,मुनेश त्यागी
आज भारत के लोगों को रामराज के सपने दिखाए जा रहे हैं। अयोध्या में राम की प्राण प्रतिष्ठा की बात की जा रही है। लोगों को पूरी तरह से राममय बनाया जा रहा है। आजादी के 75 साल बाद भी भारत के अधिकांश किसानों को आज भी फसलों का वाजिब दाम नहीं मिलता, फसल उगाने की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं, जिस कारण अधिकांश किसान भयंकर दबाव में हैं। इन्हीं कारणों से किसानों के बच्चे किसी करने को तैयार नहीं हैं।
भारत के 85% मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिलता है। उनसे यूनियन बनाने का अधिकार लगभग छीन लिया गया है। अस्थाई नौकरियों को खत्म करके उनका ठेका कारण किया जा रहा है। उनसे पेंशन छीन ली गई है जिस कारण वे शोषण और अभाव के सबसे बड़े शिकार बन गए हैं। श्रम कानूनों को लागू करने वाले तमाम विभाग निष्प्रभावी कर दिए गए हैं। आंदोलन करने पर भी सरकार कोई सुनवाई या कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।
भारत में इस वक्त लगभग 10 करोड़ मुकदमें न्यायालयों में लंबित हैं, मुक़दमों के अनुपात में ना तो जज हैं, ना स्टेनो हैं, ना कर्मचारी हैं और ना ही अदालतें हैं। एक दिन में जहां अदालतों में पहले 30 से 35 मुकदमें नियत किए जाते थे, अब वहां 150 200 मुकदमें नियत किया जा रहे हैं। अदालतों में वकीलों के खड़े होने की जगह नहीं है। इस प्रकार सस्ते और सुलभ न्याय का नारा एक ख्वाब बनकर रह गया है।
बच्चों की शिक्षा का स्तर लगातार तेज गति से गिरता जा रहा है। पिछले 8 सालों में उनकी स्थिति बद से बद्तर होती जा रही है, उनकी गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं आया है। गरीबों के बच्चे ठीक से लिख और पढ़ पाते भी नहीं है। अब उन्हें सिखाया जा रहा है कि “राम आएंगे, राम आएंगे।” अरे भाई हम पूछते हैं कि राम कहां चले गए थे?
समाज के अधिकांश लोग अच्छे स्वास्थ्य, शिक्षा, जल, वायु, बेहतर स्कूलों और बेहतर अस्पतालों से महरूम बने हुए हैं, विश्व स्तरीय विश्वविद्यालयों और अस्पतालों का पूरी तरह से अभाव बना हुआ है, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भयंकर लूट और मुनाफाखोरी की आंधी चल रही है।
देश की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है। बचत पिछले 50 साल में सबसे नीचे स्तर पर पहुंच गई है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष भारत की बिगड़ती स्थिति की चेतावनी दे रहे हैं। इस मामले में पाकिस्तान, घाना और मिश्र ही हमसे खराब स्थिति में हैं, यानी हमारा भारत नीचे से चौथे स्थान पर विराजमान हो गया है।
अब हमें अयोध्या में रामलला के विराजमान करने के सपने दिखाकर हमारा पेट भरा जा रहा है। अमीरी गरीबी की खाई लगातार बढ़ती जा रही है। गरीब और गरीब और अमीर और ज्यादा अमीर होते जा रहे हैं। इस प्रकार अमीरी और गरीबी के खत्म करने के संवैधानिक मूल्यों को धता बताई जा रही है।
महिला बराबरी की हसीन सपने दिखाए जा रहे हैं, पर संसद में और विधानसभा में 33% का आरक्षण बिल पास करके उसे लागू होने की तारीख नहीं बताई जा रही है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं की सेहत लगातार खराब होती जा रही है। उनके खिलाफ होने वाले अपराध लगातार बढ़ते जा रहे हैं। भारत की 24% महिलाएं कुपोषण का शिकार है और 54% महिलाएं खून की कमी की शिकार बनी हुई हैं। वे आज भी तमाम तरह की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, बेड़ियों, कुरीतियों, रूढ़ियों और कूप्रथाओं की शिकार हैं।
हमारा संविधान वैज्ञानिक संस्कृति और ज्ञान, विज्ञान, तर्क और विवेक को बढ़ाने की बात करता है, साझी संस्कृति की बात करता है, मगर आज हमारे देश में अंधविश्वास, धर्मांधताओं, पाखंडों और पोंगा पंडिताई की आंधी लगभग सबको उड़ा कर ले जा रही है। लोगों ने अपनी बेकारी, भुखमरी, शोषण, अन्याय, अभाव, और बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, महंगाई जैसी महामारियों और संकटों पर सोचना लगभग छोड़ दिया है। आज वे सब कुछ भगवान के भरोसे रख कर बैठ गए हैं।
आज बेरोजगारी पिछले 75 साल के सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंच गई है। हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का नारा नदारत हो गया है। पिछले 10 सालों में की उपलब्धियां को गिराने के लिए सरकार के पास कोई आंकड़े नहीं हैं। सरकारी पाखंडों की पराकाष्ठा देखिए,,,, विश्व पैमाने पर चुनावी लोकतंत्र में भारत 108वें स्थान पर है, भुखमरी में 149वें में स्थान पर है, खुशहाली में 126वें स्थान पर है, प्रेस की आजादी में 161वें स्थान पर है।
और कमाल देखिए कि आज भी हमारे लोग हमारे 83 करोड लोग गरीबी का शिकार है। सरकार उन्हें गरीब मानकर 5 किलो अनाज दे रही है। उन्हें रोजगार देने की कोई बात नही की जा रही है। इस प्रकार सरकार ने उन्हें 5 किलो अनाज देकर उन्हें बौद्धिक रूप से गुलाम बना दिया है। और कमाल की बात देखिए कि अब तो सरकार ने इन तमाम बुनियादी बातों पर बात करना ही छोड़ दिया है।
ऐसे में भारत के अधिकांश लोगों को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करके, रामराज लाने के सपने दिखाए जा रहे हैं। जनता के तमाम दुख दर्द, परेशानियां, अभाव वंचनाएं, शोषण, झूम जुल्मों सितम का खात्मा करके, जनता को रोजगार, दवा, वस्त्र, अनाज, मकान, साफ पानी, प्रदूषण रहित वातावरण देने की कोई बात नहीं हो रही है। अब उन्हें सपने दिखाए जा रहे हैं स्वर्ग के और ले जाया जा रहा है नरक में।
प्यारे देशवासियों जरा सोचो और संभलो, तुम्हें मंदिर या रामराज में नहीं, बल्कि नर्क और रावण राज में ले जाया जा रहा है। उठो और जागो, वरना आने वाली पीढ़ियां तुम्हें कभी माफ नहीं करेंगी। अब तुम्हारा एकजुट और संगठित संघर्ष ही इस देश को महाअंधकार के गर्त में ले जाने से बचा सकता है।