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हिंदुस्तान एक बार फिर थर्राया : कहीं सर कलम तो  कहीं सरकार का पतन!

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सुसंस्कृति परिहार

उदयपुर में इस्लामिक आतंकवाद और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के बागी शिवसैनिकों की चर्चा बीते दिन  सरेआम गर्म रहीं। पंजाब में खालिस्तानी आतंक के आगमन बाद राजस्थान में  पाकिस्तान के आतंकी संगठन से जुड़े दो लोगों द्वारा जिस तरह कन्हैयालाल का दिन दहाड़े सिर कलम कर दिया गया वह बहुत चिंतनीय है। अच्छा यही हुआ कि उन हत्यारों को पकड़ लिया गया है। वे दोनों राजस्थान के निवासी हैं और पाकिस्तान केअलसूफा और आई एस से जुड़े  कट्टर इस्लाम समर्थक हैं।यह घटना जिस क्षेत्र में घटित हुई उस क्षेत्र में इससे पहले की एक घटना याद आती है जब एक इसी तरह के एक देवीभक्त ने दिन दहाड़े एक दिहाड़ी मुस्लिम मज़दूर को काम के बहाने ले जाकर उसी की कुदाली छीनकर उसको मारकर आग के हवाले कर दिया था।तब भी इसका वीडियो जारी किया गया था।वह शख्स जेल में हैं। लेकिन दुख इस बात का था कि मर्मान्तक घटना के बाद कतिपय हिंदू वादी संगठनों ने जश्न मनाया था।वह मज़दूर बेकसूर था। मेहनत मशक्कत करके पेट पालता था।पहलू ,अखलाक जैसे की लोग गौमांस के शक में निरपराध होते हुए मारे गए।तब चंद सामाजिक कार्यकर्ता ही इस घटना के विरोध में सामने आए थे। तब मुस्लिम कौम एकदम ख़ामोश रही।आज वैसी ही हत्या से हम सब विचलित हैं।काश उस समय भी हम सब ख़ामोश ना रहते तो एक मिसाल बनती ।

पिछले दिन इसी तरह निर्दोष कन्हैयालाल को इस्लाम धर्म मानने वाले दो आतंकियों ने मार डाला।जिसकी अनुगूंज पूरे भारत देश में फ़ैल चुकी है।देश के तमाम धर्मावलंबियों द्वारा इस घटना की घोर निन्दा की गई जिससे ये जाहिर होता है कि हम सब एक हैं।इस वक्त विचारणीय पहलू यह है कि अब तक ख़ामोश मुस्लिम कौम में से दो लोगों द्वारा इस दुर्दांत हत्या के बाद क्या हम तमाम मुसलमानों से बदला लें ? विरोध प्रदर्शनों का कोई औचित्य नहीं।हत्यारे पकड़ लिए गए हैं। चूंकि राजस्थान में  कांग्रेस सरकार है उसकी वजह से वहां की सरकार और पुलिस की तारीफ नहीं की जा रही है।अवाम को उसकी तारीफ करनी चाहिए। हालांकि राजस्थान सरकार ने पांच पुलिस कर्मियों को प्रमोशन देने की बात ज़रुर कही है।इससे उनका मनोबल बढ़ेगा तथा तथाकथित दोनों आतंकियों को इस कार्य के लिए प्रेरित करने वाले हतोत्साहित होंगे। वहीं भारत सरकार भी अपनी एजेंसियों को आतंकी लोगों की तलाश में सजगता से लगाए।यह जांच आम मुस्लिम विरोधी ना बन पाए यह ध्यान रखना होगा।

दूसरी चिंताजनक बात ये है कि फेसबुक पर नुपुर शर्मा के समर्थन में लिखने वाला कन्हैया का बेटा था जो जीवित है उसके परिवार की सुरक्षा की व्यवस्था ज़रुरी है।जैसा कि हमें मालूम कि नुपुर को समर्थन देने वाले हज़ारों की तादाद में रहे होंगे।उन सबको भी सावधानी रखनी होगी।ईश निंदा का ये भारत में पहला गंभीर मसला है इसलिए नुपुर पर मोहम्मद जुबेर की तरह एक्शन लेना ज़रूरी है।एक पर कानून लागू करना और दूसरे पर त्वरित कार्रवाई ना होना संविधान विरोधी है।

उधर महाराष्ट्र सरकार भी येन-केन प्रकारेण गिरा दी गई।एक लोकतांत्रिक सरकार की सरेआम हत्या की गई।तीन हज़ार करोड़ रुपए ख़र्च का लोग अनुमान लगा रहे हैं। विधायकों को इस तरह से गोहाटी,गोवा में रखना जबरिया उठा ले जाना कितना न्यायसंगत है इस पर विमर्श की आवश्यकता भी है ।सरकार के हत्यारे कौन हैं उन्हें प्रेरित करने और सहयोग करने वाली महाशक्ति कौन है।यह सार्वजानिक तौर पर जाहिर है। किंतु जब संरक्षण की श्रृंखलाएं अटूट और अनगिनत हों तो यह होना ही था।यह पहली बार नहीं बार बार हो रहा है।यह भी एक बड़ा अपराध है किन्तु लगता है इसका समाधान संविधान में नहीं है। जनता-जनार्दन के हाथ में है।वह इसका जवाब तो देर सबेर दे ही सकती है।

कुल मिलाकर भारत की जनता ही देश में सर्व धर्म समभाव और लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने की क्षमता रखती है और इस तरह की तमाम हत्याओं का जवाब अपनी सद्भावना और संवेधानिक अधिकार से दे सकती है वरना हमारा देश बर्बादी के मुहाने पर खड़ा ही है उसे मिटते देर नहीं लगेगी।इस कठिन वक्त को भाईचारा कायम रख कर ही गुज़ारा जाना ज़रुरी है।हर गहन अंधकारा के बाद ही सुहानी भोर आती है।अभी यह उम्मीद बाकी है यह विश्वास रखना होगा।

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