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महामानव अंबेडकर

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मुनेश त्यागी

अंबेडकर 14 अप्रैल 1891 को पैदा हुए  थे, उनके पिता राम जी और माता भीमाबाई थी ।भीमराव अंबेडकर को अपने जन्म से ही संघर्ष का सामना करना पड़ा था, उनको सामाजिक अन्याय का सामना करना पडा। नाई ने  उनके बाल नहीं काटे, गाड़ी वाले ने गाड़ी पर नहीं बिठाया, तांगे वाले ने तांगे पर नहीं बिठाया, पानी नहीं पीने दिया गया, मंदिरों में घुसने नहीं दिया गया, तालाबों से पानी नहीं पीने दिया गया, ऊंची जातियों ने कमरा नहीं दिया सड़क पर चलने तक की मनाही उनको झेलनी पड़ी। 6 दिसंबर 1956 को उनका परिनिर्वाण दिवस मनाया जाता है इस दिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर इस दुनिया से विदा हो गए थे। 
अंबेडकर अपने बचपन से ही पढ़ाकू प्रवृत्ति के विद्यार्थी थे, इसी मनोवृति के तहत उन्होंने शिक्षा की कई डिग्री हासिल की m.a. एमएससी,डीएससी, पीएचडी,एलएलबी, बार एट ला आदि डिग्रियां उन्होंने प्राप्त की। वे जातिवाद को एक कोढ  समझते थे, जातिवाद वर्ण व्यवस्था को कोढ  समझते थे।
 
अंबेडकर ने क्या किया? उन्होंने जनता को वाणी दी, नारे दिए, लड़ना और संघर्ष करना सिखाया,कालेज खोले, अखबार और पत्र निकाले, लेखन किताबें लेख लिखे, किताबें लिखी, ज्ञान प्राप्ति की, जनता को जगाया, खतरे मोल लिए, तर्क करना सिखाया, शिक्षा का प्रचार किया, ब्राह्मणवाद की कब्र खोदी और श्रमिक एकता की बात की। उन्होंने तमाम एससी एसटी ओबीसी और मजदूर वर्ग का आह्वान किया
  कि उन्हें जर्मनी के महान चिंतक, दार्शनिक और लेखक कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स द्वारा लिखित "कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो" आवश्यक रूप से पढ़ना चाहिए।
  वह एक ऐसे समाज का सपना देखते थे जिसमें भाईचारा हो, बंधुत्व हो, शोषण ना हो ,समता और समानता हो, अन्याय न हो, भेदभाव ना हो,ऐसे समाज के लिए पूरी जिंदगी लगे रहे। उन्होंने पत्थर खाए, जलसों का नेतृत्व किया, सत्याग्रह  किए, तालाबों मंदिरों में प्रवेश कराए, जाति की खाई को पाटने वाला पुल बने।अन्याय अत्याचार का विरोध किया। वे अवैज्ञानिकता, अंधविश्वास पाखंडों और अज्ञानता के जानी दुश्मन थे।


