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सरकारी व निजी नौकरी में अंतर व उससे पड़ने वाला समाज पर प्रभाव

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भरत गहलोत

वर्तमान समय मे सरकारी नौकरी व निजी नौकरी में बहुत ही शानदार द्वंद चल रहा है ,
अर्थात आजकल सरकारी नौकरी व निजी नौकरी में भयंकर युद्ध सी स्थिति है ,
पहले जमानें में सरकारी नौकरिया बहुत थी मगर नौकरी करने वालो की कमी थी क्योंकि उस समय अन्न का उत्पादन बहुत होता था ,
वैसे एक लोकोक्ति है कि उत्तम खेती मध्यम बान अधर्म चाकरी भीख निदान ,
भारत एक कृषि प्रधान देश है,
यहा की धरती सोने की सी फसल उगाती है , अर्थात उस समय भारत मे फसल अच्छी होती थी,
भारत के किसानों को अन्नदाता कहा जाता है
धरती पूत्र पहले नौकरी नही करते थे क्योंकि उनके स्वयं के बड़े -बड़े खेते थे फसल अच्छी होती थी,
नौकरी भले ही कैसी भी है नौकरी को वे लोग निकष्ट कार्य समझते थे ,
उसके बाद नौकरी की और लोगो का रुझान हुआ ,
उस समय जल्दी व कम पढे लिखो को नौकरी मिल भी जाती थी फिर भी अधिकतर लोग सरकारी नौकरी नही करते थे ,
धीरे -धीरे लोगो का सरकारी नौकरी की और रुझान हुआ वो भी सिर्फ इसलिए कि नौकरी से सेवानिवृत्त होने पर सरकार ने पेशन सेवा शुरू कर दी थी ,
बुढ़ापे में अगर पुत्र के द्वारा सेवा नही की जाती तो सेवानिवत्त बूढे लोग अपनी पेंशन से गुजारा कर लेंगे इस विचार के साथ लोग नौकरियां करने लगे थे,
उसके बाद लोग व्यवसाय को प्रधान मानने लगे खेती की तरफ उनका रुझान धीरे -धीरे कम होता गया,
विगत 2-3वर्षों में कोरोना काल (वैश्विक महामारी)के कारण कई लोगो के व्यापार व्यवसाय चौपट हो गए इस कारण अब पुनः लोगो का रुझान सरकारी नौकरी की तरफ होने लगा है किंतु अब सरकारी नौकरी में प्रतिस्पर्धा ज्यादा हो गई है ,
एक अनार सौ बीमार जैसी स्थिति हो गई है ,
कई लोग सरकारी नौकरी की आशा में कई वर्षों तक तैयारी करते है किंतु नौकरी लगना मुश्किल होता है,
इस प्रकार की स्थिति का भारतीय समाज पर बहुत असर हुआ है,
जैसा कि भारतीय पारिवारिक परंपरा बन गई है वर्तमान मे की माता पिता अपनी पुत्री का विवाह सरकारी नौकरी वाले लड़के से ही करेगे भले ही वो कैसा भी हो चाहे वो शराबी हो,
जुआरी हो लेकिन सरकारी नौकरी वाला होना चाहिए बस यही एक शर्त होती है आजकल माता पिता की अपनी पुत्री के विवाह सम्बन्ध की,
इस कारण कही लड़के व लडकिया योग्य वर व वधु के अभाव में कुंवारे रह जाते है,
या तो उनका बेमेल विवाह होता है या फिर वे आत्म हत्या कर लेते है,
बेमेल विवाह का परिणाम यह होता है कि बाद में रिश्ते टूट जाते है व तलाक के मुद्दे ज्यादा हो जाते है तथा लड़के व लड़की दोनों की जिंदगी खराब हो जाती है तथा उनके अगर कोई संतान होती है तो उसका जीवन भी अधरझूल में अटक जाता है नरकीय जीवन हो जाता है,
इसलिए माँ पिता को चाहिए कि अपने पुत्र व पुत्री की अपने समाज मे उचित सामाजिक सँस्कार से सुयोग्य वर व वधु के साथ विवाह सम्पन्न कराना चाहिए जिससे विवाह विच्छेद जैसे मामलों में कमी आ सके व
माता पिता को अपनी पुत्री का विवाह योग्य वर से करना चाहिए न कि अयोग्य सरकारी नौकरी नामक खूंटे वाले के साथ बांध देनी चाहिए ,
इससे समाज मे विवाह विच्छेद के मामलों में कमी आएगी व एक सुखद व परिपूर्ण समाज का निर्माण होगा,

भरत गहलोत
जालोर राजस्थान

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