो देवानंद ने अपने करियर में कई कहानियों और किरदारों के साथ काफी एक्सपेरिमेंट किया. इनमें कुछ सफल रहे कुछ नाकामयाब रहे. उन्हें सिनेमा में अपने व्यक्तित्व के अलावा फिल्म क्राफ्ट को एक नया नजरिया देने के लिए भी याद किया जाता है. अपने करियर में उन्होंने कई ऐसी फिल्मों में काम किया जो सिनेमाघरों से उतरने का नाम ही नहीं लेती थी. लेकिन उनकी एक फिल्म ऐसी भी जिसमें टॉकिज के बाहर गोलियां चल गई थीं।
देवानंद ने अपने करियर में एक्टिंग के अलावा फिल्म निर्माण और निर्देशन में भी हाथ आजमाया. उन्होंने लगभग 35 फिल्मों का निर्माण किया था, जिनमें से 18 बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थीं और 13 फिल्मों की तो कहानी भी देवानंद ने खुद ही लिखी थी. अपने करियर में उन्होंने बाजी, टैक्सी ड्राइवर, टैक्सी ड्राइवर, काला पानी, हम दोनों, गाइड और ज्वेल थीफ जैसी कई ऐसी फिल्मों में काम किया जो यादगार बन गई।
देवानंद ने अपने दौर में काफी समय तक इंडस्ट्री पर राज किया. उनका गर्दन झुकाने का गजब अंदाज, काली पैंट शर्ट और गले मफलर लेने वाला स्टाइल भी काफी फेमस हुआ था. शाहरुख खान की तरह उनकी भी फीमेल फैन फॉलोइंग काफी ज्यादा थी. लड़कियां तो उन्हें देखकर बेहोश हो जाया करती थीं. उन्हें देखकर ही उन दिनों सफेद शर्ट पर काला कोट पहनने का स्टाइल ट्रेंड करने लगा था,हालांकि बाद में उनके काले कपडे पहनने पर ही बैन लगा दिया गया था। कितनी ही लड़कियों ने उनके लिए अपनी जान तक गवां दी थीं।
हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार देवानंद की फैन फॉलोइंग इतनी ज्यादा थी कि लोग इनकी फिल्म देखने के लिए धूप में घंटों खड़े होकर टिकट लेने का इंतजार किया करते थे. इनकी फिल्म ‘जॉनी मेरा नाम’ की तो लोगों को टिकट मिलना ही मुश्किल हो गया था. अनु कपूर कपूर ने अपने शो में बताया था कि उस वक्त जमशेदपुर के एक सिनेमाघर के बाहर फिल्म के टिकट के लिए गोलियां तक चल गई थीं. जिसमें दो छात्रों की मौत हो गई थी और एक सप्ताह के लिए नटराज टॉकिज को बंद कर दिया गया था।
1965 में आई फिल्म ‘गाइड’(Guide) में देव आनंद के काम को काफी सराहा गया था. फिल्म में वहीदा रहमान और उनकी जोड़ी को भी काफी पसंद किया गया था. आर के नारायण के प्रसिद्ध उपन्यास पर आधारित फिल्म गाइड उस साल की बड़ी हिट साबित हुई थी. ये देव साहब की पहली कलर फिल्म थी. ये फिल्म वहीदा रहमान के करियर की बेस्ट फिल्म साबित हुई थी।
देवानंद का नाम उनकी को-स्टार रही सुरैया संग काफी जोड़ा गया था. उस दौर में दोनों की प्रेम कहानी के खूब चर्चे हुआ करते थे. खुद देवानंद ने भी इसे याद करते हुए बीबीसी को बताया था, ‘पहले ही दिन से हम दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे. वो बहुत बड़ी स्टार थीं. उनके पास बड़ी बड़ी गाड़ियाँ थीं। कैडलक थी, लिंकन थी और मैं पैदल जाता था।