मध्यप्रदेश के दो केंद्रीय मंत्रियों की तीन दिन पहले बैठक हुई। ऐसा पहली बार हुआ, जब दोनों मंत्रियों ने एक-दूसरे को इतना लंबा समय दिया। बैठक दिल्ली में हो रही थी, लेकिन बेचैनी मध्यप्रदेश में बढ़ गई थी। दरअसल, यह बैठक उस दिन हुई, जब मप्र बीजेपी के महामंत्री सुहास भगत की संघ में वापसी का ऐलान हो गया।
सबसे ज्यादा घबराहट तो ‘सरकार’ को हुई। चूंकि यह बैठक वन-टू-वन थी। ऐसे में यह बाहर ही नहीं आ पा रहा है कि बैठक का मकसद क्या था? क्या खिचड़ी पक रही है? इतना ही नहीं, दोनों मंत्री संसद में भी एक साथ दिखाई दे रहे हैं, जबकि इससे पहले दोनों कभी एक साथ सिर्फ किसी कार्यक्रम के दौरान मंच पर ही दिखाई दिए।
अवॉर्ड नहीं मिलने से नाराज हैं मंत्रीजी
मध्यप्रदेश में अवॉर्ड सियासत सामने आई है। विधानसभा के बजट सत्र शुरू होते ही बेस्ट मंत्री, विधायक व पत्रकार का पुरस्कार दिया गया। इस पर राजनीति की छाया तो चयन प्रक्रिया से ही पड़ना शुरू हो गई थी। इसे लेकर एक मंत्री खासे नाराज हैं। पहले उन्हें सूचना दी गई थी कि उन्हें बेस्ट मंत्री का अवॉर्ड दिया जा रहा है, लेकिन उनका पत्ता कट गया। सुना है कि ऐसा ‘सरकार’ के हस्तक्षेप के कारण हुआ। मंत्रीजी का वास्ता संघ से है। यह पता होने के बावजूद उनकी उपेक्षा की गई। अब मंत्रीजी ने अपने एक साथी मंत्री से कहा- सही समय आने पर उचित प्लेटफॉर्म पर इस मुद्दे को उठाया जाएगा।
शिवराज के विरोधियों के अचानक सुर बदले
शिवराज के धुर विरोधियों के सुर अचानक बदले-बदले से दिख रहे हैं। ऐसा ही नजारा विधानसभा में बजट सत्र के दौरान देखने को मिला। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री सदन में बोल रहे थे। उस दौरान कांग्रेस विधायकों ने बीच-बीच में हंगामा कर व्यवधान पैदा किया। इसका बीजेपी के विधायकों ने सरकार की तरफ से पलटवार किया। आश्चर्य यह है कि ऐसे दो विधायक शिवराज के समर्थन में बार-बार कांग्रेस पर तीखे प्रहार कर रहे थे। यह सीन देखकर पत्रकार ही नहीं, बल्कि अफसर भी हैरान थे।
सुना है कि ‘सरकार’ के हटने के बनते-बिगड़ते समीकरण के चलते यह घटनाक्रम देखने वाले एक मंत्री ने कहा- साहब यह राजनीति है… कब, कौन किसके पाले में आ जाए, पता ही नहीं चलता है। इतना जरूर बता दें कि ये विधायक महाकौशल से ताल्लुक रखते हैं। समय-समय पर सोशल मीडिया पर बयान देकर ‘सरकार’ को खड़ा करते रहे हैं।
‘राजदार’ से परेशान नेताजी
कांग्रेस के एक बड़े नेता के ‘एकला चलो’ वाले तेवर से पार्टी परेशान हैं, लेकिन नेताजी अपने दो निज सहायकों के झगड़े से परेशान हैं। एक दिन तो ऐसा आ गया, जब दोनों के बीच हाथापाई की नौबत आ गई। सीनियर निज सहायक ने जूनियर को नेताजी के दफ्तर में आने पर ही रोक लगाने का फरमान सुना दिया। नेताजी को यह तब पता चला, जब उन्हें किसी सीक्रेट मिशन के लिए जूनियर की जरूरत थी। सुना है कि नेताजी दोनों को ही अपने स्टाफ से भगाना चाहते हैं, लेकिन राजदार होने के कारण कदम पीछे खींच लेते हैं। अब वे दोनों में सुलह कराने की कोशिश में लगे हैं।
NVDA का गेस्ट हाउस बना साहब का ड्राइंग रूम
अपर मुख्य सचिव पद से रिटायर हुए IAS अफसर ने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (NVDA) के गेस्ट हाउस को अपना ड्राइंग रूम बना लिया है। उनका घर इस गेस्ट हाउस से नजदीक है। लिहाजा, जब भी कोई उनसे मिलने घर आता है, तो वे उसे गेस्ट हाउस ले आते हैं। यहीं बैठकर बातचीत, चाय-नाश्ता होता है। बता दें कि साहब लंबे समय तक NVDA में रहे हैं। ऐसे में इतना तो हक बनता है कि वे गेस्ट हाउस का उपयोग करें।
और अंत में…
IAS की ‘कुर्सी’ पर कुंडली मार बैठ गईं मैडम
एक विभाग के कमिश्नर को उनके ही अधीनस्थ अकाउंटेंट ने आईना दिखा दिया। हुआ यूं कि बड़े जिले के कलेक्टर को ‘सरकार’ का भरोसेमंद होने के कारण प्रमोशन मिलने के बाद एक विभाग का कमिश्नर बना दिया, जबकि विभाग के मंत्री ने एक अन्य अधिकारी को यहां पदस्थ करने की सिफारिश की थी। हालांकि ऐसा हो नहीं पाया। यहां पदभार संभालने के बाद साहब को नई कुर्सी खरीदने के निर्देश दे दिए। इसकी तत्काल नोटशीट चली, लेकिन अकाउंटेंट ने नियमों का हवाला देकर नोटशीट लौटा दी। भले ही साहब का ‘सरकार’ का पूरा संरक्षण है, लेकिन उन्होंने 20 हजार रुपए में नई कुर्सी खरीदी। सुना है कि साहब का खास बनने के लिए एक अधिकारी ने यह कुर्सी भेंट की है।