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*एक नहीं हैं ईश्वर और अल्लाह*

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            ~ नीलम ज्योति 

(1) ईश्वर सर्वव्यापक है.
अल्लाह सातवें आसमान पर रहता है.

(2) ईश्वर सर्वशक्तिमान है, वह कार्य करने में किसी की सहायता नहीं लेता.
अल्लाह को फरिश्तों और जिन्नों की सहायता लेनी पडती है.

(3) ईश्वर न्यायकारी है, वह जीवों के कर्मानुसार नित्य न्याय करता है.
अल्लाह केवल क़यामत के दिन ही न्याय करता है, और वह भी उनका जो की कब्रों में दफनाये गए हैं.

(4) ईश्वर क्षमाशील नहीं, वह कर्मफल अनुसार दुष्टों को दण्ड देता है.
अल्लाह दुष्टों, बलात्कारियों के पाप क्षमा कर देता है. मुसलमान बनने वाले के पाप माफ़।

(5) ईश्वर कहता है, मनुष्य बनो. “मनु॑र्भव ज॒नया॒ दैव्यं॒ जन॑म्.”
~ऋग्वेद [10.53.6].
अल्लाह कहता है, मुसलमान बनो. सूरा-2, अलबकरा पारा-1, आयत-134,135,136

(6) ईश्वर सर्वज्ञ है, जीवों के कर्मों की अपेक्षा से तीनों कालों की बातों को जानता है.
अल्लाह अल्पज्ञ है. उसे पता ही नहीं था की शैतान उसकी आज्ञा पालन नहीं करेगा. अन्यथा शैतान को पैदा क्यों करता?

(7) ईश्वर निराकार होने से शरीर-रहित है.
अल्लाह शरीर वाला है, एक आँख से देखता है.

(8). ईश्वर ने वेद सब लोगों के कल्याण के‌ लिए दिया है. [यजुर्वेद 26].
अल्लाह का कुरान काफिरों (गैर-मुस्लिमो) को मार्ग नहीं दिखाता. (१०.९.३७ पृ. ३७४ : (कुरान 9:37) .

(9) ईश्वर कहता है सं गच्छध्वं सं वदध्वं सं वो मनांसि जानताम्।
देवां भागं यथापूर्वे संजानाना उपासते।। (ऋ० १०/१९१/२).
हे मनुष्यो ! मिलकर चलो,परस्पर मिलकर बात करो। तुम्हारे चित्त एक-समान होकर ज्ञान प्राप्त करें। जिस प्रकार पूर्व विद्वान,ज्ञानीजन सेवनीय प्रभु को जानते हुए उपासना करते आये हैं,वैसे ही तुम भी किया करो।
क़ुरान का अल्लाह कहता है ”हे ‘मुसलमानों काफिरों (गैर-मुस्लिमों) से लड़ो।” (११.९.१२३ पृ. ३९१ : (कुरान 9:123).

(10)अज्येष्ठासो अकनिष्ठास एते सं भ्रातरो वावृधुः सौभाय। (ऋग्वेद ५/६०/५).
ईश्वर कहता है कि हे संसार के लोगों ! न तो तुममें कोई बड़ा है और न छोटा।तुम सब भाई-भाई हो। सौभाग्य की प्राप्ति के लिए आगे बढ़ो।
अल्लाह है, हे मुस्लिमों मूर्तिपूजक नापाक (अपवित्र) हैं।
(१०.९.२८ पृ. ३७१ : (कुरान 9:28)

(11) अल्लाह अज्ञानी है. मुसलमानों का इम्तिहान लेता है तभी तो इब्रहीम से पुत्र की क़ुर्बानी माँगी।
ईश्वर सर्वज्ञ अर्थात् मन की बात को भी जानता है, उसे इम्तिहान लेने की आवश्यकता नहीं है।

(12) अल्लाह जीवों के और काफ़िरों के प्राण लेकर खुश होता है।
ईश्वर मानव व जीवों पर दया करने पर खुश होता है।
(चेतना विकास मिशन).

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