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बिहार में अच्छी शुरुआत :जैसे को तैसा दिया जवाब

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सुसंस्कृति परिहार

इधर पूरे देश में कांग्रेस का मंहगाई विरोधी अभियान ज़ोर पकड़ता जा रहा है भारी जनसमर्थन से कांग्रेस को नई ताकत मिली है।वह पूरे जोश-खरोश के साथ नफरत के ख़िलाफ़ ‘भारत जोड़ो आंदोलन’ के साथ आगे बढ़ रही है।इसी बीच भारत छोड़ो आंदोलन के क्रांतिकारी दिवस पर बिहार से उठे एक ताज़ा तूफान ने भाजपा के परखच्चे उड़ा दिए। वहां की भाजपा सरकार देखते ही देखते रसातल में चली गई।

नीतीश कुमार जिस तरह दूसरी बार अल्प विधायकों के साथ भाजपा के रहमो-करम पर मुख्यमंत्री बने थे तभी से लगने लगा था कि शायद इस बार ये पारी पूरी नहीं कर पायेंगे क्योंकि मध्यप्रदेश से लेकर महाराष्ट्र में भाजपा ने जिस नीयत से काम किया वह नीतीश भी समझ रहे थे इसलिए उन्होंने काफी पहले से लालू परिवार खासतौर से तेजस्वी यादव के साथ घुसपैठ बढ़ा ली थी। पिछले चुनाव परिणाम पर नज़र डालें तो तेजस्वी जिस तेजी से विजय के करीब पहुंच रहे थे उस पर भाजपा का खेला अंतिम समय में हुआ था  25सीट पर 500से लेकर 2000 वोट पर उन्हें मात दी गई। ज द यू चाहता तो उसी समय सरकार तेजस्वी की बन सकती थी। लेकिन चाचा भतीजे का शत्रु बन  गया क्योंकि भाजपा ने पहले ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा कर दी।चाचा भतीजे को मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहते थे।

आखिरकार जब भाजपा के तेवर उन्हें समझ आए तो उन्होंने भाजपा को उनकी ही नीति से पहल कदमी करते हुए धूल चटा थी।वे महागठबंधन के नेता चुन लिए गए हैं और बुधवार को  मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले रहे हैं।भाजपा वीर टापते रह गए ।अब इस घटना क्रम के बाद फिर नीतीश कुमार का नाम पी एम सूची में शामिल होना शुरू हो गया है। नीतीश की पटखनी से आमलोग ख़ुश तो बहुत नज़र आ रहे हैं लेकिन उनकी दोहरी नीति,चाल और चरित्र के मद्देनजर उन्हें पी एम के रुप में  पसंद नहीं कर सकते।

लोगों का यह भी ख्याल है कि देश के लोगों का राहुल गांधी के साथ मंहगाई पर जो जनज्वार उठा है उससे उनकी छटपटाहट बढ़ी है वे समझ गए हैं कि अब भाजपा की उलटी गिनती शुरू हो गई है और उन्होंने यह रुख अपनाया है।

बहरहाल, भाजपा द्वारा सरकार गिराने की जो दौड़ चल रही थी उस पर साहस के साथ जो पलटवार नीतीश कुमार ने किया है वह ऐतिहासिक और समय की ज़रूरत है।इस घटना से अन्य राज्य सरकारें भी हिम्मत जुटाके भाजपा को टक्कर देकर सबक सिखा सकती हैं खासकर वहां जहां अल्प संख्या में उनके विधायक हैं। इसे शुभ संकेत ही मानना चाहिए।ये इस बात की भी ताकीद करता है कि अब भाजपा के अच्छे दिन जाने वाले हैं जनता का तेजी से मोहभंग हो रहा है।

इस बीच भाजपा अपने नये पैनै हथियार ई डी की कार्रवाई निश्चित इस सरकार पर बढ़ाएगी ये तय है।इसके प्रतिरोध के लिए भी सभी दलों को मिलकर तैयारी करनी चाहिए।रा ज ग लालू के करीबी तो इस घेरे में आ ही चुके हैं।किस किस की बारी आएगी ये तो वही जानें किंतु ये भी सच है कि नीतीश कुमार की अगुवाई में बनी यह महागठबंधन की सरकार गिरने वाली नहीं है।

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