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किसान हितैषी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का चेहरा हुआ बेनकाब

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पुलिस को इशारा देकर बेकसूर किसानों पर करवाया लाठीचार्ज*
विजया पाठक,

एडिटर, जगत विजन
अपने आपको किसान, किसान पुत्र और किसान हितैषी छत्‍तीसगढ़ के मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल का सिर्फ ढोंग है। आखिरकार खुद को किसानों का हितैषी बताने वाली छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार का असली चेहरा सामने आ गया है। खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनकी सरकार किसानों की कितनी चिंता है उसका पता पिछले दिनों चल गया। जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मिलने गये किसानों के ऊपर हुए लाठीचार्ज किया गया। इस लाठीचार्ज में कई किसान घायल हो गए। किसानों के साथ पशुओं के समान वर्ताव किया गया। जैसे पशुओं के लिये बाड़ा बना दिया जाता है वैसे ही किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिये बाड़ा बना दिया गया। ऐसा अन्‍न दाताओं के साथ वर्ताव से पूरे देश का मान नीचे चला गया है। यह देश के अन्‍न दाताओं साथ किसान पिछले कई दिनों से अपनी 09 मांगों को लेकर धरने पर बैठे हैं।

किसानों के ऊपर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारे पर दुर्व्यहार किया गया। दरअसल पिछले दिनों किसानों का एक बड़ा जत्था राहुल गांधी से मिलने एयरपोर्ट पहुंचा था। हजारों की संख्या में किसानों को देख पुलिस ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इशारे पर न सिर्फ किसानों को राहुल गांधी से मिलने से रोकने की कोशिश की बल्कि उनके साथ सख्ती का प्रदर्शन भी किया। यही नहीं राहुल गांधी से किसानों की मुलाकात रोकने के पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सख्त रवैया था। किसानों के साथ हर मुद्दे से कंधे से कंधा लगाकर लड़ने वाले राहुल गांधी को उनके ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नीचा दिखा दिया। इस पूरे वाक्‍या के पीछे की कहानी कुछ और ही है। भूपेश बघेल को इस बात का भय था कि कहीं किसान राहुल गांधी से मिलकर राज्य में फैले भ्रष्टाचार और किसानों के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार का भांडा न फोड़ दें। इसलिए भूपेश बघेल ने किसानों को राहुल गांधी से नहीं मिलने दिया। बावजूद उसके किसानों ने अपना संघर्ष जारी रखा और पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड को तोड़ते हुए आगे बढ़ने की कोशिश की। दिनांक 05-10-2021 के दिन को शायद भूपेश बघेल खुद ही भूल गये। इस दिन लखीमपुर खिरी में हुई घटना के विरोध स्वरुप पीडितों से मिलने जाना था, पर इनको लखनऊ हवाइअड्डे पर ही सरकार द्वारा रोक दिया गया था। यह कदम अगर उस समय गलत था तो किसानों का हितैषी बताने वाली छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपनी मांगों के लिये राहुल गांधी से मुलाकात कर अपनी मांगों का पत्र देने वालो किसानों की आवाज क्यों दबाई। भूपेश बघेल का अब असली चेहरा सामने आ गया है।
घायल हुए कई किसान नेता- किसान तेजराम साहू ने बताया कि किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल राहुल गांधी से मुलाकात कर समस्या बताना चाहता था। इसके लिए जिला कलेक्टर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम को पत्र लिखा गया था। लेकिन राहुल गांधी से मुलाकात करवाने के बजाए किसानों को जगह-जगह बैरिकेड लगाकर रोका गया। एनआरडीए बिल्डिंग से आगे निकलने पर कायाबंद चौक में बैरिकेडिंग की गई थी। किसान बैरिकेड को तोड़ते हुए आगे बढ़े। इसके बाद एयरपोर्ट की बाउंड्री से लगे बरोदा गांव में एक और बैरिकेड लगाया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि रैली में आगे युवाओं पर लाठीचार्ज किया गया। पुलिस के लाठीचार्ज की घटना में कई किसान घायल हो गए।
मुख्यमंत्री को पहले ही अवगत करा चुके हैं किसान- किसान आंदोलन के प्रमुख रूपन चंद्राकर के अनुसार रैली में हजारों किसान शामिल थे। जो राहुल गांधी से मिलना चाहते थे। लेकिन पुलिस ने रोक दिया। सीएम बघेल ने एयरपोर्ट पर ही 11 किसानों के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा की। इसके बाद किसान नेता ने कहा कि सीएम के आश्वासन से हम संतुष्ट नहीं हैं। किसानों का आन्दोलन आगे भी चलता रहेगा।
बड़ा आंदोलन करने की है तैयारी- अपने अड़ियल स्वभाव के लिए खास पहचान रखने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की बात से किसान नेता बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हैं। क्योंकि वो इस बात को भलीभांति जानते हैं कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सिर्फ बतौले बाज मुख्यमंत्री हैं। जो मीठी बात करते हैं, लेकिन आजतक उन्होंने किसानों के हित में कोई ऐसा फैसला नहीं लिया, जिससे किसान उन्हें अपना आदर्श मुख्यमंत्री बता सकें। किसान नेताओं ने तो यहां तक कहा है कि यदि राज्य सरकार उनकी मांगें जल्द नहीं मांगती तो वो दिन दूर नहीं जब किसान इस शांतिप्रिय आंदोलन को वृहद स्वरूप दे दे।
लंबित 9 मांगों को लेकर दे रहे धरना- कई सालों से लंबित अपनी 09 मांगों को लेकर नवा रायपुर क्षेत्र के 27 गांवों के किसान आंदोलन कर रहे हैं। आंदोलन के जोर पकड़ने के बाद क्षेत्रीय विधायक और नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया ने बात करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उनके तरीके से ग्रामीण भड़क गए।
इन मांगों को लेकर चल रहा है आंदोलन- नवा रायपुर पुनर्वास योजना के अनुसार अर्जित भूमि के अनुपात में उद्यानिकी, आवासीय और व्यावसायिक भूखंड पात्रतानुसार निःशुल्क मिलने के प्रावधान का पालन किया जाए।
·भू-अर्जन कानून के तहत हुए अवार्ड में भू-स्वामियों को मुआवजा प्राप्त नहीं हुए हैं, उन्हें बाजार मूल्य से 04 गुना मुआवजा मिले।
·नवा रायपुर क्षेत्र में ग्रामीण बसाहट का पट्टा मिले।
·वार्षिकी राशि का पूर्णरूपेण आवंटन किया जाए।
·पुनर्वास पैकेज 2013 के तहत सभी वयस्कों को मिलने वाला 1200 वर्गफीट प्लॉट दिया जाए।
·साल 2005 से भूमि क्रय-विक्रय पर लगे प्रतिबंध को तत्काल हटाया जाए।

