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फीमेलवर्ल्ड : सावधान! अनसेफ़ है इंटीमेट एरिया की ब्लीचिंग

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         सोनी कुमारी, वाराणसी 

इंटिमेट एरिया का रंग प्राकृतिक रूप से डार्क होता है। इसका टोन नॉर्मल स्किन टोन से गहरा होता है। यह पूरी तरह से नॉर्मल है। बहुत सी महिलाएं इसको लेकर संकोच करती हैं, पर ऐसा नहीं होना चाहिए।

     वेजाइना की डार्क स्किन के पीछे कई चीजें जिम्मेदार हो सकती हैं। ऐसा अत्यधिक मेलेनिन, शेविंग, सूरज के संपर्क और आनुवंशिक कारकों के कारण भी हो सकता है।

   कुछ महिलाएं वेजाइना के टोन को बढ़ाने के लिए व्हाइटनिंग क्रीम का इस्तेमाल करना शुरू कर देती हैं।  तरह-तरह के ब्रैंड वेजाइनल व्हाइटनिंग क्रीम लॉन्च हो चुके हैं. बाजार में भी ये आसानी से मिल जाता है। पर क्या आपने इसके इस्तेमाल से पहले ये जानने की कोशिश की है यह कितना सुरक्षित है? यदि नहीं तो आपको इसके बारे में पता होना चाहिए।

   सेक्सोलोजिस्ट और गायनेकोलोजिस्ट डॉ गीता ने वेजाइनल व्हाइटनिंग क्रीम से संबंधी कुछ जरूरी जानकारी दी है। तो चलिए जानते हैं, ये कितना सुरक्षित है।

 *वेजाइनल लाइटनिंग क्रीम के साइड इफेक्ट्स :*

    वेजाइना की स्किन बेहद संवेदनशील होती है, परंतु फिर भी लोग इसके स्किन टोन को लाइट करने के लिए तरह-तरह के प्रोडक्ट्स जैसे कि वेजाइनल व्हाइटनिंग क्रीम, वेजाइनल ब्लीचिंग आदि का इस्तेमाल करते हैं। जिसके कई दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं।

  *1. स्किन इरिटेशन और इन्फ्लेमेशन :*

     ब्लीच हो या फिर वेजाइनल व्हाइटनिंग क्रीम इन दोनों में तरह-तरह के केमिकल्स मौजूद होते हैं। जैसा कि आप जानती है, वेजाइना की त्वचा कितनी संवेदनशील होती है और इन पर किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल बेहद हानिकारक हो सकता है।

    इस स्थिति में स्किन रेडनेस, इचिंग, बर्निंग सेंसेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं वेजाइना में सूजन भी आ जाती है।

*2. एलर्जिक रिएक्शन :*

     ज्यादातर महिलाओं को ब्लीचिंग और वेजाइनल व्हाइटनिंग प्रोडोडक्ट्स में मौजूद तत्वों से एलर्जी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप चकत्ते, पित्ती या इससे भी अधिक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।

*3. सेंसिटिविटी रिलेटेड इफेक्ट :*

     इंटिमेट एरिया पहले से ही संवेदनशील होती है, ऐसे में स्किन व्हाइटनिंग, ब्लीचिंग के कुछ तरीके संवेदनशीलता को और बढ़ा सकते हैं। इससे महिलाओं को सेक्सुअल एक्टिविटी या अन्य शारीरिक संवेदनाओं के दौरान असुविधा का अनुभव हो सकता है।

*4. नेचुरल pH की डिस्बैलेसिंग :*

      व्हाइटनिंग और ब्लीचिंग एजेंट का उपयोग इंटिमेट एरिया में प्राकृतिक pH बैलेंस और लाभकारी बैक्टीरिया को असंतुलित कर सकता है, जिससे संभावित रूप से संक्रमण या अन्य असंतुलन का खतरा बढ़ सकता है।

*5. स्किन पर परमानेंट मार्क्स*

     स्किन व्हाइटनिंग प्रोडक्ट्स के गलत या अत्यधिक उपयोग से त्वचा को नुकसान पहुंचता है। इससे त्वचा की रंगत में कोई बदलाव नहीं आता, परंतु इनके साइड इफेक्ट्स के तौर पर त्वचा पर और ज्यादा दाग धब्बे जरूर हो सकते हैं। जिसे दूर करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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