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पीरियड्स के पहले स्पॉटिंग : कारणों को नहीं करें नजरअंदाज

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     ± नेहा, नई दिल्ली 

बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हे पीरियड्स शुरू होने के कुछ दिनों पहले से स्पॉटिंग का अनुभव होता हैं। इस स्थिति में महिलाओं को पीरियड्स नहीं आता, परंतु उनकी पैंटी पर ब्लड के स्पॉट्स नजर आते हैं। 

     स्पॉटिंग के कुछ दिनों के बाद वापस से पीरियड्स आ जाता है, इसलिए ज्यादातर महिलाएं इसे नजरअंदाज कर देती हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि स्पॉटिंग कई अन्य गंभीर समस्याओं का संकेत हो सकती हैं।

      ऐसे कई कारण हैं जिनकी वजह से पीरियड्स से पहले स्पॉटिंग की समस्या देखने को मिल सकती है, हार्मोन संबंधी असामान्यताओं से लेकर जीवनशैली में बदलाव तक इसके लिए जिम्मेदार होते हैं।     

      ओव्यूलेशन, जिसके परिणामस्वरूप कभी-कभी हल्की ब्लीडिंग हो सकती है। स्पॉटिंग हार्मोनल बदलाव के कारण भी हो सकती है, विशेष रूप से प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन से संबंधित। उदाहरण के लिए, अपर्याप्त प्रोजेस्टेरोन के कारण स्पॉटिंग हो सकती है, क्योंकि इससे यूट्रस की परत बहुत जल्दी ख़राब हो जाती है।

    सबसे ज्यादा जिम्मेदार होता है एक से अधिक से सेक्स और सेक्स मे संतुष्टि नहीं मिलना. अनेक से सेक्स इंटर्नल सड़न देता है और आर्गेज्म नहीं पाना इंटर्नल गर्मी को बढ़ाता है जो भीतर सुलगकर आपको डेमेज करती है.

     तनाव और वजन परिवर्तन से हार्मोन सिंथेसिस बाधित हो सकता है, जिससे अनियमित ब्लीडिंग हो सकती है। जब शरीर को गर्भनिरोधक गोलियों, पैच या आईयूडी की आदत हो जाती है, विशेष रूप से जिनमें हार्मोन होते हैं, तो स्पॉटिंग हो सकती है। 

     इसके अलावा, थायरॉइड समस्याएं और पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओएस) सहित अन्य बीमारियां मासिक धर्म को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे स्पॉटिंग हो सकती है।

        ब्लीडिंग वेजाइना या सर्विक्स के संक्रमण या सूजन के कारण भी हो सकती है, जो आमतौर पर एसटीआई के कारण होता है। बहुत कम मामलों में, स्पॉटिंग फाइब्रॉएड, गर्भाशय ग्रीवा या एंडोमेट्रियल पॉलीप्स जैसी अधिक गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है.

*1. हार्मोन फ्लक्चुएशन :*

महिलाओं में हार्मोनल फ्लकचुएशन पीरियड से पहले स्पॉटिंग का कारण बन सकते हैं। खासकर प्यूबर्टी की शुरुआत में पीरियड्स काफी इरेगुलर रहता है, क्युकी इस दौरान शरीर में कोई हार्मोनल बदलाव होते हैं। वहीं स्पॉटिंग भी देखने को मिलती है।

     पीरियड्स को एस्टेब्लिश होने में समय लगता है, तब तक स्पॉटिंग नॉर्मल है।

*2. सर्वाइकल कैंसर :*

पीरियड से पहले स्पॉटिंग होना सर्वाइकल कैंसर का एक लक्षण हो सकता है। सर्विक्स वेजाइना और यूट्रस के बीच का हिस्सा होती है। यदि स्पॉटिंग के साथ सामान्य दिनों की तुलना में पीरियड्स का अधिक लंबे समय तक बना रहना, वेजाइनल सेक्स के बाद ब्लीडिंग होना, सेक्स के दौरान वेजाइना में दर्द महसूस होना, वेजाइनल डिस्चार्ज में बदलाव आना, यूरिन में ब्लड आना और यूरिन पास करने और बॉवेल मूवमेंट में परेशानी होने जैसे सर्वाइकल कैंसर के अन्य लक्षण नजर आएं तो बिना देर किए फौरन डॉक्टर से संपर्क करें।

*3. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम :*

पीरियड्स के बीच में इरेगुलर बिल्डिंग या फिर स्पॉटिंग होना पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं। ऐसा तब होता है जब महिलाओं की ओवरी और एड्रेनल ग्लैंड अधिक मात्रा में एंड्रोजेंस को प्रोड्यूस करना शुरू कर देते हैं, एंड्रोजन मेल हार्मोन है। पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की स्थिति में महिलाओं के लिए कंसीव करना मुश्किल हो जाता है।

*4. स्ट्रेस और मेडिसिंस :*

कुछ प्रकार की दवाइयां पीरियड के बीच में वेजाइनल स्पॉटिंग का कारण बन सकती हैं। ब्लड को पतला करने वाली दवाइयां, थायराइड की दवाइयां और हार्मोनल ड्रग्स स्पॉटिंग का कारण बनते हैं। तनाव भी स्पॉटिंग का एक कॉमन कारण है, क्योंकि इस दौरान बॉडी हार्मोंस में बदलाव आते हैं। चाहे आपको फिजिकल या इमोशनल स्ट्रेस हो दोनो ही स्थिति में वेजाइनल स्पॉटिंग देखने को मिलती है।

*5. एंडोमेट्रियोसिस :*

एंडोमेट्रियोसिस की स्थिति में ओवरी, पेट और बॉवेल में एंडोमेट्रियम जैसी टिशु निकल आती है। इस स्थिति में पीरियड के बीच में वेजाइनल स्पॉटिंग देखने को मिल सकती है। स्पॉटिंग के अलावा पेल्विक पेन, पेनफुल इंटरकोर्स, इनफर्टिलिटी, थकान, यूरिन पास करते हुए दर्द महसूस होना, हैवी पीरियड्स, डायरिया, कांस्टीपेशन, ब्लोटिंग आदि जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं।

नोट: 

    स्पॉटिंग प्रेगनेंसी के शुरुआती चरणों में इम्प्लांटेशन हेमोरेज या एक्टोपिक प्रेगनेंसी जैसी समस्याओं का भी संकेत हो सकती है। यदि स्पॉटिंग जारी है या अन्य लक्षणों के साथ नजर आ रही है, तो बिना इंतजार किए फौरन डॉक्टर से संपर्क करें और अपनी स्थिति की जांच करवाएं।

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