 वह कहते थे कि बंधुत्व के बिना प्रजातंत्र समता, समानता, न्याय, गणतंत्र, धर्मनिरपेक्षता सब अधूरे हैं। उनका कहना था कि अस्पृश्यता और असमानता के विनाश के लिए असली जनवाद और क्रांति की जरूरत है। वह विद्रोह का प्रतीक थे, विज्ञान के शिल्पी थे। अज्ञान, अत्याचार, दमन, भेदभाव का सतत संघर्ष और विद्रोही थे। उन्होंने अपने जीवन में नारा दिया,,, अस्पर्शता  जलाओ, जातिभेद जलाओ, मनुस्मृति जलाओ और उन्होंने यह किया भी । उन्होंने भारत की जनता को नारे दिए,,, शिक्षित हो, संगठित हो और संघर्ष करो उनके यह कमाल के नारे हैं जिन्हें आज हमारी जनता अपने संघर्षों में यूज करती है।    
  अंबेडकर साहेब जन्मजात बागी थे कांग्रेस से बगावत, गांधी से बगावत, हिंदू समाज से बगावत, जातिवाद से बगावत,वर्ण वाद से बगावत। वह उच्च कोटि के त्यागी, तपस्वी, संघर्षी अर्विराम विद्रोही,तेजस्वी वक्ता, लेखक, महान विचारक, आंदोलनकर्ता,  चिरविद्रोही, पुस्तक प्रेमी संयमी, मितव्यई, पढ़ाकू और  सत्रह अट्ठारह घंटे अध्यन करने वाले स्वाबलंबी व्यक्ति थे।
 उनकी लिखी पुस्तकों की सूची भी लंबी है जैसे शूद्र कौन, जाति विनाश, हिंदुत्व की पहेलियां, भारत में जातियां, भारत में खेती-बाड़ी और उनका निदान, रुपए की समस्या,पाकिस्तान का विचार। वह स्पष्ट वक्ता थे, अपनी बात के पक्के थे, अपनी धुन के पक्के थे। वह पूंजीवाद के और ब्राह्मणवाद के जानी दुश्मन थे। वह इन दोनों को समाज का दुश्मन समझते थे। वे  संविधान शिल्पी थे।
 उन्होंने अपने मिशन को पूरा करने के लिए प्रोफेसर, लेक्चरर, जज जैसे पद छोड़ें, समाज सेवा के लिए नौकरी नहीं की और वकालत की ताकि मजदूरों के संघर्ष को आगे बढ़ाया जा सके। उनका मानना था कि हिंदू धर्म एक रोग है एक विकृति है, यह अधिकांश जनों को धन संग्रह नहीं करने देता , अशिक्षित रखना चाहता है, निर्धन रखना चाहता है, अनपढ़ रखना चाहता है मंदिर नहीं जाने देता।
हिंदुत्ववादी राष्ट्र के बारे में उनका कहना था कि हिंदू धर्म स्वतंत्रता, समता, भाईचारे का दुश्मन है, हिंदुत्ववादी राष्ट्र को किसी भी कीमत पर बनने से रोको ,यह था उनका सपना। वे समरसता,आजादी, समानता भाईचारे,जातीय एकता और समस्त श्रमिक एकता के हामी थे।वह मनुवाद जातिवाद, वर्णवाद, जातीय शोषण, अन्याय, भेदभाव के शत्रु और विरोधी थे। 
 उन्होंने जो संविधान लिखा था आज उस पर उदारीकरण, निजीकरण, वैश्वीकरण और देश दुनिया के पूंजीपति वर्ग जातिवाद, संप्रदायिकता, फासीवाद, पूंजीवाद, क्षेत्रीयता और भाषावाद के भयंकर खतरे और हमले मौजूद हैं। हमें किसी भी कीमत पर अंबेडकर साहब के इन विचारों को बचाना होगा और हमें आज यह सोचना है कि आखिर अंबेडकर साहब के सपने कैसे पूरे होंगे ।
इसमें हमारा एक ही कहना है कि तमाम मेहनतकश मजदूरों, किसानों को, नौजवानों को,महिलाओं को एकजुट करो और उनको संग्राम में लगाओ, किसानों मजदूरों की सरकार कायम  करो, जनता की एकता कायम करो।आज एलपीजी ने यानी,,,, लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन की आर्थिक नीतियों ने आरक्षण को नाकाम कर दिया है और संविधान में जो सपने अंबेडकर साहब ने संजोए थे उसके लिए सबसे बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। आज अंबेडकर के मिशन के रास्ते में अनेक समस्याएं और चुनौतियां खड़ी हुई हैं
आज हमें विभिन्न चुनौतियों का सामना करना होगा। इन चुनौतियों का सामना करने के बिना और समस्याओं का समाधान किए बिना हम अंबेडकर साहब के सपनों का भारत नहीं बना सकते उनके सपनों को पूरा नहीं कर सकते। हमें जातिवाद से लड़ना है, सांप्रदायिकता से लड़ना है, सड़े हुए पूंजीवाद से लड़ना है,ऊंच-नीच की और बड़े छोटे की मानसिकता से लड़ना है और जनता की टूट से लड़ना है उसके बिखराव से लड़ना है और वैश्वीकरण निजी करण और उदारीकरण की जन विरोधी किसान विरोधी मजदूर विरोधी संविधान विरोधी कानून का शासन विरोधी नीतियों का निजाम बदलना होगा। हमें इन सब मुद्दों पर जनता को एक करना होगा और मिलजुलकर लड़ाई लड़नी होगी, तभी अंबेडकर के सपनों का भारत बनाया जा सकता है।
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