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काशी नरेश के घराने में संपत्ति के लालच में घमासान

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“पिता काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह ने तीनों बहनों की शादी के साथ ही उन्हें बैराठ फार्म, कटेसर, नदेसर और बिहार के समस्तीपुर में अचल संपत्तियां दी थीं। उनके निधन के बाद तीनों बहनों ने संपत्ति के लालच में साल 2005 में बंटवारें का मुकदमा दाखिल कर दिया।”

विजय विनीत

बनारस में पूर्व राजा काशी नरेश के परिवार में एक बार फिर घमासान तेज हो गया है। काशीराज परिवार के राजकुमार अनंत नारायण सिंह ने अपने सुरक्षा अधिकारी के मार्फत अपनी बहन विष्णुप्रिया, कृष्णप्रिया और उनके पुत्र वरद नारायण सिंह व वल्लभ नारायण सिंह के खिलाफ रामनगर थाने में दफा 380, 454 और 120-बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कराई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुंवर अनंत नारायण सिंह की बहनों और उनके भांजों ने कमरे का ताला तोड़कर उसमें रखे कीमती सामान, महत्वपूर्ण अभिलेख और फर्नीचर आदि चोरी कर लिए। पूर्व काशी नरेश महाराजा विभूति नारायण सिंह के पुत्र और पुत्रियों के बीच संपत्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है।

रामनगर किले के सुरक्षा अधिकारी राजेश कुमार शर्मा की ओर से रामनगर थाने में कुंवर अनंत नारायण सिंह की दोनों बहनों और भांजों के खिलाफ तहरीर दी गई तो पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज कर ली। रिपोर्ट के मुताबिक, “26 जून की सुबह 9 से 10 के बीच वह किले की देखरेख कर रहे थे तभी कौशलेंद्र शर्मा ने उन्हें बताया कि किले की ड्योढ़ी कोट का एक कमरा जिसमें महाराज अनंत नारायण सिंह के कुछ अति महत्वपूर्ण कागजात, फर्नीचर और बेड रखे हुए थे, जिसका ताला टूटा हुआ है। कमरे के सभी सामान गायब हैं। कौशलेंद्र शर्मा के साथ मौके पर जाकर देखा तो कमरे का ताला टूटा हुआ था। इस संबंध में जानकारी करने पर पता चला कि राजकुमारी विष्णुप्रिया और कृष्णप्रिया के निर्देश पर वरद नारायण सिंह  और बल्लभ नारायण सिंह ने सुनियोजित षड्यंत्र के तहत आरोपियों ने वारदात को अंजाम दिया। सुरक्षाधिकारी राजेश कुमार शर्मा की तहरीर पर पुलिस ने चोरी, तोड़फोड़ और साजिश रचने की संगीन धाराओं में केस भी दर्ज किया गया है।”

काशी नरेश के पुत्र अनंत नारायण सिंह के कमरे में चोरी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद काशी जोन के डीसीपी रामसेवक गौतम, एडीसीपी चंद्रकांत मीना, एसीपी प्रतीक सिंह चौहान 27 जून 2003 को किले में मौका मुआयना किया। पुलिस अफसरों ने दोनों पक्षों से बातचीत भी की। अनंत नारायण सिंह ने पुलिस अफसरों को बताया कि चोरी गए दस्तावेज बेहद महत्वपूर्ण हैं। इस बाबत अपनी बहन और भांजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई।

रामनगर किले के सुरक्षाधिकारी की ओर से दर्ज कराई गई रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कुंवर अनंत नारायण की बहन कृष्णप्रिया ने मीडिया से कहा, “किले में मौजूद कुछ कर्मचारी हम भाई-बहनों के खिलाफ साजिश रच रह हैं। सामान चोरी के बाबत हम सोच भी नहीं सकते। कुछ कर्मचारी हम भाई-बहनों में झगड़ा कराने की साजिश कर रहे हैं। आखिर हम अपने ही घर में चोरी कैसे कर सकते हैं? बेवजह नए विवाद को जन्म दिया जा रहा है। हमारे जिन बेटों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है वह शहर से बाहर थे। पुलिस को जांच करने के बाद ही मुकदमा लिखना चाहिए था।”

