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बराबरी के नाम पर पुरुष बनने से खत्म हो रहा है स्त्रीत्व 

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    ~ पुष्पा गुप्ता 

मेरी पोस्ट पर बहुत सारे लोग अपने विचार व्यक्त करते हैं. कोई समर्थन में कोई असहमति में. कुछ कुत्ते टाइप लोग ट्रोल करने से भी पीछे नहीं रहते.

    असहमति का तो स्वागत हमेशा करती हूं क्योंकि मैं जो लिखती हूं वो मेरा अनुभव है.  किसी दूसरे का अनुभव मुझसे अलग हो सकता है । दूसरी बात यूनिवर्सल truth जैसी कोई चीज exist नहीं करती अधिकतर सामाजिक मामलों में. इसलिए अपवाद हमेशा मौजूद रहता है। 

    मैं जब कुछ लिखती हूं तो ज़ाहिर है कि अधिक लोगों की बात करती हूं अपवाद स्वरूप मौजूद लोगों की नहीं. इसलिए ट्रोल करना या तारीफ़ के बहाने व्हाट्सएप में घुसने की कोशिश मत कीजिए.

    बहुत सारी पोस्ट मैं ऐसी देखती हूं कि गुस्से और क्षोभ से भर जाती हूं. लेकिन कई बार टिप्पणी करके समय बर्बाद करने से बचती हूं. यह बात मेरी पोस्ट के साथ भी अपनाई जा सकती है.

अब बात मेरी एक पोस्ट की जिसकी वज़ह से मैंने उसे लिखा था :

   उदाहरण 1

लड़की बहुत अच्छी जॉब में है और अच्छे परिवार से है। बहुत इंतज़ार के बाद योग्य वर की तलाश पूरी हुई पर किसी वज़ह से दोनों की शादी लंबी नहीं चल सकी।

    लड़की एक ऐसे लड़के के साथ जुड़ी जो पहले से शादीशुदा है और दो बच्चों का पिता है। ज़ाहिर सी बात है दोनों की रजामंदी से रिश्ता आगे बढ़ा और यह नितांत ही व्यक्तिगत मामला है दो एडल्ट लोगों के बीच का। लेकिन यह क्या बात हुई कि लड़का लड़की और उसके रिश्ते की बात सार्वजनिक कर रहा, विश्वास दिलाने के लिए दोस्तों के सामने उस लड़की से बात भी कर रहा। 

    लड़की तो सिंगल है लेकिन उस लड़की के चरित्र पर सवाल उठाते हुए क्या उसे जरा भी भय है कि दोस्त या लोग उसके बारे में क्या सोचेंगे जिसकी बीवी और बच्चे हैं। दूसरा क्या यह लड़की के भरोसे के साथ विश्वासघात नहीं है…?

उदाहरण -2

     पति पत्नी और चार बच्चे..एक दिन पत्नी और परिवार को पता चलता है कि कई बरस से पति का किसी दूसरी अविवाहित स्त्री से संबंध है। 

     जैसा कि अक्सर होता है लड़ाई झगड़ा हंगामा सब होने के बाद पत्नी घर छोड़कर जाने की धमकी देती है और पति कहता है अपने बच्चों को भी साथ ले जाना। क्योंकि पत्नी पति पर निर्भर थी इसलिए बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए पूरी उम्र उसी पति के साथ निकाल दी। उन आंखों की उदासी को पढ़ने वाला था कोई????

उदाहरण 3

    पति पत्नी और तीन बच्चे। स्त्री की 18 साल की उम्र में शादी और 25 की उम्र तक दो बच्चे और फिर अगले पंद्रह वर्ष का सिर्फ बच्चों की परवरिश। दो तीन महीने में जब पति का मन करता वो पास आता और फ़िर अगले दो तीन महीने के लिए छुट्टी। 

     इसी बीच स्त्री के जीवन में कोई लड़का आता है जो उसे वह सबकुछ दे रहा था जो पति से नहीं मिल रहा था। धीरे धीरे नजदीकियां बढ़ती गई और स्त्री अब असल में प्रेम में थी । वह जो महसूस कर रही थी ऐसा उसने पहले कभी महसूस नहीं किया था। विवाहित होते हुए ऐसे रिश्तें बनाना जाहिर तौर पर सही नहीं था।

     एक साथ दो नाव की सवारी करने पर डूबना तो तय था ही। बहुत समझाने के बाद भी स्त्री को समझ नहीं आ रहा था कि वो जिस रास्ते चल रही वहां से सिर्फ़ लहूलुहान होकर लौटेगी। वही हुआ लड़के ने ब्लैकमेल करते हुए उसकी सारी सैलरी किसी न किसी बहाने ले लेता, उसे गन्दी गालियां देता कि पति के रहते हुए उसके करीब आई और जाने ऐसे कितने लोगों के साथ सोई होगी।

      थप्पड़ मारने से लेकर मेंटली टॉर्चर करने तक कुछ भी नहीं छोड़ा। गलती का एहसास हुआ लेकिन दिल अब भी उसके लिए तड़प रहा था। अंततः पीड़े से उबरने के लिए ख़ुद को शराब के हवाले कर दिया। 

ऐसे न जाने कितने उदाहरण हैं जिन्हें देखते हुए उम्र निकल रही है। मैंने अपनी पोस्ट में स्त्रियों को सचेत किया है बस क्योंकि मैंने अधिकतर स्त्रियों को ही बर्बाद होते हुए देखा है। पति बाहर गया तो और वो ख़ुद बाहर गई तो भी उनके हाथ पल दो पल की खुशी के बदले ढेर सारा दर्द आता है.

      आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के बाद बहुत सारे बदवाल स्त्रियों में भी दिख रहे लेकिन यह बदलाव सकारात्मक हो तो बेहतर वरना हर बात में पुरुषों की बराबरी करने में कहीं ऐसा न हो कि हमारे हाथ कुछ भी न आएं.

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