शशिकांत गुप्ते
आज सीतारामजी ने कहा उन्होंने शब्दकोश इंग्लिश के शब्द Model (मॉडल) का हिंदी में अनुवाद पढ़ा। मॉडल को हिंदी में नमूना,ढाँचा, प्रतिकृति और प्रारूप।
मैने पूछा आज यकायक मॉडल पर इतनी तवज्जों क्यों दी जा रही है।
सीतारामजी ने कहा मॉडल पर तो पिछले लगभग दस वर्षों से खूब शोर शराबा हो रहा है।
सीतारामजी ने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, शोर शब्द से एक शायर हैदर अली आतिशजी
एक शेर याद आ गया।
बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का
जो चीरा तो इक क़तरा-ए-खूँ न निकला
सीतारामजी ने यह पढ़कर आगे कहा बहुत सी बार नमूना अच्छा दिखाई देता है या दिखाया जाता है लेकिन अदंर का माल खराब निकलता है।
अब देखों नमूने का पिछले दस वर्षों से ढिंढोरा पीटा गया। सन 2014 में यही नमूना दिखा कर सफलता प्राप्त हुई है।
नमूने की पोल एक झूलते पुल ने खोल दी है। विकास के नमूने में अस्पताल स्वयं ही बीमार हालत पाया जाता है।
अस्पताल को रँग रोगन नामक औषधि का मूलम्मा चढ़ाया जाता है। तब कहीं विज्ञापन कर्ता पीड़ितों को शाब्दिक मरहम लगाने जा पातें हैं।
झूलता पुल के टूटने का कारण दार्शनिक है। ईश्वरीय लीला है।
यह प्रकृति का कोप नहीं है।
एक आलोचक का कहना है कि नमूने के विज्ञापन कर्ता की आदत है। जो इस सुवाक्य में प्रकट होती है।
किसी की बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल उस मख्खी की तरह होती है जो खूबसूरत जिस्म को छोड़कर केवल जख्म पर ही बैठती है
जो भी हो झूलते पुल के टूटने के बाद परलोक सिधार गए देशवासियों के प्रति संवेदनाएं प्रकट करते हुए उम्मीद की जाती है कि जाँच निष्पक्ष ही होगी।
कहीं ऐसा ना हो जैसे कि शायर
हैदर अली आतिशजी ने इस शेर में बयाँ किया है।
पेश तो होगा अदालत में मुक़दमा बे-शक
जुर्म क़ातिल ही के सर हो ये जरूरी नहीं
इसलिए सिर्फ नमूना देख कर कोई भी व्यवहार नहीं करना चाहिए।
शशिकांत गुप्ते इंदौर