~ डॉ. प्रिया
एस्ट्रोजन महिलाओं की रिप्रोडक्टिव हेल्थ के लिए एक जरूरी हॉर्मोन है। यह फीमेल रिप्रोडक्टिव और सेक्सुअल एक्टिविटीज को भी रेगुलेट करता है। एस्ट्रोजन हृदय और हड्डियों की सेहत के लिए भी महत्वपूर्ण है। परंतु कई बार बॉडी के कुछ रिस्पांस ऐसे होते हैं, जिनकी वजह से एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ जाता है।
इसका अधिक होना भी आपकी सेहत को नकारात्म ढंग से प्रभावित करता है। इस लेख में जानते हैं क्यों बढ़ने लगता है महिलाओं में एस्ट्रोजन हॉर्मोन और क्या हो सकते हैं इसके जोखिम। साथ ही जानेंगे इसे संतुलित करने के उपाय।
*क्यों जरूरी है एस्ट्रोजन का संतुलित स्तर?*
शरीर में हॉर्मोन का बढ़ना या घटना दोनों ही आपके लिए परेशानियां खड़ी कर सकते हैं। ऐसे में बढ़ते एस्ट्रोजन लेवल के पीछे के कारणों का पता होना बहुत जरूरी है।
सबसे पहले यह समझना होगा कि आखिर कौन से संकेत बताते हैं, कि शरीर में एस्ट्रोजन बढ़ गया है। तब इसे मैनेज करने की बात आती है।
महिलाओं में बढ़ते एस्ट्रोजन हॉर्मोन के लक्षण हैं :
~टेंडर ब्रेस्ट
~सिर दर्द
~वेट गेन
~लाइट और हैवी मेंस्ट्रुअल ब्लीडिंग
प्रीमेंस्ट्रूअल सिंड्रोम
~ब्रेस्ट में फाइब्रसिस्टिक लम्प आना
यूट्रस में फाइब्रॉइड्स होना
~जरूरत से ज्यादा थकान
~सेक्स ड्राइव में कमी
~डिप्रेस्ड और एंग्जाइटी की भावना
इसलिए बढ़ने लगता है कुछ महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर :
1. आपका शरीर बहुत अधिक एस्ट्रोजन बना रहा है।
2. आप जो दवा ले रही हैं उसमें आपको बहुत अधिक एस्ट्रोजन मिल रहा है।
3. आपका शरीर एस्ट्रोजन को तोड़ने में असमर्थ है।
कुछ दवाएं एस्ट्रोजन के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं।
फैट टिश्यू एस्ट्रोजन छोड़ती हैं, शरीर में फैट का बढ़ता स्तर उच्च एस्ट्रोजन का कारण बन सकता है।
शराब एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ा देती है और एस्ट्रोजन को टूटने से रोक सकती है।
सिंथेटिक केमिकल्स जो एस्ट्रोजेन, या ज़ेनोएस्ट्रोजेन की तरह काम करते हैं, एस्ट्रोजेन की नकल कर सकते हैं, जिससे यह आभास होता है कि आपके एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ गया है। ज़ेनोएस्ट्रोजेन प्लास्टिक, क्लींजिंग प्रोडक्ट्स, साबुन और शैंपू में पाए जाते हैं।
तनाव कोर्टिसोल के माध्यम से आपके एस्ट्रोजन स्तर पर प्रभाव डालते हैं। कोर्टिसोल तनाव की प्रतिक्रिया के रूप में उत्पन्न होता है। उच्च कोर्टिसोल स्तर आपके शरीर को एस्ट्रोजन के स्तर को संतुलित करने के लिए पर्याप्त प्रोजेस्टेरोन बनाने से रोकता है।
*हाई एस्ट्रोजन के दुष्प्रभाव और बचाव :*
महिलाओं में एस्ट्रोजन का उच्य स्तर उनके वजन बढ़ने, मूड स्विंग्स और गंभीर प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) का कारण बन सकता है। वहीं पुरुषों में, यह इर्रेक्टाइल डिस्फंक्शन का कारण बन सकता है।
*1. फैट रिडक्शन जरुरी :*
आपके शरीर में फैट के कम होने से आपके फैट सेल्स द्वारा स्रावित एस्ट्रोजन की मात्रा कम हो सकती है। अपने वजन को लेकर पोषण विशेषज्ञ से बात करें, कि शरीर में वसा के प्रतिशत को सुरक्षित रूप से कैसे कम किया जाना चाहिए ताकि आपको आवश्यक पोषक तत्व मिलते रहें और बॉडी में एक्स्ट्रा फैट भी जमा न हो.
*2. स्ट्रेस मैनेजमेंट :*
बढ़ते स्ट्रेस के साथ बॉडी अधिक मात्रा में कोर्टिसोल रिलीज करना शुरू कर देती है। ऐसे में आपके शरीर में पैदा होने वाले स्ट्रेस हार्मोन की मात्रा में कमी से आपके एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन के स्तर को संतुलित रखने में मदद मिल सकती है।
*3. स्वस्थ आहार :*
हेल्दी डाइट लगभग सभी परेशानियों का एक उचित समाधान है। सिमित मात्रा में रिफाइंड शुगर के साथ कम फैट, उच्च फाइबर वाले आहार से आपके लीवर के लिए एस्ट्रोजन को प्रोसेस करना आसान हो जाता है। इस प्रकार बॉडी में एस्ट्रोजन के स्तर को संतुलित रखने में मदद मिलती है।
*4. शराब से परहेज :*
शराब के सेवन से या इनसे पूरी तरह से परहेज रखने से आपके लीवर को एस्ट्रोजन को तोड़ने में मदद मिलती है। ऐसे में आपके लिए एस्ट्रोजन को संतुलित रखना आसान हो जाता है।
*5. सिमित रखें कैफीन का कंजम्पशन :*
कैफीन का आपके एस्ट्रोजन के स्तर पर अलग-अलग प्रभाव होता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप मासिक धर्म चक्र के किस भाग में हैं और आप कितनी कैफीन का सेवन करती हैं। यह स्पष्ट है कि कैफीन एस्ट्रोजन के स्तर को प्रभावित करता है।
यदि आप अपने हार्मोन को संतुलित रखना चाहती हैं, तो इससे परहेज रखने से आपके एस्ट्रोजन के स्तर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।