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होली ,चुनाव यानि आम आदमी की आफ़त

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–सुसंस्कृति परिहार

उल्लास और रंगों का पर्व होली आ पहुंचा है। वस्तुत: वसंत के आगमन के साथ वसंतोत्सव प्रारंभ हो जाते जो मदनोत्सव में आहिस्ता आहिस्ता तब्दील हो जाते हैं। वासंती बयार में पीत वर्ण पत्ते धरती पर फैलकर नव पल्लवों का आव्हान करते हैं इसी बीच टेसू जिसे पलाश कहते हैं लाल-लाल फूलों से श्रंगार कर लेता है यह होली के आगमन सूचक है। आसाराम बापू इस फूल का इस्तेमाल मादकता के लिए युवतियों पर करते रहे जबकि गांव के लोग इन फूलों को रात भर पानी में पकाकर उससे प्राप्त रंग से होली खेलते हैं वे कहते हैं इसका ऱंग शरीर को आने वाली गर्मी से सुरक्षित रखते थे।

बहरहाल होली और नशे का रिश्ता कथित देवताओं के समय से माना जाता है।शिव जी भांग का सेवन करते थे तो अन्य देवता सोमरस का उपयोग करते थे।कहा जा रहा है कि वह चरणामृत की तरह कोई शीतल पेय था। वहीं दानव सुरापान करते थे जिसे शराब कह सकते हैं। धर्मग्रंथों की ही माने तो आज सुरा या मदिरापान करने वालों की संख्या कई करोड़ों में है और होली जैसे मादक पर्व में इसकी संख्या सौ गुना बढ़ जाती है कहने का आशय यह है कि मदिरा पीने वाले दानवों की संख्या बहुत अधिक है इसलिए सरकार ने बराबर आबकारी विभाग बनाया हुआ और देश के हर गली चौक चौराहों सभी गांवों में यह आसानी से बिकती है। जहां इस पर प्रतिबंध है वहां यह चोरी छिपे ऊंचे दामों पर मिल जाती है।अब तो आनलाइन यह मज़े से घर घर पहुंच रही है।

बड़ा विचित्र मामला ये है चुनाव जैसे लोकतांत्रिक पर्व पर ड्राई डे घोषित किया जाता है किंतु इससे पीने वालों को कोई फ़र्क नहीं पड़ता वे तो एक दो दिन पहले अपना स्टाक फुल कर लेते हैं।गरीब मतदाताओं के लिए तो ये सबसे महत्वपूर्ण दिन होते हैं जब उन्हें इसे घर पर ही यह सुखानंद भेंट किया जाता है। पिछले वर्ष के आंकड़े बताते हैं कि चुनाव के एक दिन पहले 130करोड़ रुपए की शराब बिक्री हुई। दिल्ली में लगभग 60 करोड़ की बिक्री हुई।यकीन मानिए इससे ज्यादा बिक्री होली पर्व में होती है।यानि देखा जाए तो बिन शराब होली खराब हो जाती है।भांग की बिक्री तो सामान्य रहती है।

इस बार सुना जा रहा है कि चुनाव आयोग सुको की निगरानी में काम कर रहा इसी दौरान होली,  नवरात्रि, रामनवमी , गुड फ्राइडे और ईदुलफितर जैसे पर्व हैं। धार्मिक उत्सवों में आजकल उन्माद ज़रूरत से ज़्यादा दिखाई देता है।ऐसे समय आम आदमी जो थोड़ा बहुत खुश नज़र आता था, दो चार दिन मस्ती के जी लेता था वे अब नहीं मिलने वाले। वैसे भी आम आदमी पार्टी के चार लोग पहले से शराब घोटाले में हिरासत में हैं अब उनके साथ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी है।इससे होली की उमंग तरंग भले ना दिखाई दे किंतु यह लोकसभा चुनाव में आमजन की हौसला अफजाई करेगा।

 फिलहाल अंत में होली की याद  नज़ीर अकबराबादी की ये इन चंद पंक्तियों में कर लें –

ख़म शीशए जाम छलकते हों/ तब देख बहारें होली की/

महबूब नशे में छकते हो /तब देख बहारें होली की।

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