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नेक सलाह प्रशंसनीय

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शशिकांत गुप्ते

मतदाताओं को बहुत महत्वपूर्ण सलाह दी गई है। सलाह भी बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति ने दी है।
सलाह यह दी गई कि, दंगे करने वालों को वोट मत देना।
इससे अच्छी,समाज और देश हित में दूसरी कोई सलाह हो ही नहीं सकती है।
दंगों के कारण हिंसा होती है। हिंसा के कारण देश के निर्दोष जनता की और देश की चल-अचल सम्पत्ति की हानि होती है। इसे जन-धन की हानि कहतें हैं।
इस संदर्भ में एक हक़ीकत का स्मरण होता है। एक अवयस्क बालक का आचरण दूषित हो गया। वह बालक संस्कारो के विपरीत आचरण करने लगा गया।
स्वयं के घर में ही चोरी करने लगा,हर तरह का नशा करने लगा, बालक की वाणी भी बिगड़ गई। बात बात गुस्सा,गाली गलौच करने लगा।
असमाजिक गतिविधियों में सक्रिय हो गया।
वह बालक एक बार साम्प्रदायिक हिंसा में गिरफ्तार हो गया।
बालक की माँ, अपने परिचितों,और सगे सम्बंधियों,से कहने लगी कि, मेरा बेटा तो ऐसा नहीं है। वह तो बहुत शरीफ़ है। मेरे बेटे के साथ जो भी कुछ हुआ है,संगत का असर है। बालक को कुछ बुरे दोस्तों की संगत मिल गई।
बालक की माँ को एक समझदार स्नेही ने कहा, यह जो आप संगत का असर बोल रही हो,आपका यह कहना एकदम ग़लत है। यदि संगत का असर होता ही है, तो तुम्हारे बालक की संगत में जो भी दोस्त हैं,उनपर बालक के सुसंस्कारों का असर क्यों नहीं हुआ।? हमेशा संगत का असर विपरीत ही क्यों पड़ता है? दूषित संस्कार ही सभ्य बालकों के मानस पर असर क्यों डालतें हैं? अच्छे संस्कार क्यों ट्रांसफर नहीं होतें है?
इस हिकीक़त का, शुरुआत में जिस सलाह का उल्लेख किया गया है।उस सलाह से सीधा संबंध है।
सलाह दी गई कि, दंगे करने वालों को वोट मत देना? यह सलाह इस तरह भी दी जाती तो सलाह नेक और सटीक हो जाती। दंगा करने वालों से ज्यादा दंगा भड़काने वालों से सावधान रहना चाहिए।
दंगा करने के लिए उकसाने वालें ज्यादा जिम्मेदार होतें हैं? दंगे का एक कारण धार्मिक उन्माद भी होता है?
सलाह देने के पूर्व उस मछली को ही तालाब से हटाओं जो पूरे तालाब को गंदा करती है।
इस कहावत में मछली का प्रयोग मानव की दूषित मानसिकता के लिए किया गया है।
हिंसक भाषा का निर्भयतापूर्वक प्रयोग करना भी दंगो को उकसाने का कारण बन सकता है।
हिंसा करना अमानवीय आचरण है। दंगो के कारण होने वाली हिंसा तो निकृष्ट दर्जे की हिंसा है।
पुनः नेक सलाह के लिए, महत्वपूर्ण व्यक्ति को धन्यवाद।

शशिकांत गुप्ते इंदौर

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