~ सुधा सिंह
आयुर्वेद में लहसुन को बादशाह की संज्ञा दी गई है. वास्तव में यह स्वास्थ्य रक्षा का बादशाह है.
लहसुन की उत्पत्ति मध्य एशिया से मानी जाती है। आज लहसुन भारत, चीन, फिलीपीन्स, ब्राजील, मैक्सिको आदि सभी देशों में बहुत बड़े पैमाने पर पैदा होता है। लहसुन में खनिज एवं विटामिनों की काफी अधिक मात्रा होती है। इसमें आयोडीन, गंधक, क्लोरीन, कैल्शियम, फाॅस्फोरस, लोहा, विटामिन ‘सी’ ‘बी’ काफी मात्रा में पाए जाते हैं।
रोग निवारक गुणों में लहसुन का प्रयोग दमा, बहरापन, कोढ़, छाती में बलगम, बुखार, पेट के कीड़े, यकृत के रोग, हृदय रोग, रक्त-विकार, वीर्य-विकार, क्षय आदि रोगों में लाभकारी है।
आयुर्वेद के आचार्यों का मानना है कि लहसुन के प्रयोग से कई प्रकार के रोगों से बचा जा सकता है। शारीरिक शक्ति और वीर्यवर्द्धन में लाभकारी है। यह पौष्टिक, वीर्यवर्द्धक, गर्म, पाचक, मल-निष्कासक तीक्ष्ण तथा मधुर है।
लहसुन के गुणों की आधुनिक खोज भी प्राचीन विचारों की पुष्टि करती है। लहसुन को हृदय रोगों में ‘अमृत’ की संज्ञा दी गई है।
*क्षय रोग :*
10, 12 तुर्रियों को पाव भर दूध में अच्छी तरह उबाल लें। तुर्रियों को खाकर दूध पीने से तपेदिक व क्षय रोग में आराम मिलता है।
*फेफड़े के रोग :*
यदि फेफड़े के पर्दे पर अधिक तरल जमा होने से सांस लेने में कठिनाई हो और ज्वर हो तो लहसुन पीसकर आटे में इसकी पुलटिस बनाकर दर्द वाले स्थान पर बांधने से आराम मिलता है।
*दमा रोग :*
लहसुन का रस गुन-गुने पानी में मिलाकर पीने से सांस का दर्द दूर होता है। लहसुन की दो तुर्रियों को देशी घी में भूनकर दिन में दो बार खाने से श्वांस के कष्ट दूर होते हैं। शहद में लहसुन का रस मिलाकर चाटने से भी रोगी को आराम मिलता है।
दमे के दौरे में भी लहसुन का रस व शहद मिलाकर चाटने से दौरे का कष्ट दूर होता है।
लहसुन दूध में उबालकर रात को पीने से दमा में लाभ होता है। लहसुन को सिरके में उबालकर ठंडा कर शहद मिलाकर पीने से दमे के रोगी को लाभ होता है। लहसुन छाती के सभी रोगों में लाभदायक है, यह सांस व दमे पर नकेल डालता है।
*पाचन तंत्र :*
पेट के रोग के लिए लहसुन बहुत लाभदायक है। यह गैस और अम्लता की शिकायत दूर करता है। लहसुन के प्रयोग से आंतों में पाचक रस उत्पन्न होते हैं तथा पेट के रोगों को समाप्त करने में सहायता मिलती है।
इसका प्रभाव शरीर में विद्यमान विष को दूर करता है। आंतों और पेट में किसी भी प्रकार से संक्रमण से उत्पन्न सूजन समाप्त हो जाती है. लहसुन में पाया जाने वाला एन्टीसेप्टिक तत्व संक्रामक रोगों से रोकथाम करता है।
*पेट का कैंसर :*
पेट में कैंसर होने की स्थिति में पानी में लहसुन को पीसकर कुछ समय रोगी को पिलाते रहने से पेट से कैंसर दूर हो जाता है।
*अमाशय का फोड़ा :*
अमाशय में यदि कोई फोड़ा हो जाए तो ऐसी स्थिति में भी लहसुन का प्रयोग करने से रोगी को लाभ होता है. ऐसे में लहसुन की दो तीन तुर्रियां चबाकर खानी चाहिए।
*पेट के कीड़े :*
पेट दर्द, पेचिश, दस्तों में भी लहसुन का प्रयोग लाभदायक है। पेट के रोगों में लहसुन के कैप्सूल भी उलपब्ध हैं। लहसुन से आंतों के विषाणु नष्ट होते हैं।
*हृदय रोग :*
हृदय रोग के लिए लहसुन को ‘अमृत’ की संज्ञा दी गई है। हृदय रोग का मुख्य कारण रक्त वाहिनियों, धमनियों का सिकुड़ जाना है और इनसे कोलेस्ट्राॅल जम जाता है जिसके कारण शरीर में रक्त-प्रवाह ठीक प्रकार से नहीं हो पाता।
