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नियमो के विरुद्ध जाकर एक साल में 3 के बजाए 5 भारत रत्न

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-डॉ श्रीगोपाल नारसन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चुनावी साल में 3 के बजाए 5 हस्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा कर नए विवाद को जन्म दे दिया है क्योंकि नियमानुसार एक वर्ष में केवल 3 व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।ऐसे में एक वर्ष में 5 व्यक्तियों को भारत रत्न की घोषणा से सवाल उठने लगें है।भारत रत्न देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है।जिसकी सन 1954 में भारत रत्न सम्मान देने की शुरुआत हुई थी। गृह मंत्रालय के अनुसार वार्षिक भारत रत्न पुरस्कारों की संख्या एक वर्ष में अधिकतम तीन तक सीमित है।जबकि मोदी सरकार ने इस साल 5 लोगों को भारत रत्न देने की घोषणा की है।जिनमे पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह,पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव , भारत के हरित क्रांति के जनक कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन, दिग्गज भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर शामिल है।

इस तरह यह पहली बार हुआ है कि जब एक ही साल में पांच लोगों को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का निर्णय लिया गया है,वह भी नियमो के विरुद्ध जाकर यह घोषणा की गई।आखिर क्या मजबूरी थी एक साल में 3 के बजाए 5 भारत रत्न देने की घोषणा करने की।क्या यह घोषणा चुनाव में लाभ लेने का एक प्रयास है या फिर देश की इन हस्तियों के प्रति सम्मान उदारता। केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, इस सम्मान के लिए सभी भारतीय जाति, पेशे, पद और लिंग के भेदभाव के बिना पात्र हैं। किसी भी क्षेत्र में किए गए सर्वोत्तम कार्य के सम्मान के लिए भारत रत्न दिया जाता है। भारत रत्न के लिए सिफारिश प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को की जाती है। इसके लिए कोई औपचारिक सिफारिश आवश्यक नहीं है।इस पुरस्कार के प्रदान किए जाने के समय प्राप्तकर्ता को राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाणपत्र और एक प्रतीक चिह्न दिया जाता है। इस पुरस्कार में कोई धन नहीं दिया जाता।संविधान के अनुच्छेद 18(1) के अनुसार इस पुरस्कार को प्राप्तकर्ता के नाम के आगे या पीछे भारत रत्न सम्मान उल्लिखित नहीं किया जा सकता। यदि कोई पुरस्कार प्राप्तकर्ता आवश्यक समझता है तो वह अपने जीवनवृत, लैटर हैड शीर्ष या विजिटिंग कार्ड इत्यादि में इसका उल्लेख कर सकता है। यानि यह सम्मान प्राप्तकर्ता राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित या भारत-रत्न प्राप्तकर्ता शब्दो का प्रयोग कर सकते हैं। इस वर्ष सन 2024 से पहले तक कुल 48 लोगों को भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका है।सन 1999 में भी अटल बिहारी सरकार के समय चार लोगों को भारत रत्न दिया गया था। इनमें जयप्रकाश नारायण (मरणोपरांत), प्रोफेसर अमर्त्य सेन, गोपीनाथ बोरदोलोई (मरणोपरांत) और पंडित रवि शंकर का नाम शामिल था।लेकिन यह पहली बार है कि जब एक साल में पांच लोगों को देश का सर्वोच्च सम्मान दिए जाने का एलान किया गया है। एक साल में 5 लोगों को भारत रत्न देने पर सवाल भी उठ रहे हैं। सबसे पहला भारत रत्न सम्मान स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को सन 1954 में दिया गया था।वही सन 1956, 1959, 1960, 1964, 1965, 1967, 1968-70, 1972-74, 1977-79, 1981, 1982, 1984-86, 1993-96, 2000, 2002-08, 2010-13, 2020-22 और 2023 में भारत रत्न का सम्मान किसी को नहीं दिया गया।सन 1999 में जब देश में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी, उस समय भारत में एक साल में सबसे ज्यादा भारत रत्न दिए गए थे। उस साल तीन नहीं ,बल्कि चार बड़ी हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।भारत रत्न पुरस्कार उन लोगों के लिए राष्ट्रीय मान्यता के प्रतीक के रूप में कार्य करता है जिन्होंने देश की प्रगति और कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।इस सम्मान के लिए व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए और उसने कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल सहित किसी भी क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो। इसकी सिफ़ारिश प्रधानमंत्री को भेजी जाती हैं, जो उन्हें अनुमोदन के लिए राष्ट्रपति के पास भेजते हैं।अभी तक जिन महानुभाव को भारत रत्न मिला है उनमें सी. राजगोपालाचारी (1954,)डॉ. एस. राधाकृष्णन (1954),डॉ सीवी रमन (1954)
डॉ भगवान दास (1955),
डॉ. एम. विश्वेश्वरैया (1955),
पं. जवाहरलाल नेहरू (1955)
पं. जीबी पंत (1957),
डॉ. धोंडो केशव कर्वे (1958),
डॉ बी सी रॉय (1961),
पुरूषोत्तम दास टंडन (1961)
डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1962),
डॉ जाकिर हुसैन (1963),
डॉ. पांडुरंग वामन काणे (1963)
लाल बहादुर शास्त्री (मरणोपरांत) (1966),इंदिरा गांधी (1971)
वीवी गिरी (1975),
के. कामराज (मरणोपरांत)(1976),मदर टेरेसा (1980),
आचार्य विनोबा भावे (मरणोपरांत) (1983),
खान अब्दुल गफ्फार खान (1987),मरुदुर गोपालन रामचन्द्रन (मरणोपरांत) (1988),
बीआर अंबेडकर (मरणोपरांत) (1990),नेल्सन मंडेला (1990),
राजीव गांधी (मरणोपरांत)( 1991),सरदार वल्लभभाई पटेल (मरणोपरांत) (1991),
मोरारजी देसाई (1991),
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (मरणोपरांत) (1992),
जेआरडी टाटा (1992),
सत्यजीत रे (1992),
गुलज़ारीलाल नंदा (1997),
अरुणा आसिफ अली (मरणोपरांत)( 1997)
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (1997),एमएस सुब्बुलक्ष्मी (1998),चिदम्बरम सुब्रमण्यम (1998),जयप्रकाश नारायण (मरणोपरांत) (1999),
प्रोफेसर अमर्त्य सेन (1999),
लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई (मरणोपरांत) (1999),
पं. रविशंकर (1999),
लता मंगेशकर (2001),
उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (2001),पं. भीमसेन जोशी (2009),
,प्रो. सीएनआर राव ( 2014),
सचिन तेंदुलकर (2014),
पं. मदन मोहन मालवीय (मरणोपरांत) (2015),
अटल बिहारी वाजपेई (2015) शामिल है। भारत के प्रधान मंत्री पुरस्कार समिति की सलाह पर इस पुरस्कार का निर्णय लेते हैं। समिति में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, गृह मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं।
(लेखक एक विधिवेत्ता व वरिष्ठ पत्रकार है)

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