प्रो.शरद नारायण खरे
नया हौसला धारकर,कर लें नया धमाल।
अभिनंदित करना हमें,सचमुच में नव काल।।
नवल चेतना संग ले,करें अग्र प्रस्थान।
होगा आने वाला वर्ष तब,सचमुच में आसान।।
वंदन करने आ रहा,एक नया दिनमान।
कर्म नया,संकल्प नव,गढ़ लें नया विधान।।
बीती बातें भूलकर,आगे बढ़ लें मीत।
तभी हमारी ज़िन्दगी,पाएगी नव जीत।।
कटुताएँ सब भूलकर,गायें मधुरिम गीत।
तब सब कुछ मंगलमयी,होगा सुखद प्रतीत।।
देती हमको अब हवा,एक नया पैग़ाम।
पाना हमको आज तो,कुछ चोखे आयाम।।
कितना उजला हो गया,देखो तो दिन आज।
है मौसम भी तो नया,बजता है नव साज़।।
पायें मंज़िल आज तो,कर हर दूर विषाद।
नहीं करें हम वक़्त से,बिरथा में फरियाद।।
साहस से हम लें खिला,काँटों में भी फूल।
दुख पहले सुख बाद में,यही सत्य का मूल।।
अभिनंदित हो वर्ष नव,बिखरायें उल्लास।
कभी न भाई मंद हो,पलने वाली आस।।