पिता पहले ही दे चुके हैं प्रोपर्टी

राजकुमार अनंत नारायण सिंह कहते हैं, “रामनगर के किले में हमारी बहनें लाइसेंसी की हैसियत से रह रही हैं। हमारे पिता काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह ने तीनों बहनों की शादी के साथ ही उन्हें बैराठ फार्म, कटेसर, नदेसर और बिहार के समस्तीपुर में अचल संपत्तियां दी थीं। उनके निधन के बाद तीनों बहनों ने संपत्ति की लालच में साल 2005 में बंटवारें का मुकदमा दाखिल कर दिया। उसी समय से मुकदमेबाजी चल रही है। हमारे पिता ने तीनों बहनों का विवाह संपन्न परिवारों कराया था। साथ ही उनके रहने के लिए उम्दा इंतजाम भी किया था। बहनों को चाहिए कि वह किले से बाहर चली जाएं। मैं अपनी वंश परंपरा का राजघराने के तौर-तरीकों से निर्वहन कर रहा हूं। काशी के लोग जो ओहदा मेरे पिता को देते थे, वही हमें भी मिल रहा है। पिता के निधन के बाद हमारी बहनों की नजर हमारी संपत्ति पर है। संपत्ति विवाद खड़ा कर हमें लगातार परेशान किया जा रहा है।”

राजकुमार अनंत नारायण सिंह के दावों पर यकीन किया जाए तो भूतपूर्व काशी नरेश महाराजा विभूति नारायण सिंह ने साल 2000 में उनके नाम एक वसीयतनामा लिखा है। वसीयत में कहा गया है, “काशी स्टेट के राजकीय चिह्न का उपयोग सिर्फ मैं कर सकता हूं। हमारी बहनें सपत्ति के लिए लगातार परेशान कर रही हैं जिसके चलते परिवार की परंपरा के अनुसार मैं अपने आवास में विजयादशमी के दिन दरबार नहीं कर पा रहा हूं। यही नहीं विजयादशमी और होली पर मैं कुलदेवी का दर्शन-पूजन भी नहीं कर पा रहा हूं। बहनें मेरी पत्नी के साथ अमर्यादित व्यवहार करती हैं। इसी वजह से साल 2011 में हमने अपनी तीनों बहनों से रिश्ते-नाते तोड़ दिए।”

सालों पुराना है विवाद

पूर्व काशीनरेश डा. विभूति नारायण सिंह की तीन बेटियां-विष्णु प्रिया, हरि प्रिया, कृष्ण प्रिया और एक पुत्र अनंत नारायण सिंह हैं और ये सभी किले के अंदर ही रहते हैं। संपत्ति को लेकर भाई-बहनों के बीच पिछले डेढ़ दशक से विवाद चल रहा है। तीनों बेटियां अपने भाई अनंत के अलावा कर्मचारियों पर तानाशाही का आरोप लगाती रहती हैं। साल 2021 में कोदोपुर में एक भूखंड के बैमाने के समय भी विवाद खड़ा हुआ था। उस समय एक पर्चा भी छपवाया गया था, जिसमें दुर्ग से जुड़ी किसी भी संपत्ति को न खरीदने की अपील की गई थी।

इससे पहले अगस्त 2018 में बनारस राज परिवार की रार रामनगर थाने पहुंची थी। उस समय भी राजकुमार अनंत नारायण सिंह ने अपने प्रतिनिधि कैप्टन रमेश सिंह के मार्फत अपनी बड़ी बहन हरिप्रिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई  थी। उस समय शादी के कार्ड में काशी स्टेट का प्रतीक चिन्‍ह छापे जाने पर मामला दर्ज हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार 10 जुलाई 2018 को राजकुमारी हरिप्रिया के पुत्र की शादी थी। शादी के कार्ड पर काशी स्टेट का प्रतीक चिन्‍ह छापा गया था। कैप्टन रमेश सिंह ने कहा था कि ऐसा करके गलत किया गया है।

काशीराज परिवार की राजकुमारी विष्णु प्रिया का विवाह साल साल 1971 में हुआ और बाद में उनका तलाक हो गया। तभी से वह किले में रह रही हैं। वह कहती हैं, “पिता विभूति नारायण सिंह के निधन के बाद साल 2010 से मेरे ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि हम किला छोड़कर चले जाएं। सालों पहले जिस बेटी का तलाक हो चुका है और जिसका कोई सहारा नहीं है, वो पिता का घर छोड़कर कहां जाएगी। मैं भी राजघराने की बेटी हूं। हमें हमारा उत्तराधिकार तो मिलना ही चाहिए।”

