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जंगल में आपातकालीन बैठक….जंगली जानवरों ने फिल्म ‘Animal’ पर ठोका मानहानि का केस

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जंगल में आज एक आपातकालीन बैठक का आयोजन किया गया था। सभी जानवर गंभीर मुद्रा में बैठे थे। 

सबसे पहले शेर ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा –“मित्रों, आज आपसे एक बेहद जरूरी बात करनी है। हाल ही में ‘एनिमल’ नाम की एक फिल्म काफी चर्चा में है। नाम सुनकर पहले मुझे लगा था कि  यह फिल्म हम जानवरों पर केंद्रित है और इसीलिए मैंने कल जंगल में इसका प्रीमियर शो रखवाया था; जिसमें मेरे साथ आप में से कई जानवर उपस्थित थे।”

“पर जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ी, मुझे समझ आने लगा कि इस फिल्म का हम जानवरों से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है। भगवान कसम, इतना खून खराबा मैने अपनी पूरी जिंदगी में नही देखा। ऊपर से मेरी पत्नी फिल्म देखकर इतनी नाराज हुई कि डिनर में वांगा को खाने की जिद पकड़ ली। बड़ी मुश्किल से उसे समझाया कि भाग्यवान,  हम जानवर हैं, इंसान नही। कानून को इस तरह हाथ में नही ले सकते ” शेर ने कहा। 

“आप लोगों का इस फिल्म के बारे में क्या कहना है?” शेर ने जानवरों से पूछा। 

पास बैठे गिद्ध ने कहा–“आप ठीक कह रहे हैं। कल मैने भी प्रीमियर शो देखा। इतनी हिंसा देख मुझे तो उल्टी आने लगी थी। इंटरवल में ही फिल्म छोड़ भाग आया।” 

उधर सांप ने फुफकारते हुए कहा–“बात तो सही है। मुझे भी यह फिल्म काफी टॉक्सिक लगी।”

सबकी राय लेने के बाद शेर ने कहा–“फिर आप सभी मानते हैं कि यह फिल्म हम जानवरों की छवि को अपूरणीय क्षति पहुँचा रही है और खासकर मादा जानवरों के प्रति दुर्भावना फैला रही है। इसीलिए हमने तय किया कि पास की जिला अदालत में हम इस फिल्म के विरुद्ध अवमानना का केस करेंगे। इसके बारे में अधिक जानकारी आपको वकील भेड़िया साहब देंगे।”

वकील भेड़िया साहब आगे आए और कुछ काग़ज़ हवा में लहराते हुए बोले–“जैसा कि आपको शेर ने बताया, यह रही उस अवमानना याचिका की एक कॉपी जिसे हमने तैयार किया है। हमने इसमें स्पष्ट लिखा है कि फिल्म ‘एनिमल’ का कोई भी पात्र और संदीप वांगा हम जानवरों का प्रतिनिधित्व नही करते इसीलिए इस कुंठित मानसिकता वाली फिल्म में हमारे नाम के प्रयोग पर तत्काल रोक लगे।”

वकील भेड़िया साहब ने आगे बताया कि–“ हमने याचिका में यह भी लिखा है कि ना तो हमें इस फिल्म के लिए किसी प्रकार की रॉयल्टी मिली है और ना ही हम फिल्म में दिखाई गई ऊलजलूल हरकतों को एंडोर्स करते हैं। क्षतिपूर्ति के साथ साथ हमने न्यायालय से मांग की है कि वांगा के दिमाग का इलाज किसी नजदीकी सरकारी अस्पताल में सरकारी खर्चे पर करवाया जाए।”

इसके पश्चात सभी जानवरों ने वकील भेड़िया साहब का आभार व्यक्त किया। अंत में ‘वांगा मुर्दाबाद’ और ‘जंगलराज जिंदाबाद’के नारों के साथ सभा समाप्त हुई।

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