श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट
राम ने मेरे सपने में आकर
किया अनूठा मुझसे संवाद
मेरे नाम पर भारतवर्ष मे
क्यों हो रहा है रोज विवाद
पहले मुझे कोर्ट-कचहरी का
एक ज्वलंत मुद्दा बनाया
बरसो बरस तक मेरे नाम पर
कचहरी में मुकदमा चलवाया
मंदिर-मस्जिद के चक्कर मे
न जाने कितनी जाने चली गई
खुद मुझको मेरे अपनो ने
अपनो से ही मुझे दूर कराया
भला उस राजीव गांधी का
जिसने मंदिर का ताला खुलवाया
मेरे भक्तों पर उपकार बड़ा कर
पूजा पाठ बंदोबस्त कराया
मुझे तो कोफ्त तब हुई जब
मेरे नाम पर राजनीति छाई
वोटो के लालच में आकर
मंदिर -मस्जिद की हुई लड़ाई
मेरी भक्ति से ज्यादा उनको
अपने वोटो की फिक्र हुई
हर पांच साल बाद चुनाव पर
उन्हें मेरी जरूरत महसूस हुई
मेरे नाम पर चुनाव जीतते
ओर जीतते ही मुझे भूल जाते
यह सिलसिला आज का नही
बरसो बरस से चला आ रहा है
सत्ता के लालच में मुझको
सत्ताधीश ही भुना रहा है
हद तो तब हो गई मेरे भक्तों
मेरे मंदिर का शिलान्यास हुआ
खूब चंदा बटोरा मेरे नाम पर
करोड़ो का खुला व्यापार हुआ
मेरी जन्म भूमि अयोध्या में
भव्य मंदिर बनना शुरू हुआ
दूर दूर से आए है शिल्पकार
मंदिर तराशने का कार्य हुआ
अभी आधा अधूरा ही बना है
चुनाव की बेला सिर पर आई
मंदिर पूरा बनाए बिना ही
उदघाटन की जल्दी मचाई
आस्था से ज्यादा चुनावी फायदे
देख रहे है सत्ताधीश प्यारे
चुनाव से पहले मंदिर उदघाटन से
मिल जाएंगे वोट सारे के सारे
इतना सुनते ही राम मुख से
मेरी नींद अचानक खुल गई
बिस्तर पर में करवटें बदल रहा
राम राजनीति की हवा चल रही
संभल कर रहो देशवासियों
राम का सौदा न अब करने दो
जिसने राम को आत्मसात किया
उसी का राम को होने दो।