उल्लेखनीय है कि करीब दो बरस पहले पूर्व काशी नरेश की बड़ी बेटी विष्णु प्रिया ने अपने भाई अनंत नारायण पर रामनगर के कोदोपुर की जमीन को अवैध तरीके से बेचने का आरोप लगया था। बनारस के नदेसर में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने कहा था, “रियासतों के विलय से पूर्व महाराजा विभूति नारायण ने एक फैमिली सेटलमेंट करवाया था, जिसमें कोदोपुर स्थित परेड ग्राउंड और उससे अटैच तीन भवन बेटियों को देने की बात कही गई थी। परेड ग्राउंड की सभी 14 गाटे अपनी बेटियों को दे दी। हाईकोई में भी इस साक्ष्य को स्वीकृत किया जा चुका है। बाद में भवन सरकार को दे दिए गए और परेड ग्राउंड की जमीन को अनंत नारायण सिंह ने खसरा और खतौनी में अपने नाम से करा लिया। इस 44 बिस्वा जमीन का वर्तमान मूल्य 15 करोड़ से अधिक है।”

बनारस स्टेट के राजा विभूति नारायण सिंह के निधन के कुछ साल बाद ही भाई-बहनों में विवाद शुरू हो गया। अभी तक किसी मामले में अदालतों से फैसला नहीं आया है।

क्यों गहरा रहा है विवाद?

रामनगर किले के पास रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोकी प्रसाद कहते हैं, “तत्कालीन राजा विभूति नारायण सिंह ने अपनी बेटियों को जो देना था दे दिया। उनसे गलती सिर्फ इतनी हुई कि उन्होंने वसीयत नहीं लिखी। राज परिवार में वंश परंपरा उत्तराधिकारी सिर्फ बेटा होता है। राजा बनारस जब जिंदा थे तो उन्होंने राजकुमारियों को काफी संपत्ति दी थी। बनारस स्टेट के अंतिम महाराजा विभूति नारायण सिंह के निधन के बाद नौ दस साल तक शासन किया और आजादी के बाद स्टेट सरकार में मर्ज हो गया तो आम नागरिक हो गए। उसके बाद राजाओं ने कई ट्रस्ट बनाकर अपनी प्रापर्टी को अपने पास रखने का प्रयास किया। इसके बावजूद काफी प्रापर्टी सरकार के कब्जे में चली गई। राजाओं को मुआवजा देने के क्रम में एक मुश्त राशि सरकार की ओर से पेंशन मिलने लगी, जिसे प्रीवी पर्स कहा गया। विश्व प्रसिद्ध रामलीला के लिए भी सरकार एकमुश्त रकम देती है जो अभी तक लगातार मिल रही है। बनारस स्टेट जब भारत सरकार में विलीन हुआ उस समय सरकार और पूर्व राजा के बीच स्टेट मर्जर डीड लिखा गया। उसी के तहत इन्हें कुछ विशेषाधिकार दिए गए जो गुजरते वक्त के साथ खत्म हो गए।”

“महाराजा ने जब अपनी पुत्रियों को भरपूर संपत्ति दे दी, लेकिन उनके निधन के बाद राजकुमार और राजकुमारियों में प्रापर्टी को लेकर विवाद शुरू हो गया। राजकुमारियों का कहना है कि भारत के संविधान के तहत पुत्रियों को अपने पिता की संपत्ति में अधिकार प्राप्त हैं और उसके अनुसार समान रूप से प्रापर्टी का बंटवारा होना चाहिए। इसके चलते विभिन्न अदालतों में दर्जनों में मुकदमें लंबित हैं। रामनगर किले में सभी राजकुमारियां रनिवास की तरफ रहती हैं। उस तरफ कई कमरों में राजकुमार अनंत नारायण सिंह का ताला बंद है। उन्‍हीें कमरों में से एक कमरे का ताला टूटा पाया गया। उसी को लेकर राजकुमार की ओर से अपने बहनों और भांजों पर चोरी का आरोप लगाया और रामनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई।”

वाराणसी के रामनगर में स्थित काशी नरेश का ऐतिहासिक किला है। किले के अंदर ही राजा का परिवार रहता है। किले में राजवंश की तमाम ऐतिहासिक संपत्तियां हैं। युद्ध में प्रयुक्त किए तमाम हथियार भी किले में मौजूद हैं, जिसे देखने के लिए बनारस आने वाले पर्यटक यहां पहुंचते हैं। उत्तर प्रदेश की तीन रियासतों के भारत संघ में विलय के बाद बनारस स्टेट के नरेश की उपाधि वापस नहीं ली गई। इनमें काशी नरेश, टिहरी गढ़वाल नरेश और रॉयल फैमिली ऑफ अवध के नवाब शामिल थे। इसके चलते काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह को आजीवन नरेश कहकर संबोधित किया गया। मौजूदा राजकुमार कुंवर नारायण सिंह राजशाही की मर्यादा के चलते सियासी दल से दूरी बनाए हुए हैं।

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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