अग्नि आलोक

ज्ञानवापी शिवलिंग : क्या सेक्युलर के लिए बिल्कुल बकवास हैं ये पहलू?

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दिव्यांशी मिश्रा (भोपाल)

  _सीमेंट की थेकली शिवलिंग के ऊपर चिपका कर फव्वारा बता रहे हैं ईमान-वाले। ध्यान से देखने पर सीमेंट की पपड़ी अलग दिखाई दे रही है। ऐसा लग रहा है, किसी रात जल्दबाजी में पानी निकालकर, सीमेंट डाला गया है, क्योंकि पकड़े जाने पर कोई बहाना मिल जाए!_
  पानी के अंदर जाने पर, सीमेंट का भाग फट गया, जबकि पत्थर वैसे का वैसा है! इसी तरह की घटिया हरकतों के कारण पूरी दुनिया में इनकी थू-थू होती है। सिवा झूठ, मक्कारी और धोखेबाजी के इनको कुछ नहीं आता!
    _ज्ञानवापी स्वयं एक संस्कृत शब्द है, ज्ञान माने (जानकारी), वापी मतलब (सागर)। मतलब औरंगज़ेब ने मस्जिद बनाई और नाम रखा शुद्ध संस्कृत में - "ज्ञान का सागर"?_

ज्ञानवापी के पीछे के हिस्से की दीवार आज भी सलामत है, पूरी ईमारत गिराने की जगह, ऊपरी हिस्सा तोड़कर गुम्बद बना दिया गया!


हिंदू समाज में विद्रोह की स्थिति और मंदिर तोड़ने पर लाखों मुगल सैनिकों के एकसाथ “दिल के दौरा” पड़ने के चमत्कार को देखकर, औरंगज़ेब भाग खड़ा हुआ और इसीलिए शायद और कुछ तोड़ने की उसकी हिम्मत ना हुई!

नंदी का मुंह हमेशा किसी भी मंदिर में भगवान भोलेनाथ की ओर ही होता है, ऐसा आप किसी भी मंदिर में देख सकते हैं। अब ज्ञानवापी में – नंदी हैं, गौरी श्रंगार मंदिर है (पार्वती), पर फिर भगवान शिव कहां हैं!
काशी गंगा किनारे है, और शिवजी के केशों से निकलती गंगा की तस्वीर आप सबने देखी होगी. इसीलिए एक खूबसूरत तालाब बनाया और उसके मध्य शिवलिंग बनाया गया! जोकि ठीक नंदी की सीध में है!
नागा साधुओं के विद्रोह के चलते #काशी में जितना तोड़ सकते थे, उतना तोड़कर मुगल सेना भाग खड़ी हुई।
शिवलिंग इतना भारी है कि क्रेन के बिना निकालना संभव ना होता। शायद इसीलिए सीमेंट से फाउंटेन वाला वामपंथी झूठ गढ़ा गया! ताकि हमें मूर्ख बनाया जा सके।
[चेतना विकास मिशन)

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