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भारत में मंकीपॉक्स के स्ट्रेन Clade 1B की एंट्री 

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           सोनी कुमारी, वाराणसी 

मंकीपॉक्स वायरस के मामले तेज़ी से बढ़ रहे है और भारत में क्लेड 1बी की  पुष्टि हो चुकी है। यूएई से लौटे केरल के एक शख्स में इस बीमारी का वेरिएंट क्लेड 1बी पाया गया है। दुबई से आए इस शख्स की उम्र 38 वर्ष है। अफ्रीकी देशों में तेज़ी से अपने पांव पसारने वाली इस बीमारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अगस्त में हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। 

       दुनियाभर के लोगों में मंकीपॉक्स वायरस को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हांलाकि रिपोर्ट के अनुसार क्लेड 1बी से ग्रस्त मरीज के साथ विमान में सवार अन्य 37 यात्रियों के अलावा उनके लगभग 29 दोस्तों और परिवार के सदस्यों की भी जांच करवाई गई। उनमें से किसी में भी कोई लक्षण नहीं पाया गया था। 

     ये एक वायरल इन्फेक्शन है, जो अफ्रीकी देशों में कहर बरपाने के बाद अब अन्य देशों में तेज़ी से फैल रहा है। इससे पहले दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में हिसार के रहने वाले युवक में क्लेड 2 वेरिएंट पाया गया था।

     *दुनिया भर में कैसे बढ़ते गए  मामले :*

क्लेड 1बी समेत भारत में मंकीपॉक्स के दो मामले कुछ दिनों के अंतराल में पाए गए हैं। गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों में भारत में एमपॉक्स ओल्ड क्लेड 2 स्ट्रेन के 30 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनकी गिनती कम संक्रामक मामलों अमें की जाती है।

      विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार साल 2022 में मंकीपॉक्स वायरल डिज़ीज़ के 100,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। उनमें 200 से अधिक लोगों की मौत हुई हैं। वहीं 2024 में इस संक्रमण से ग्रस्त लोगों की तादात बढ़ गई है और वहीं अब तक 15,600 से अधिक लोगों में संक्रमण के मामलों के अलावा 537 मौतें दर्ज की गई हैं।

*मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?* 

विश्व स्वास्थ्य यंगठन के अनुसार चूहे और बंदर जैसे जानवरों के संपर्क में आने से मनुष्यों में फैलने वाली ये बीमारी, अब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में शारीरिक संपर्क के चलते फैल रही है। इसके अलावा कच्चा मांस खाने से भी इस संक्रमण का खतरा बना रहता है। इस वायरल इंफे्क्शन के संपर्क में आने से चेचक के समान दाने, बुखार, ऊर्जा की कमी, मसल्स पेन, गले में खराश और सिरदर्द की समस्या बनी रहती है। 

     आमातौर पर इसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जो संक्रमण होने के 1 से लेकर 2 सप्ताह के बाद दिखने लगते हैं।

       सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन केअनुसार एमपॉक्स वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का हिस्सा है, जो चेचक का कारण बनता है।

       पहली बार साल 1958 में इस बीमारी की पहचान की गई थी। रिसर्च के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बंदरों के बीच दो प्रकोप थे। इसलिए इस स्थिति को मंकीपॉक्स कहा जाता है।  मानव में एमपॉक्स का पहला मामला 1970 में कांगो डेमोकरेटिक रिपब्लिक का है.

       मंकीपॉक्स की चपेट में आने से फुंसियों का सामना करना पड़ता है। फुंसियों में पस भर जाने से दर्द, जलन और खुजली बनी रहती है।

*मंकीपॉक्स के शुरूआती लक्षण :* 

क्लेड 1बी बीमारी की चपेट में आने से फुंसियों का सामना करना पड़ता है। फुंसियों में पस भर जाने से दर्द, जलन और खुजली का सामना करना पड़ता है। इससे सूजन और दर्द बढ़ने लगता है।

     सूखी खांसी की समस्या, गले में खराश, दर्द और रूखापन बना रहता है। इसके अलावा ठंड लगकर बुखार चढ़ने लगता है।

      शारीरिक अंगों में दर्द और मांसपेशियों में ऐंठन का सामना करना पड़ता है। इसके चलते सिरदर्द, कमज़ोरी और थकान बढ़ने लगती है। साथ ही सांस लेनेमें तकलीफ बढ़ जाती है।

*किन लोगों क़ो अधिक खतरा :*

वे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, वे मंकीपॉक्स क्लेड 1बी (monkeypox clade 1b) संक्रमण का शिकार आसानी से हो जाते हैं। इसके अलावा 8 साल की उम्र से कम बच्चे, गर्भवती महिलाएं और वे लोग जो एग्ज़िमा का शिकार है, उनमें इस समस्या का जोखिम बना रहता है।

      इसके अलावा यौन संबध बनाने से भी ये समस्या बढ़ने लगता है। यदि पार्टनर संक्रमित है, तो इस समस्या जोखिम बढ़ जाता है। वहीं गर्भवती महिलाओं को संक्रमण होने से उसका प्रभाव नवजात शिशु पर होता है।

*कैसे करें बचाव?*

मंकीपॉक्स क्लेड 1बी से बचने के लिए हैंड हाइजीन का खासतौर से ख्याल रखें। साथ ही घर लौटने के बाद कपड़ों को बदलें और बाहर जाने से पहले मास्क पहनें। वे लोग जो मंकीपॉक्स से ग्रस्त है, उनके संपर्क में आने से भी बचें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार चेचक यानि स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगवाने से बीमारी को 85 फीसदी तक कम किया जा सकता है।

       वे लोग जो इस वायरस की चपेट में पहले आ चुके हैं, उनमें इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है। ऐसे में उनके लिए वैक्सीन आवश्यक है। 

     वे लोग जिन्हें बचपन में चेचक का टीका लग चुका है, उनमें इस सक्रमण के मामले बेहद कम पाए जाते हैं।

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