प्रदीप सिंह
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी अपनी जनसभाओं में जातियों की संख्या के अनुपात में भागीदारी और कांग्रेस की सरकार बनने पर जाति जनगणना कराने की बात कर रहे हैं। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी लंबे समय से लोकसभा, विधानसभा और पार्टी संगठन में महिलाओं, पिछड़ों, दलितों और युवाओं की भागीदारी का सवाल उठाते रहे हैं। केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने अभी हाल ही में संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण विधेयक पेश किया था, जो सर्व सम्मति से पास हो गया। लेकिन वह आगामी दशकीय जनगणना होने के बाद लागू होगा।
कांग्रेस और भाजपा के नारों -वादों और चुनावी घोषणाओं से ऐसा लगता है कि दोनों पार्टियां महिलाओं, पिछड़ों और दलितों को उनका हक देने के लिए तैयार हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस और भाजपा ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में महिलाओं, अल्पसंख्यकों, पिछड़ों, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को उनकी जनसंख्या के अनुपात में टिकट दिया है?
दरअसल, राजस्थान और मध्य प्रदेश में कांग्रेस और भाजपा ही मुख्य पार्टियां है। दोनों राज्यों में कुछ क्षेत्रीय पार्टियां भी चुनाव लड़ रही हैं, लेकिन उनका चुनाव में उतरना बहुत मायने नहीं रखता है।
भाजपा की सूची में कांग्रेस से ज्यादा ऊंची जाति को टिकट
भाजपा की सूची में स्पष्ट रूप से उच्च जातियों की संख्या ज्यादा झुकाव है। जहां कांग्रेस के 199 उम्मीदवारों में से 44 ऊंची जाति के हैं, वहीं भाजपा ने 63 ऊंची जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
कांग्रेस ने राजस्थान में पिछड़े वर्ग को दिए 72 टिकट
राजस्थान विधानसभा की कुल 200 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस ने अपने सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के लिए भरतपुर की सीट छोड़ दी है। आरएलडी ने पिछली बार भी भरतपुर जीता था और मौजूदा विधायक सुभाष गर्ग अशोक गहलोत सरकार में मंत्री हैं। शेष 119 सीटों पर कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं। जातीय हिसाब से देखें तो कांग्रेस ने पिछड़ा वर्ग को सबसे अधिक 72, सवर्ण को 44, अनुसूचित जाति को 35, अनुसूचित जनजाति को 33 और मुसलमान को 15 टिकट दिए हैं।
कांग्रेस ओबीसी को 72 टिकट देकर भाजपा से आगे है, भाजपा अन्य पिछड़ा वर्ग के 70 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस द्वारा ओबीसी को दिए गए 72 टिकटों को जातिवार देखा जाए तो 34 टिकट जाटों को दिए गए हैं, 11 गुर्जर, यादव और बिश्नोई को 4-4; माली (कांग्रेस के निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत माली नेता हैं) और पटेल को 3-3; कुम्हार और कलाल को 2-2; और जांगिड, कुशवाहा, धाकड़, कुमावत, घांची, चारण, देवासी, रावणा राजपूत और सोंधिया राजपूत को 1-1 टिकट दिया है।
जबकि कलाल और सोंधिया राजपूत राज्य ओबीसी सूची में नहीं हैं, कलाल राजस्थान के लिए केंद्रीय ओबीसी सूची में हैं। सोंधिया भी पिछड़े माने जाते हैं और पड़ोसी मध्य प्रदेश में ओबीसी हैं। कांग्रेस के एकमात्र सोंधिया राजपूत उम्मीदवार राम लाल चौहान हैं, जिन्हें पार्टी ने झालरापाटन से पूर्व भाजपा सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ मैदान में उतारा है।
कांग्रेस ने अनुसूचित जन जाति को दिए 33 टिकट
कांग्रेस ने पिछली 25 अनुसूचित जन जाति को उम्मीदवार बनाया था; इस बार उसे 8 टिकट ज्यादा दिए गए, इस तरह एसटी को 33 सीटों पर उतारा गया है। एसटी प्रतिनिधित्व केवल 16.5 प्रतिशत सीटों या 33 टिकटों पर थोड़ा कम है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अनुसूचित जन जाति के अंतर्गत टिकट पाने वाले सभी मीणा समुदाय के हैं। जो राजस्थान की प्रभावशाली जाति है। राज्य और केंद्रीय नौकरशाही में उनका प्रतिनिधित्व बहुत अधिक है। जबकि अनुसूचित जन जाति में आने वाले भील जाति की तरफ किसी पार्टी की नजर नहीं जा रही है।
आरक्षित सीटों से ज्यादा पर SC को दिया अवसर
राजस्थान में दलितों के लिए कुल 34 विधानसभा की सीट आरक्षित है। कांग्रेस ने आरक्षित सीटों की संख्या पार करते हुए इस बार अनुसूचित जाति के 35 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिससे पार्टी के 35 टिकटों के साथ उनकी हिस्सेदारी 17 प्रतिशत हो गई है।
कांग्रेस ने राजस्थान में 15 मुसलमानों को दिया टिकट, भाजपा ने एक भी नहीं
राजस्थान में कांग्रेस ने 15 मुसलमानों को मैदान में उतारा है, जो उसकी कुल संख्या का 7.5 प्रतिशत है। जबकि राज्य में मुसलमानों की आबादी 9 प्रतिशत से अधिक है। कांग्रेस 2018 में भी मुसलमानों को 15 टिकट दिया था। जिनमें से सात उम्मीदवार विजयी हुए थे। भाजपा ने यूनुस खान के रूप में एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा था, इस बार भाजपा ने यूनुस खान को भी टिकट नहीं दिया।
कांग्रेस ने 28 और भाजपा ने 20 महिलाओं को दिया टिकट
कांग्रेस की सूची में 28 महिलाएं हैं। भाजपा ने अपनी सरकार द्वारा महिला आरक्षण अधिनियम पारित करने के एक महीने बाद राज्य में महिलाओं को कुल 20 टिकट यानि 10 प्रतिशत सीटों पर सिमटा दिया है। कांग्रेस की सूची में महिला उम्मीदवारों की संख्या लगभग 2018 के समान है, जब उसने 27 महिलाओं को मैदान में उतारा था, जिनमें से 12 जीतीं। भाजपा ने 2018 में जिन 23 महिलाओं को मैदान में उतारा, उनमें से 10 ने जीत हासिल की थी।
ऐसे समय में जब राहुल गांधी ओबीसी का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की बात कर रहे हैं, कांग्रेस ने राजस्थान में अपने एक तिहाई टिकट इस श्रेणी में आने वाले समूहों को दिए हैं। हालांकि, सूची में महिलाओं का प्रतिनिधित्व उनसे किए गए वादे के आधे से भी कम, 14 प्रतिशत पर बना हुआ है।