नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में 240 सीटें हासिल करने और सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद बीजेपी के खेमे में खुशी का माहौल नजर नहीं आ रहा। वजह है पार्टी का बहुमत के आंकड़े से दूर रह जाना। एग्जिट पोल के नतीजों को देखकर बीजेपी के नेता मान रहे थे कि उन्हें 2019 की तरह 2024 में भी प्रचंड बहुमत मिलेगा, लेकिन विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। सबसे बड़ा झटका पार्टी को उत्तर प्रदेश में लगा है, जहां उसे केवल 33 सीटें ही मिल पाई हैं। पांच साल पहले हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से 62 सीटें जीती थीं। हालांकि, बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को बहुमत मिला है, लेकिन अब उसमें क्षेत्रीय दलों की अहमियत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है।
एनडीए में घटक दलों की अगर बात करें तो चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के पास सबसे ज्यादा 16 सीटें हैं। लोकसभा के साथ ही हुए आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी टीडीपी ने जबरदस्त जीत हासिल की है। ऐसे में केंद्र की नई एनडीए सरकार में टीडीपी का एक बड़ा दखल होगा। इसके बाद दूसरा नंबर जेडीयू का है, जिसके 12 सांसद हैं। सूत्रों के हवाले से बुधवार को ही ये खबर आई कि नीतीश कुमार केंद्र की नई कैबिनेट में 4 मंत्री पद मांग सकते हैं। इन दोनों के अलावा चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी, शिवसेना (शिंदे), जयंत चौधरी की आरएलडी और जेडीएस भी सत्ता में भागीदार रह सकती है। इस स्थिति में एक बात साफ है कि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भले ही एनडीए की सरकार बन जाए, लेकिन उसमें क्षेत्रीय दलों का भरपूर दखल रहेगा।
201 सीटें क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों के पास
कुछ ऐसा ही हाल विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का भी है। लोकसभा चुनाव नतीजों में इंडिया को 234 सीटें मिली हैं, लेकिन अगर इनमें से कांग्रेस की 99 और आम आदमी पार्टी की 3 सीटें हटा दें तो बाकी बची 132 सीटें क्षेत्रीय दलों के पास हैं। इनमें भी 88 सीटें तीन बडे़ क्षेत्रीय दलों- समाजवादी पार्टी (37), तृणमूल कांग्रेस (29) और डीएमके (22) को मिली हैं। इसके बाद शिवसेना (यूबीटी)- 9, एनसीपी (शरद पवार)- 8, आरजेडी- 4, सीपीएम- 4 और जेएमएम की 3 सीटों सहित दूसरे क्षेत्रीय दलों का नंबर है। 2024 के चुनाव नतीजे बताते हैं कि इस बार 18वीं लोकसभा में 194 सीटें क्षेत्रीय दलों और 7 निर्दलीयों के पास गई हैं।