लहसुन के प्रयोग से सिकुड़ी हुई अथवा रुकी हुई धमनियां साफ हो जाती हैं और व्यक्ति हृदय रोग से मुक्ति पा लेता है।
लहसुन की दो तीन तुर्रियां चबा लेने से हार्ट फेल होने की नौबत नहीं आती, ऐसे में नियमित लहसुन दूध के साथ प्रयोग करना चाहिए। लहसुन के सेवन से हृदय पर पड़ने वाला गैस का दबाव कम होता है। यह कोलेस्ट्राॅल को समाप्त करता है तथा हृदय रोगी को नया जीवन देता है।
*रक्त चाप :*
लहसुन का प्रयोग रक्त को पतला करता है इसलिए उच्च रक्तचाप से बचाता है। उच्च रक्तचाप का प्रमुख कारण भी धमनियों का संकुचित होना है। लहसुन के प्रयोग से धमनियों की सिकुड़न समाप्त हो जाती है।
लहसुन, पुदीना, जीरा, धनिया, काली मिर्च, सेंधा नमक की चटनी खाने से रक्तचाप कम होता है।
*जोड़ों के दर्द :*
लहसुन के प्रयोग से जोड़ों के दर्द मंे कमी आती है,इससे जोड़ों की सूजन कम होती है, दर्द व सूजन वाले स्थान पर लहसुन का रस लगाने से दर्द कम हो जाता है सूजन दूर होती है।
जिन्हें लहसुन की गंध से परहेज है वे रात को लहसुन को घोलकर पानी में भिगोकर सुबह धोकर खाएं। आजकल लहसुन के कैप्सूल भी बाजार में उपलब्ध हैं, उनका प्रयोग किया जा सकता है।
*नपुंसकता :*
किसी भी तरह से प्रयोग किया गया लहसुन नपंुसकता दूर करता है। नपंुसक लोगों को 15-20 लहसुन की तुर्रियों को घी में तलकर खाना चाहिए।
लहसुन के रस को शहद के साथ सेवन करने से भी नपुंसकता दूर होती है। नंपुसक व्यक्ति लहसुन की तुर्रियों को दूध से उबालकर भी सेवन कर लाभ उठा सकते हैं।
*त्वचा विकार :*
लहसुन का प्रयोग त्वचा के विकारों को भी दूर करता है। लहसुन को चेहरे पर दिन में कई बार मलने से कील मुहांसे दूर होते हैं, आंखों के नीचे के काले धब्बे लहसुन रगड़ने से धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं।
किसी भी प्रकार के दाग-धब्बे दूर करने में लहसुन लाभदायक है। सौंदर्यवर्धक के रूप में लहसुन का प्रयोग ‘अमृत’ है।
घाव के सड़ने या कीड़े पड़ने पर
शरीर पर कहीं घाव होने पर लहसुन का रस लगाने पर घाव जल्दी ठीक हो जाता है, घाव में कीड़े नहीं पड़ते हैं।
*गुम चोट :*
गुम चोट में भी लहसुन लाभकारी है। लहसुन की तुर्रियों को नमक के साथ पीसकर गुम चोट वाले स्थान पर बांधने से लाभ होता है।
*वर्जित भी है लहसुन :*
तीन वर्ष से कम आयु के शिशु को लहसुन नहीं देना चाहिए, किसी भी रोग के लिए लहसुन का प्रयोग करने के लिए किसी चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लेना हितकर होगा।
*अन्य लाभकारी प्रयोग :*
जहरीले कीड़े के काटने पर भी लहसुन का रस लगाने से विष का प्रभाव दूर हो जाता है।
गले की ग्रंथियांे की सूजन में लहसुन चबाकर खाने से सूजन दूर हो जाती है।
कुकुर खांसी, काली खांसी, फेफड़ों से खून आने पर लहसुन की कलियां चूसने से लाभ होता है।
लहसुन खाने से निमोनिया में भी आराम होता है।
पीलिया में भी लहसुन का प्रयोग लाभकारी है।
लहसुन को तेल में पकाकर उस तेल को ठंडाकर मालिश करने से त्वचा की खुजली मिट जाती है और त्वचा ठीक हो जाती है।
मिर्गी की बेहोशी दूर करने के लिए लहसुन के रस को नाक में टपकाना चाहिए।
लहसुन का नियमित सेवन बुढ़ापे को दूर रखता है।
लहसुन मेधाशक्ति को बढ़ाता है और नेत्रों के लिए भी हितकर है।
लहसुन में विद्यमान एलाइसिन, ऐजोन तथा गंधक तत्व शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करता है।