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*घुटनों में चिकनाई कमी : प्रभाव और बचाव*

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      ~डॉ. श्रेया पाण्डेय 

घुटने से चटकने की आवाज आती है. जकड़न महसूस हो सकती है. घुटने या जोड़ में दर्द की अनुभूति हो सकती है। बाहरी तौर पर इसे ठीक करने के काफी प्रयास करते हैं। यह सही नहीं हो पाता है। ऐसा घुटनों के बीच चिकनाई की कमी के कारण होता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. यह सायनोवियल फ्लूइड में कमी के कारण हो सकता है। यदि लुब्रीकेशन का सही समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो यह घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन जाता है। 

*क्या है सिनोवियल फ्लूइड?* 

     सिनोवियल फ्लूइड या श्लेष द्रव या जॉइंट फ्लूइड फ्रिक्शन को कम करने के लिए घुटने के जोड़ में स्नेहक या लुब्रीकेंट के रूप में कार्य करता है। इसकी कंसिस्टेंसी थिक होती है। यह चिपचिपी भी होता है।

     यह शॉक एब्जोर्बर के रूप में काम करता है। यह हमारे शरीर को गति प्रदान करता है।

यह जॉइंट पर दबाव कम करता है. इसके कारण ही उठना, बैठना या खड़ा होना सहजता से किया जा सकता है। सिनोवियल फ्लूइड नी जॉइंट पर दबाव भी कम करता है। यह चलने या दौड़ने के दौरान हड्डी की सतह के सिरों को मुलायम भी बनाता है।

    सिनोवियल फ्लूइड जोड़ के भीतर लुब्रीकेंट और कुशन के रूप में कार्य करता है। यह घर्षण को कम करने और गति में सुधार करने में मदद करता है।

*क्यों घट जाता है लुब्रीकेशन?*

     जब सिनोवियल फ्लूइड बहुत गाढ़ा या बहुत पतला हो जाता है, तो यह जोड़ों की सुरक्षा के लिए सही चिकनाई प्रदान नहीं कर पाता है। इससे कार्टिलेज डैमेज और ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है।

     सिनोवियल फ्लूइड में परिवर्तन हर उम्र के लोगों के लिए दर्द का कारण बनता है। सिनोवियल ओस्टियोकोन्ड्रोमैटोसिस एक दुर्लभ स्थिति है, जो आमतौर पर घुटनों को प्रभावित करती है।

      मोटापा या वजन बढ़ने पर सिनोवियल फ्लूइड प्रभावित हो जाता है। मोटापा के अलावा घुटने में लगी चोट या आघात के कारण भी जॉइंट में फ्लूइड प्रोडक्शन की क्षमता गंभीर रूप से प्रभावित हो जाती है।

     घुटनों के माध्यम से गलत शारीरिक गतिविधि जैसे कि किसी ख़ास ढंग से घुटनों पर प्रभाव डालते हुए बैठना या नियमित रूप से घुटनों को मोड़ना भी इसका कारण बन सकता है.

     फ्लूइड सूख जाने पर घुटने में दर्द और जकड़न हो सकती है। जोड़ के ख़राब होने या चोट लगने पर, चलने या झुकने पर नी कैप से तेज़ आवाज़ आना, घुटने की सतह के आसपास सूजन या लालिमा जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। तुरंत उपचार न होने पर ऑस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है।

*बचाव के आयाम :* 

   दवा के उपयोग से इसे बढ़ाया जा सकता है। घुटने के जॉइंट में सिनोवियल फ्लूइड को बढ़ाने और दर्द को कम करने के लिए जॉइंट के बीच कार्टिलेज और खाली स्थान में हयालूरोनिक एसिड या आर्टिफीशियल फ्लूइड इंजेक्ट किया जाता है।

     इसकी संरचना नेचुरल सिनोवियल फ्लूइड के समान होती है। इससे सूजन, घर्षण और घुटने के मूवमेंट में सुधार हो जाता है। यह लगभग 6-12 महीनों तक प्रभावी रह सकते हैं।

      आर्टिफीशियल सिनोवियल फ्लूइड के अलावा, डैमेज हो चुके टिश्यू की मरम्मत और चोट का इलाज किया जाता है। सूजन को कम करने के लिए प्लेटलेट-रिच प्लाज्मा या पीआरपी इंजेक्शन भी है। इसमें रोगी के ब्लड का उपयोग किया जाता है।

      कई प्रक्रियाओं के बाद इसे घुटने के जोड़ में वापस इंजेक्ट किया जाता है। रोगी की स्थिति के आधार पर इलाज किया जाता है।

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