अग्नि आलोक

सनातनी हीरो बनाकर लॉरेंस बिश्नोई का महिमा मंडन करने के प्रयास

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निमिषा सिंह

एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से नेशनल मीडिया हो या सोशल मीडिया हर तरफ हिरण,सलमान खान और लॉरेंस विश्नोई को लेकर छिड़ी जबानी जंग खत्म होने का नाम ही नही ले रही। फेसबुक और ट्विटर पर कैंपेन चलाए जा रहे हैं । सोशल मीडिया बिरादरी भी दो गूटो में बंट गई है। बड़ी संख्या में लोग सलमान खान के पक्ष में खड़े दिखाई दे रहे हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ लोग लॉरेंस बिश्नोई को सनातनी हीरो बनाकर उसका महिमा मंडन करने के भरसक प्रयास में लगे हैं। सलमान पर पहले भी कई बार हमला करवा चुके लॉरेंस बिश्नोई का साफ कहना है कि उसका मकसद सलमान खान को मारना है और अगर सलमान खान उनके समाज से माफी नही मांगेंगे तो वह उनकी जान लेकर रहेगा दूसरी तरफ बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद भी सलमान के तेवर जस के तस हैं। मुमकिन है कि सलमान खान को इस बात की आशंका हो कि अगर वो माफी मांगते हैं तो ये साबित हो जाएगा कि उन्होंने ही काले हिरण का शिकार किया था। ऐसे में ये भी हो सकता है कि कोर्ट ने उन्हें जो क्लीन चिट दी है वो खारिज हो जाए।आपको याद हो तो सलमान खान का नाम 1998 में काले हिरणों के शिकार में आया था। उन पर आरोप लगा था कि उन्होंने हम साथ-साथ हैं की शूटिंग के दौरान शहर से सटे कांकाणी गांव के पास दो काले हिरणों को मारा था। चूंकि विश्नोई समाज के लिए काले हिरण उनका परिवार है और पूजनीय है लिहाजा सलमान उनकी नजर में दोषी है। लॉरेंस विश्नोई जिसका पेशा ही इंसानों का कत्ल करना है वो काले हिरण के कत्ल के एवज में सलमान की जान लेने को तैयार है। इन्ही खबरों के बीच अचानक मेरे जहन में एक बात आई कि पौराणिक काल से ही हिरण किसी न किसी के लिए संकट का कारण बनते आ रहे है। हमारे प्राचीन धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में भी हिरण के कारण उत्पन्न होने वाले कई संकटों का वर्णन मिलता है जिसमे अतिविश्वासी शिकारियों ने स्वयं और दूसरों के लिए संकट की स्तिथि उत्पन्न कर दी