·आबादी से लगी गुमटी, चबूतरा, दुकान, व्यावसायिक परिसर को 75 प्रतिशत प्रभावितों को लागत मूल्य पर देने के प्रावधान का पालन किया जाए।
एक तरफ भूपेश बघेल अपने समस्त भ्रष्टाचारी, दागी अफसर, जो वास्तविक सरकार चलाते हैं, उनके सलाहकार हो या उनके पैसे इक्कठा करने वाले एजेंट, सबको उस दौरे से दूर रखा गया। छत्तीसगढ में इस समय सिर्फ भ्रष्टाचार, दमन, अत्याचार का राज है और भूपेश बघेल किसी राजा के माफिक राज्य चला रहे हैं। भ्रष्टाचार और अय्याशी में डूबे मुख्यमंत्री ने अपने ऊपर सभी आवाज को दबाकर रख दिया है। कांग्रेस आलाकमान भी मानो आंख मूंदकर बैठी है। छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री की जो मीडिया परसेप्टेशन वाली इमेज जिसके लिए करोडों पैसे विज्ञापन में खर्च किए जा रहे हैं, उसका कोई औचित्य आगे नहीं रहेगा। यह कांग्रेस आलाकमान को समझना होगा अन्यथा आने वाले चुनाव में छत्तीसगढ़ की जनता इस भ्रष्ट, विनाशी मुख्यमंत्री और इनकी सरकार को सबक सिखाएगी।

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