Site icon अग्नि आलोक

मत जाइये अदालत

Share

मंजुल भारद्वाज


मत जाइये अदालत
अब वहां न्याय नहीं होता
आस्था की पूजा होती है
मन्दिर,सत्ताधीश और पूंजीपतियों की सुनवाई होती है
उनके लिए फैसले लिए जाते हैं
सत्ताधीश का जयकारा लगता है
अदालत अब आम आदमी के साथ न्याय नहीं करती
हत्यारे मंत्री की सेवा करती है
अदालत अब सत्य के साथ नहीं
झूठ के साथ खड़ी है
और झूठ के साथ क्यों ना खड़ी हो
जब आम आदमी
5 किलो अनाज के बदले अपना वोट बेचता है
धर्म के नाम पर ईमान बेचता है
जात के नाम पर इंसानियत बेचता है
तब जज साहब क्यों ना न्याय को बेचे
आखिर वो भी इसी समाज का हिस्सा हैं
जब आम आदमी को पेट के सिवा कुछ नहीं दिखता
तब जज साहब को भी राज्य सभा के आगे कुछ नहीं दिखता
जब आम आदमी झूठे व्यक्ति को
क्रूर और हिंसक व्यक्ति को सत्ता पर बिठाता है
तो न्याय अपने आप मर जाता है
इसलिए अदालत मत जाइये
पहले न्याय को अपने अन्दर जिंदा कीजिये
याद कीजिये हम भारत के लोग
संविधान सम्मत इस देश के मालिक हैं
इस देश की सरकार
इस देश के नौकरशाह
इस देश की अदालत
आपकी सेवक है
पर आपने अपने संवैधानिक अधिकार का
न्याय और हक़ के लिए उपयोग नहीं किया
उसे धर्म,जात और मुफ्त अनाज के बदले बेच दिया
आपने 47 लाख जनता के हत्यारे को
करोड़ों मजदूरों के
अर्थ व्यवस्था के
युवाओं के सपनों के
सामाजिक शांति,सौहार्द और धर्मनिरपेक्षता के विनाशक को चुना
तब आपका,देश का विध्वंश निश्चित है
जरा पड़ोस में देखो
अदना सा मुल्क है श्रीलंका
वहां की जनता ने भी मसीहा चुना था
जब देश बर्बाद हो गया
तब आँख खोली
और देश को बचाने का बीड़ा उठाया है
आप तो अभी भी धर्म की अफ़ीम खाकर सोये हो
आपके लिए आवाज़ उठाने वालों को
तानाशाह की पुलिस जेलों में ठूस रही है
अदालत जुर्माना लगा रही है
न्याय के लिए लड़ने वालों को
सज़ा सुना रही है
अदालत खुद न्याय को सूली पर चढ़ा रही है
इसलिए अदालत मत जाओ
स्वतंत्रता आन्दोलन को याद करो
अहिंसा के मार्ग पर चलकर
संविधान और लोकतंत्र को आज़ाद करो
हे देश के मालिकों
जागो और देश के साथ न्याय करो !


	
Exit mobile version