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शिवराज की अगुवाई के मायने समझने होंगे !

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सुसंस्कृति परिहार
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री जो चौथी बार भले षड्यंत्र पूर्वक  विजयी हुए हैं कांग्रेस को सत्ता से हटाकर मुख्यमंत्री बने हैं उनका अपना देश के भाजपाई मुख्यमंत्रियों  में चार बार जीतने का जो रुतबा है वे अपने आपको प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानने लगे हैं। इसलिए आजकल केंद्र सरकार फैसला ले नहीं पाती और शिवराज उसे लागू कर अपनी महत्ता प्रतिपादित कर देते हैं ।अभी पिछले दिनों की बात है जब उन्होंने मध्यप्रदेश में कोराना कालीन कर्फ्यु रात्रि 11बजे से सुबह 5बजे तक की घोषणा कर दी।तो सब चौंक गए।आज इस तरह की घोषणा केंद्र सरकार ने की है।यानि शिवराज मोदी से एक कदम आगे चल रहे हैं।उनका विपक्ष के प्रति भी जो रवैया आजकल है वह अलोकतांत्रिक है।वे अब अपने को सर्वेसर्वा समझने लगे हैं।
ये बात और कि बिरसा मुंडा के जनजातीय सम्मेलन में जब मोदी जी भोपाल आए थे तो तेजी से मोदी से आगे बढ़ते शिवराज का कंधा पकड़कर उनके साथ चल रहे सुरक्षा के जवान ने उनके बढ़ते कदमों को रोक दिया था।यह प्रोटोकाल भी हो सकता है लेकिन लोगों और शिवराज को भी ख़राब लगा था।यह उनके चेहरे से साफ़ ज़ाहिर हुआ था। किंतु ये सच्चाई है शिवराज के दिल दिमाग में पी एम बनने का फितूर हावी हो चुका है।


अक्सर मंगलवार को आहूत की जाने वाली केबिनेट बैठक बुलाकर शिवराज ने जिस तरह होने जा रहे पंचायत चुनाव को आज रद्द करने फैसला राज्यपाल और चुनाव आयोग को भेजा है।वह भी एक उनकी पहल कदमी मानी जाएगी।क्योंकि यह बिल्कुल तय बात है ओमेक्रान कोरोनावायरस की आमद को जिस तरह ख़तरनाक बताया जा रहा है उसकी आड़ में पांच राज्यों के चुनाव भी रद्द होंगे ही ।वजह स्पष्ट है कि सभी राज्यों में भाजपा विरोधी माहौल है और जनता चुनाव में इन्हें सबक सिखाने बेताब है।
इधर शिवराज शांत मध्यप्रदेश को पिछले साल से अशांत कर संघ को ख़ुश करने की कोशिश कर रही है इसलिए अल्पसंख्यकों पर हमले  बढ़ रहे हैं।धार के मनावर में बजरंग दल का जुलूस उन प्रतिबंधित क्षेत्र में भी प्रशासन की शह से घुस गया गया और वहां उकसाने का काम किया गया फलत: अल्पसंख्यकों ने पथराव किया। पुलिस ने तत्काल यहां एक्शन  लिया और उन पर एफ आई दर्ज कर दी और मनगढ़ंत 49लोगों पर कार्रवाई के आदेश दे दिए। लेकिन जिन्होंने प्रतिबंधित क्षेत्र में प्रवेश किया उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। ताज़ा जानकारी के मुताबिक पथराव करने वाले एक व्यक्ति की इमारत को नष्ट कर दिया गया है तथा वहां से विस्फोटक सामग्री और हथियारों का जखीरा पकड़ा गया है। पुलिस की इस एकपक्षीय कार्रवाई पर यकीन कैसे किया जा सकता है।सवाल ये है जब ये लोग इतने ख़तरनाक हथियार रखे थे तो उन्होंने पत्थरों का सहारा क्यों लिया?

इससे पहले मालवांचल में जहां संघ की शाखाएं मज़बूत है इस तरह घटनाएं आम होती जा रही हैं मध्यप्रदेश की व्यावसायिक राजधानी इंदौर में चूड़ी बेचने वाले एक मुसलमान शख़्स को कथित तौर पर मज़हब की वजह से पीटा गया और धमकी दी गई कि चूड़ी बेचने हिंदुओं के इलाक़े में न आया करें बाद में इस मामले में एफ़आईआर दर्ज की गई लेकिन फिर मारपीट के इस मामले में अब पुलिस ने जिस लड़के की पिटाई हुई है उस पर पॉक्सो एक्ट, छेड़छाड़ और 420 समेत 9 धाराओं में मामला दर्ज किया है।वहीं इस मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी संज्ञान में लेना पड़ा ।अब सब कुछ उजागर हो चुका है। उज्जैन में इसी तरहअल्पसंख्यक समुदाय के एक कबाड़ी को पीट पीट कर जय श्री राम कहलाया गया। देपालपुर  से एक और घटना सामने आई है जिसमें हाथ ठेले पर बरसों से पानी बतासा बेचने वाले अल्पसंख्यक पर इसलिए हमला हुआ कि वह अपने ठेले पर “सांवरिया पानी बतासे वाला” की तख़्ती लगाए था। हमलावरों ने उस पर आरोप लगाया कि वह अपनी जात छिपाकर पानी बतासा बेेेच रहा था।

25दिसंबर क्रिसमस डे पर धार में पथ संचलन सिर्फ इसलिए आयोजित किया गया ताकि बच्चे क्रिसमस का आनंद ना ले सकें।तुलसी पूजन दिवस का भी इस दिन खूब प्रचार किया गया। ईद-मिलादुन्नबी पर भी जुलूस निकालने की अनुमति दी गई पर क्षेत्र प्रतिबंधित रहे।जिससे अल्पसंख्यक समुदाय में रोष है? क्रिसमस के समय भी प्रतिबंध जो लगे हैं वे उचित नहीं?ऐसा क्यों किया जा रहा है सवालों के घेरे में है। मध्यप्रदेश पुलिस दशहरा के इतने बड़े जुलूसों को निकलवा सकती है बड़े बड़े आंदोलन निपटा सकती है तो अल्पसंख्यकों के जुलूस के साथ ऐसा व्यवहार क्यों?

इन तमाम बातों से जो शिवराज की आज की तस्वीर बनती है वह तो यही कहती है कि वे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की राह पर चलकर  शिवराज अगले प्रधानमंत्री की कतार में लाने व्यग्र हैं इसलिए सबसे आगे बढ़कर घोषणाएं करते हैं। मध्यप्रदेश पुलिस का खासकर जो धार का इतिहास रहा है उसे खत्म कर उत्तरप्रदेश पुलिस की तरह बर्बर बनाने में लगी। शिवराज सिंह को यह ध्यान रखना चाहिए कि इस तरह की हरकतों से वे भले संघ को ख़ुश कर लें किंतु मध्यप्रदेश की आम जनता इन सबसे नफरत करती है तथा वह अमन चैन पसंद है। 

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