अगर बात सतयुग की करें तो यह पूरा युग ही एक स्वर्णिम युग था। कहते हैं कि इस युग में हिरण और बाघ एक ही घाट पर पानी पिया करते थे। बात अगर त्रेता युग की करें तो हिरण से जुड़े कई प्रसंग रामायण में पढ़ने को मिलते हैं। ऐसे ही एक प्रसंग में अयोध्या नरेश राजा दशरथ के तीर से भूलवश श्रवण कुमार की मौत हो जाती है। श्रवण के बूढ़े अंधे माता पिता द्वारा दशरथ को शाप दिया कि उन्हें भी अपनी संतान से वियोग झेलना होगा और उस शोक में उनकी मृत्यु होगी। ठीक यही हुआ राम को वनवास जाना पड़ा और दशरथ की शोक से मृत्यु हुई। हिरण इस प्रसंग में भी दो लोगों की मौत का कारण बना। इसी त्रेता युग में जब वनवास के दौरान राम लक्ष्मण और सीता दंडकारण्य में रह रहे थे और शूर्पणखा ने अपनी ईर्ष्या के कारण सीता पर आक्रमण किया गया तब क्रोध में आकर लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी थी जिसका बदला लेने के लिए लंका के राजा रावण ने आकार बदलने वाले राक्षस मारीच को स्वर्ण हिरण का रूप धारण कर सीता को लुभाने के लिए भेजा। सीता उस स्वर्ण हिरण के प्रति आकर्षित हुई। हिरण के लिए सीता की लालसा आने वाले संकट का संकेत था क्योंकि अंत में रावण ने सीता का अपहरण कर लिया और अंततः प्रभु राम के हाथों लंका और रावण का सर्वनाश हुआ।
द्वापर युग मे भी महाभारत के एक प्रसंग के अनुसार पांडवों के वनवास के तेरहवें वर्ष में एक साधु उनके पास मदद के लिए पहुंचा। यज्ञ के लिए पवित्र अग्नि निर्माण करने के लिए वह जिस अरानी लकड़ियों का उपयोग करता था वह एक हिरण के सींगों में फंस गई थी। फंसी हुईं लकड़ियों से तंग आकर हिरण वहां से भाग गया था। साधु ने पांडवों से उसकी लकड़ियां वापस लाने की मांग की। पांडव हिरण की तलाश में निकले। दिनभर हिरण का पीछा करने के बावजूद वे उसे पकड़ नहीं पाए। हताश होकर अपनी प्यास बुझाने के लिए वे एक बगुले के तालाब पर पहुंचे। यह बगुला वास्तव में यक्ष और यम का रूप था। युधिष्ठिर को छोड़ सारे पांडव उसके प्रश्नों का उत्तर नहीं दे पाए और पानी पीने के बाद चारों की मृत्य हो गई। इसी युग में हिरण के बारे में एक आश्चर्यजनक तथ्य यह भी है कि एक बार राजा पांडु अपनी दोनों पत्नियों कुंती तथा माद्री के साथ शिकार के लिए वन में गए। वहां उन्हें एक मृग का मैथुनरत जोड़ा दिखा। पांडु ने तुरंत अपने बाण से उस मृग को घायल कर दिया। मरते हुए मृगरूपधारी ऋषि ने पांडु को शाप दिया कि जब कभी भी तू अपनी पत्नी के साथ अंतरंग होने की कोशिश करेगा तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी। इस कारण उनकी पत्नियां देवताओं का आवाहन कर उनके द्वारा संतान प्राप्त करने के लिए मजबूर हो गईं। इसी द्वापर युग में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण की मृत्यु जरा नामक बहेलिए के तीर से हुई थी। कृष्ण पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम कर रहे थे, तभी बहेलिए ने हिरण समझकर दूर से उनपर तीर चला लिया जो सीधे उनके पैरों में जाकर लगा और उसी क्षण भगवान ने अपने प्राण त्याग दिए।। इन सभी प्रसंगों में हिरण की मौजूदगी और किसी न किसी के मौत में उसका कारण बनना अपने आप में अचंभित करने जैसा है। हिंदु महापुराणों के अनुसार अभी कलयुग चल रहा है। यकीनन कलयुग में भी हिरण प्रजाति अपनी अहमियत साबित कर रहा है। सलमान खान ही नहीं बल्कि सैफ अली खान के पिता मंसूर अली खान पटौदी भी काले हिरण के शिकार को लेकर लंबे समय तक परेशान रहे। 5 जून 2005 को विश्व पर्यावरण दिवस के दौरान उन्होंने भी एक काले हिरण का शिकाल किया था। 2011 में उनकी मृत्यू के बाद उनका नाम काले हिरण मामले से हटा दिया गया। बात अगर सलमान की करें तो फिलहाल तो उनकी मुश्किलें थामने का नाम नहीं ले रही। सलमान खान को मुंबई पुलिस की तरफ से वाई-प्लस सुरक्षा प्रदान की गई है। पुलिस एस्कॉर्ट वाहन अब सलमान खान के वाहन के साथ चलता है। सलमान खान जिस भी इलाके में शूटिंग के लिए जा रहे हैं वहां के स्थानीय पुलिस स्टेशन को उनके ठिकाने के बारे में अलर्ट कर दिय जा रहा है और पुलिस की एक टीम को शूटिंग लोकेशन पर नजर रखने का निर्देश है। सलमान के साथ उनका पूरा परिवार डर के साए में जीने को मजबूर है। सवाल यह उठता है कि यह सब आखिर क्यों?? जवाब एक ही मिलेगा….. हिरण का शिकार करना इस युग में भी भारी पड़ा किसी पर। कहते हैं ना छल का फल छल ही होता है फिर वह आज हो या कल।

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