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किस बात के लिए क्षमा ? किस बात का प्रायश्चित ?

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रमेश जोशी

अभी चाय नहीं आई है लेकिन तोताराम आ गया है । मौन । कुछ नहीं बोल रहा है । आँखें भी बंद-सी, कुछ झुकी हुई । कई देर हो गई । हमें अजीब लगाने लगा । पूछा- क्या बात है ? क्या रात को नींद नहीं आई जो अब ऊंघ रहा है । ठीक है चाय फ्री की है फिर भी आदमी नींद पूरी लेनी चाहिए । विशेषज्ञों का मानना है कि पूरी नींद न लेने से हार्ट कमजोर हो जाता है और निर्णय लेने की क्षमता दुष्प्रभावित होती है ।

बोला- यह सामान्य आदमियों की बात है । महान पुरुष मानवता की सेवा में इतने व्यस्त रहते हैं कि नींद लेना ही भूल जाते हैं । मोदी जी केवल 2 घंटे सोते हैं लेकिन निर्णय लेने में क्या कमी है । चार घंटे में नोटबंदी का निर्णय ले लेते हैं । इसीलिए कहा गया है- यः जागर्ति सः पण्डितः ।

लेकिन मैं सो नहीं रहा हूँ । मैं तो मौन प्रायश्चित कर रहा हूँ ।

हमने कहा- कोई बात नहीं । कभी कभी सबसे कुछ न कुछ अप्रिय और अशोभनीय हो जाता है। कोई बात नहीं। हमने तुझे क्षमा किया । क्षमा बड़न को चाहिए, छोटन को उत्पात।

बोला- मैं तुझसे कोई क्षमा नहीं मांग रहा हूँ । मैं तो राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा से पहले मोदी के समर्थन में अनुष्ठान कर रहा हूँ । तुझे पता नहीं, रोज हनुमान जी के एक मंदिर में जाता हूँ।आज पता चला कि कल मोदी जी ने प्रायश्चित किया । सो मैं भी आज प्रायश्चित कर रहा हूँ।

हमने पूछा- प्रायश्चित कर रहा है तो तीन रात लकड़ी की चौकी पर एक कंबल बिछाकर सो । वैसे मोदी जी तो बड़े दयालु हैं, 35 साल तो भीख मांगकर गुजर किया है । उनसे क्या पाप हो सकता है जो प्रायश्चित कर रहे हैं।

बोला- वह तो मेरे वश का नहीं है । मोदी जी की बात और है। वे तो साधु और योगी है। अब भीख नहीं मांगते । अब मोदी जी राजा हो गए हैं । प्राणप्रतिष्ठा कर रहे हैं। यज्ञ कर रहे हैं। सो यह भी एक विधान होता है । और फिर राजा को इतनी व्यवस्थाएं देखनी-करनी होती हैं । कुछ न कुछ पाप तो हो ही जाता है।

हमने कहा- तो फिर एक ‘मन की बात’ देश-दुनिया से क्षमा मांगने पर ही कर लें।

बोला- एक तो पुरुष, दूसरे महामानव, तीसरे इतने बड़े आदमी, चौथे दृढ़ प्रतिज्ञ लौह पुरुष की छवि ।वैसे क्षमा मांगना भी महानता का लक्षण है। जैन धर्म में तो यह एक वार्षिक कार्यक्रम होता है । यह तो वे ही जानें कि वह मन से होता है या केवल कर्मकांड।

ऐसे में इस बहाने से प्रायश्चित स्वरूप, न सही खुले में, मन ही मन क्षमा मांग लें तो भी मन को शांति मिलेगी । इसके बाद 2025 में तो संघ की जन्म शती मन जाएगी, हिन्दू राष्ट्र का लक्ष्य भी पूरा हो जाएगा और मोदी जी 75 वर्ष के हो जाएंगे । सन्यास का भी यही समय होता है । तो झोली उठाने से पहले, भले ही मन ही मन ही सही क्षमा और प्रायश्चित वाला काम भी कर ही लेना चाहिए।

हमने कहा- लेकिन किस बात के लिए क्षमा ? किस बात का प्रायश्चित ? यदि इस देश में किसीसे कोई गलती या अपराध हुआ है तो वे हैं पहले नेहरू, उसके बाद गांधी । मोदी जी ने क्या किया है।

बोला- वैसे तो कुछ खास नहीं फिर भी उनके मुख्यमंत्री रहते गुजरात दंगों में हजारों विधर्मी मारे गए, बिलकिस बानो के साथ जघन्य अपराध हुआ और उसके अपराधियों की रिहाई भी एक अपराध ही थी, प्रधानमंत्री काल में नोटबंदी, किसान आंदोलन और तालाबंदी में हजारों लोग मारे गए, मणिपुर में महिलाओं से साथ अमानवीय अपराध हुए, महिला पहलवानों के साथ धोखा किया गया । ये सब क्षमा और प्रायश्चित के कारण तो बनते हैं। आगे साहब की मर्जी।

हमने कहा- जब प्रायश्चित कर ही रहे हैं भले हमारा डी ए का 18 महिने का एरियर न दें लेकिन अयोध्या में कॉरीडोर, सड़क चौड़ीकरण आदि के नाम पर जिनके घर, दुकान आदि हटा दिए गए हैं कम से कम उनका पुनर्स्थापन तो ढंग से करवा दें।

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