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योनी से जुड़े नारीवाद को महज़ नारी से नहीं जोड़ें

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डॉ. प्रिया 

    क्या एक औरत की पहचान मात्र उसका एक अंग ही है ? विशेष अंग योनि से??

   औरत की योनि से जुड़ा सबसे बड़ा कारक है सेक्स। जब भी सेक्स की बात आती है तो सारा ध्यान आ कर जहां रूक जाता है, वह है योनि। जब बात मर्द की होती है तो हम ताक़त, हिम्मत और कई संज्ञाओं से उसकी तुलना करते हैं लेकिन बात जब औरत की होती है तो आज भी कहीं ना कहीं उसके भावनात्मक पहलुओं से अधिक उसके जिस्मानी पहलुओं पर ज़्यादा बात होती है।

        Beauty with brains यानि कि दिमाग के साथ सुंदरता इतनी बड़ी बात क्यों है? क्योंकि लड़की की पहचान आज भी सुंदर लड़की, गोरी लड़की, भरे शरीर वाली लड़की कुछ इस तरह की जाती है।

      शारीरिक रूप से औरत का एक अंग है योनि, जिससे हमारा समाज जुनून की हद तक ग्रसित है और ये मनोविकार सिर्फ़ सेक्स तक सीमित नहीं है, कहीं ना कहीं औरत की पूरी पहचान ही एक अंग तक सिमट कर रह गई है।

आज की आधुनिक दुनिया में भी हमारे समाज में कई जगह योनि की पूजा की जाती है। कई छोटे-छोटे गांव और कस्बों में कई मंदिर हैं जहां कुंवारी कन्याओं को देवी बनाकर बिठाया जाता है और लोग उनकी पूजा करने आते हैं।

      कुंवारी कन्याएं उन्हें कहा जाता है जो वर्जिन होती हैं। कुछ लोग मानते हैं कि जो औरत, कुंवारी कन्या की पूजा करती है उसकी मां बनने की कामना पूरी हो जाती है। सभी लोगों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं जिनका हम पूरा सम्मान करते हैं लेकिन सवाल ये है कि क्या ये सही भी है?

      औरतें मानसिक तौर भी कहीं ना कहीं इस बात से ग्रसित हैं कि औरत की शक्ति या महिला उत्पीड़न को अगर किसी प्रतीक से दिखाया जा सकता है तो वो है योनि! 

      हां, ये सही है कि योनि, औरत को आदमी से अलग करती है, योनि औरत को जननी भी बनाती है लेकिन महिला जेंडर की पूरी परिभाषा इसके ही ईर्द-गिर्द क्यों गढ़ी जाती है? योनि सिर्फ शारीरिक तौर पर आपको अलग करती है।

        कई किन्नर और ट्रांसवुमन हैं, लेकिन उनके पास ज़रूरी नहीं कि वैजाइना हो। और ऐसे ही कुछ ट्रांसमेन के पास वैजाइना है, लेकिन उनका जेंडर महिला नहीं। तो आज के समय में ये कहना कि सिर्फ वैजाइना से महिला जेंडर है, गलत है।

योनि से जुड़े नारीवाद को सिर्फ़ औरत से जोड़ना बंद करना होगा। वैजाइना से जुड़े नारे और वैजाइना की जगह फूल की पेटिंग लगाकर पूरे फेमिनिज़्म को दर्शाना इसे बस एक अंग तक सीमित कर देता है। असली नारीवाद सबको साथ लेकर चलने की बात करता है इसे योनि की वॉल्व से ना बांधें।

      संभोग सिर्फ योनि के ईर्द-गिर्द नहीं घूमता है क्योंकि औरत की योनि से जुड़ा सबसे बड़ा ऑब्सेशन है सेक्स। जब भी सेक्स की बात आती है तो औरत की सिर्फ़ एक ही चीज़ पर सारा ध्यान आ कर रूक जाता है, योनि। वैसे भी हमारे आधे से अधिक समाज में आज भी औरत के हर अंग पर उसके पति का अधिकार माना जाता है ख़ासकर उसे शादी से पहले संबंध बनाने की मनाही होती है क्योंकि फिर वो कुंवारी कैसे रहेगी? और हमारे समाज में वैसे भी एक स्त्री पवित्र है या अपवित्र ये आपका आचार विचार या व्यवहार तय नहीं करता, योनि करती है।

      कइयों को सेक्स के नाम पर केवल यही पता होता है कि लिंग और योनि का संभोग। कई लोगों को अपने ही इस अंग की जानकारी ही नहीं है। 

योनि के पांच हिस्से होते हैं – क्लिटॉरिस (भगशिश्न), योनि मुख, सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा), गुदा और पेरिनम (योनिमुख के बीच का हिस्सा) तो हम इसे औरत की पूरी पहचान क्यों बना देते हैं।

      योनि से जुड़े हमारे समाज की ऐसी विचारधाराओं पर अंकुश तभी लग सकता है जब हम ख़ुद भी औरत को सिर्फ उसके शारीरिक संपत्ति से नहीं बल्कि उसकी ताकत, शालीनता, निर्भीकता, शक्ति, दया-भावना से पहचानेंगे। 

     नोट : इस आर्टिकल पर सेक्स और सेक्सुअलिटी के सम्बन्ध में बात इसलिए की गई है कि पूर्वाग्रहों, कुंठाओं से बाहर आ कर, इस विषय पर संवाद स्थापित किया जा सके, और एक स्वस्थ समाज का विकास किया जा सके|

     यहाँ किसी की भावनाएं भड़काने, किसी को चोट पहुँचाने, या किसी को क्या करना चाहिए ये बताने का प्रयास कत‌ई नहीं किया जाता है! (चेतना विकास मिशन).

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