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अय्याशी से भरी है भगोड़े ललित मोदी की पूरी जिंदगी

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ललित कुमार मोदी आज भले ही भगोड़े का जीवन जीने को मजबूर हो, लेकिन एक वक्त था जब भारतीय क्रिकेट में उनकी तूती बोलती थी। उन्होंने देश में इस खेल को अभूतपूर्व व्यावसायिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इंडियन प्रीमियर लीग को उन्हीं की दिमागी उपज माना जाता है। ललित मोदी अपने आप में एक कानून थे। इस विवादित शख्सियत को उनकी कार्यशैली के लिए जाना जाता था जो अक्सर लोगों को गलत लगता था। बावजूद इसके किसी की हिम्मत नहीं थी कि रोक पाए। आज वह मशहूर बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन को डेट करने के चलते सुर्खियों में हैं।

दादा ने बसाया पूरा शहर
दिल्ली के एक प्रभावशाली बिजनेस क्लास परिवार में जन्में ललित कुमार मोदी कभी मेधावी छात्र नहीं थे, बल्कि वास्तव में एक चतुर व्यवसायी थे। ललित का जन्म 29 नवंबर 1963 को कृष्ण कुमार मोदी के घर में हुआ था। उनके दादा, राज बहादुर गुजरमल मोदी, गाजियाबाद के पास स्थित शहर मोदीनगर के संस्थापक थे और उन्होंने ही मोदी एंटरप्राइजेस की शुरुआत की थी। केके एंटरप्राइजेस का अरबों का साम्राज्य था।

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मां की सहेली से शादी
अमेरिका से भागकर भारत लौटने के बाद वह पिता केके मोदी के धंधे में लग गए। हालांकि, पिता के किसी भी प्रोजेक्ट में ललित का मन नहीं लगा। और जल्द ही, वह अपने रास्ते पर निकल गए। 1992 तक, मोदी भारत की सबसे बड़ी तंबाकू कंपनियों में से एक, गॉडफ्रे फिलिप्स इंडिया के कार्यकारी निदेशक रहे हैं, लेकिन स्पोर्ट्स और इंटरमेनमेंट वर्ल्ड उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता रहा। 1991 के आसपास उन्होंने अपनी मां की एक दोस्त मीनल से शादी की, जिनसे वह उस समय मिले थे जब वह अमेरिका में पढ़ते थे। मीनल उनसे नौ साल बड़ी और नाइजीरियाई व्यक्ति से तलाकशुदा थीं।

ऐसे हुई भारतीय क्रिकेट में एंट्री
ललित मोदी 1999 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन में शामिल हो गए, जब उन्होंने एक क्रिकेट स्टेडियम बनाने का वादा किया, जिसका उपयोग भारतीय टीम गर्मियों में क्रिकेट खेलने के लिए करती। जल्द ही वह अपने वादे पर अमल करना शुरू हो गए। तब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री धूमल ने अपने ही बेटे को राज्य के क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में स्थापित किया। 1996 में, उन्होंने BCCI को एक सीमित ओवर की क्रिकेट लीग की पेशकश की, लेकिन बीसीसीआई अध्यक्ष जगमोहन डालमिया ने इसे ठुकरा दिया।

शरद पवार की मदद, डालमिया से पंगा
ललित मोदी की बीसीसीआई में प्रवेश करने की कई कोशिशें 2004 में जाकर सफल हुई। कहा जाता है कि मोदी को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कई नियम ही बदल दिए। 40 साल में पहली बार आरसीए के चुनाव हुए। ललित मोदी की जीत कई लोगों को पची नहीं। 2005 में, मोदी बीसीसीआई चुनावों में शरद पवार और जगमोहन डालमिया के बीच सत्ता संघर्ष में दिखाई दिए। वह शरद पवार के पक्ष में थे जब उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में जगमोहन डालमिया को उखाड़ फेंका। इस वफादी का फल मोदी को मिला, पवार ने उन्हें उपाध्यक्ष बना दिया। तब वह बीसीसीआई के सबसे कम उम्र के वाइस प्रेसिडेंट बने थे।

फिर रखी IPL की बुनियाद

दो साल बाद, भारत ने नवेली टीम के साथ टी-20 विश्व कप जीता। मोदी को बीसीसीआई को यह समझाने की जरूरत थी कि यह आईपीएल शुरू करने का सही समय है। 2008 में, मोदी ने बॉलीवुड, क्रिकेट और अपने इंटरनेशनल बिजनेस टायकून दोस्तों की मदद से इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) खड़ा कर दिया। यहां से सब कुछ बदल गया और मोदी सुपर-पावर लीग में पहुंच गए। मोदी ने भारतीय क्रिकेट को अरबों डॉलर कमवाकर दिए।

भ्रष्टाचार और धांधली के आरोप

शुरुआती दो सीजन की जबरदस्त सफलता के बाद ललित मोदी के जलवे भी सातवें आसमां में पहुंच चुके थे। मोदी और बीसीसीआई के रिश्ते धीरे-धीरे खराब होते गए। तीसरे सीजन की क्लोजिंग पर उन्होंने लीग को पारदर्शी और साफ-सुधरा बताया। मगर माहौल खराब होने लगा लगा था। विपक्ष के दावे थे कि लीग मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध सट्टेबाजी का अड्डा बन चुकी है। प्रदर्शनकारियों ने मोदी और शरद पवार का पुतला फूंका। ललित मोदी पर आईपीएल की बोली में कमिशन खाने का आरोप था। उन पर दो टीमों में छद्म हिस्सेदारी रखने का भी आरोप था। सोनी को आईपीएल प्रसारण राइट्स बेचने में भी पैसे लेने के गंभीर आरोप लगे थे। गिरफ्तारी की तलवार लटकता देख उन्होंने भारत छोड़कर ब्रिटेन में शरण ले ली। तब से वही रह रहे हैं।

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