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क्या पहले भी कभी मुख्यमंत्री गिरफ्तार हुए

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दिल्ली शराब नीति घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार रात गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले एजेंसी केजरीवाल को नौ समन भेज चुकी थी, लेकिन वह एक भी बार एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद सियासत भी हो रही है। जहां भाजपा केजरीवाल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा रही है, वहीं दूसरी ओर ‘इंडिया’ की पार्टियां उनके समर्थन में उतर आए हैं। आप नेताओं का कहना है कि पहली बार किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है। केजरीवाल भाजपा की राजनीतिक साजिश का शिकार हुए हैं। दिल्ली सरकार की मंत्री आतिशी ने कहा है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री बने रहेंगे और जेल से ही सरकार चलाएंगे।

आइये जानते हैं कि क्या सच में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई है?

पहले जानते हैं कि हुआ क्या है?
ईडी दिल्ली शराब नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है। इसी कड़ी में ईडी की टीम गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर पहुंची और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से शराब नीति मामले में पूछताछ की। रात होते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 

बता दें कि कोरोना काल के बीच दिल्ली सरकार ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 लागू की थी। इस शराब नीति के कार्यान्वयन में कथित अनियमितता की शिकायतें आईं, जिसके बाद उपराज्यपाल ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। इसके साथ ही दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 सवालों के घेरे में आ गई। हालांकि, नई शराब नीति को बाद में इसे बनाने और इसके कार्यान्वयन में अनियमितताओं के आरोपों के बीच रद्द कर दिया गया था।

ईडी ने अपनी चार्जशीट में कई बार अरविंद केजरीवाल के नाम का जिक्र किया है। अदालत में दायर आरोप पत्र में ईडी ने बताया कि दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 आप के शीर्ष नेताओं द्वारा बनाई गई थी, ताकि लगातार अवैध धन कमा कर और उसे अपने पास लाया जा सके। ईडी ने दावा किया कि यह नीति अवैध और आपराधिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने के लिए जानबूझकर कमियों के साथ बनाई गई थी। एजेंसी ने आरोप पत्र में आरोपियों के साथ सीएम के घर पर बैठक से लेकर वीडियो कॉल तक की घटनाओं का उल्लेख किया है।

क्या सच में पहली बार किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई है?
यह पहली बार ही है जब किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, पूर्व में कई ऐसे उदाहरण जरूर आए गिरफ्तारी से ऐन पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे हुए हैं। ताजा उदाहरण झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का है। 

31 जनवरी 2024 को कथित रक्षा भूमि घोटाला मामले में ईडी ने सोरेन को गिरफ्तार किया था। इससे पहले 31 जनवरी को ही उन्होंने झारखंड के राज्यपाल को सीएम पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया था। 

अन्य मामलों की बात करें तो तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता की गिरफ्तारी हुई थी। तब जनता पार्टी के डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने जयललिता के खिलाफ मामला दायर किया और आरोप लगाया कि 1991 से 1996 तक मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक की संपत्ति अर्जित की। 7 दिसंबर, 1996 को जयललिता की गिरफ्तार कर ली गई। आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, 5 दिसंबर, 1996 तक जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं।

इसके बाद 1997 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को चारा घोटाले में गिरफ्तार किया गया था। 30 जुलाई, 1997 को लालू यादव ने अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया था। इससे पहले 25 जुलाई, 1997 को लालू ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद लालू की पत्नी राबड़ी देवी सीएम बनी थीं।

अगला मामला कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा से जुड़ा है। साल 2011 में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को जमीन मामले में जेल जाना पड़ा था। येदियुरप्पा ने 15 अक्तूबर, 2011 को लोकायुक्त अदालत में आत्मसमर्पण किया था। इससे पहले 31 जुलाई, 2011 को उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

AAP कह रही है कि केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे, क्या ऐसा संभव है? 
अब दूसरा बड़ा सवाल है कि क्या अब दिल्ली की सरकार जेल से चलेगी? जैसा कि आप ने दावा किया है। इस बारे में हमने संविधान के जानकार और सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विराग गुप्ता से बात की। विराग कहते हैं, ‘कानून की नजर में गिरफ्तारी होना दोष सिद्धि नहीं माना जाता है। ऐसे में किसी मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के तुरंत बाद उनसे इस्तीफा नहीं लिया जा सकता है।’

जेल से सरकार चलाने के सवाल पर विराग गुप्ता कहते हैं, ‘जेल से सरकार चलाना जेल के नियमों पर काफी निर्भर करेगा। इसमें जहां तक व्यवहारिकता की बात है तो मुख्समंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये कैबिनेट की मीटिंग ले सकते हैं। अब अगर ये सवाल उठता है कि जेल से कैबिनेट या मंत्रियों के साथ बैठक कैसे होगी तो इसके लिए जेल प्रशासन की मंजूरी लेना जरूरी होगी। अगर जेल प्रशासन मुख्यमंत्री को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बैठक लेने की अनुमति नहीं देता है तो ऐसा संभव नहीं हो पाएगा।’

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे कहते हैं, ‘किसी राज्य की सरकार को सुचारू रूप से चलाने के लिएमुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है। इम्युनिटी केवल राज्यपाल और राष्ट्रपति को उपलब्ध है। उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, लेकिन यहां अगर मुख्यमंत्री पर कोई आरोप लगता है तो एजेंसी कभी भी गिरफ्तारी कर सकती है।’

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