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होममेकर्स को इज्जत नहीं मिलने पर दुख होता है:यामी गौतम

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फिल्म ‘धूमधाम’ में यामी गौतम एक असरदार रोल में नजर आएंगी। उन्होंने शादी और लड़कियों की आजादी पर अपनी राय दी। यामी ने आधुनिक पीढ़ी को सोशल मीडिया की लत से खुद को दूर रखने की भी सलाह दी

फिल्म बाला हो या आर्टिकल 370, ऐक्ट्रेस यामी गौतम को जब भी दमदार रोल मिला, उन्होंने अपनी ऐक्टिंग का जलवा दिखाया है। अब वह ओटीटी पर आ रही फिल्म धूमधाम में फिर एकधमाकेदार अंदाज में नजर आने वाली हैं। पेश है यामी से खास बातचीत:

आपकी फिल्म धूमधाम का केंद्र एक अरेंज्ड मैरिज है, जबकि आज बहुत से लोगों के मुताबिक, शादी खत्म होती संस्था है। आपकी इस बारे में क्या राय है?

मुझे शादी में यकीन नहीं होता तो मैं क्यों करती ! मेरा मानना है कि हम अपने इतिहास को देखें, तो इन सब चीजों के बहुत अहम मायने रहे हैं। हमारे बड़े-बुजुर्ग बहुत समझदार थे, जिन्होंने ये रिवाज बनाए। हम कई बार उन्हें पुरानी बातें कहकर नजरअंदाज कर देते हैं। कुछ बातें पुरानी हो सकती हैं, जिन्हें प्रोग्रेसिव नजरिए से देखना जरूरी थी, मगर सोसायटी को लेकर जो मूल चीजें हैं कि हमारा समाज कैसे बना? इसका उद्भव-विकास कैसे हुआ, ये रिवाज कैसे बने, इनके बहुत खूबसूरत मतलब हैं, अगर हम उनको सही मायनों में देखें। मुझे लगता है कि हमारी आज की पीढ़ी घबरा बहुत जल्दी जाती हैं, क्योंकि आज की डिजिटल दुनिया में सब अपने तक सीमित होते जा रहे हैं। सबके हाथ में फोन हैं, कोई पास में बैठा है, तब भी उस पर ध्यान नहीं देते हैं। इसलिए, मैं जान बूझकर खुद को इंटरनेट और सोशल मीडिया से जितना हो सके, डिटैच रखने की कोशिश करती हूं। सिर्फ प्रमोशन के वक्त वापस आती हूं। अगर प्रमोट नहीं कर रही होती हूं, तो लॉग आउट कर देती हूं क्योंकि यह एक आदत है, जिस पर हमें खुद काबू पाना होगा। बाकी, मैं तो शादी की संस्था में पूरी तरह यकीन करती हूं और मैं अगली पीढ़ी में भी यही सोच बढ़ाना चाहूंगी। मैं उम्मीद करूंगी कि समाज का बड़ा तबका इस तरह से ना सोचे।

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मुझे लगता है कि हर लड़की कभी ना कभी ऐसे हालात से गुजरी होगी, जब उसे असहज महसूस कराया गया होगा। ईव-टीजिंग जैसी चीजें मैंने खुद झेली हैं। खासकर वैलंटाइंस डे के दौरान तो कुछ ज्यादा ही होता था। सड़कों पर कुछ ज्यादा ही लाल स्वेटर और दिल दिखते थे, शेरो-शायरी बढ़ जाती थी। चंडीगढ़ में तब जाड़े का समय होता है तो अंधेरा जल्द हो जाता था और हमारे यहां सेट रूल था कि अंधेरा होने से पहले घर आना है। जब मैं बहुत छोटी थी, तबसे ऐसा था। मुझे याद है, मैं ट्यूशन जाया करती थी और ऐसे लड़कों के प्रति मेरा एक सपाट लुक होता था। कोई एक्सप्रेशन नहीं कि बिल्कुल रिएक्ट नहीं करना है। सिर्फ एक बार मैंने रिएक्ट किया था, जब किसी ने मेरा हाथ छूने की कोशिश की थी, तब मैंने उसके हाथ पर जोर से थप्पड़ मारा था। मैं रिक्शा पर थी, वो स्कूटर पर थे, फिर वो डरकर भाग गए, पर मेरा तरीका ये था कि जब बहुत ज्यादा कुछ हो तभी रिएक्ट करती थी, वरना इग्नोर करती थी।

वैसे, आपको औरतों से जुड़ी समाज की कौन सी रूढ़िवादी सोच या स्टीरियोटाइप परेशान करती है?

जब एक औरत, जो होममेकर होती है, उसे कहा जाता है कि आप क्या काम करती हैं, आप तो घर पर ही रहती हैं। बाहर तो हम काम करते हैं, यह सोच मुझे बहुत बुरी लगती है, क्योंकि वही तो असली काम है। वह महिला शायद और बहुत कुछ करने में सक्षम है पर वह ये कुर्बानी देती है क्योंकि उनको एक घर बनाना है। मकान नहीं, वे मकान से घर बनाती हैं, पर ज्यादातर ऐसा ही होता है कि ओह, आप तो हाउसवाइफ हैं। नहीं…, वो जो इतनी सारी जिंदगियां बन रही हैं, पति की, बच्चे की, सास-ससुर की, उन सबकी जरूरतों की जिम्मेदारी वह औरत उठाती हैं और बहुत दिल से उठाती है। मैंने अपनी मां को देखा है कि उन्होंने कितनी कुर्बानियां की हैं, पर कभी कुछ कहा नहीं, तो मुझे लगता है कि उन होममेकर्स को और ज्यादा महत्व मिलना चाहिए। मुझे हमेशा यह चीज परेशान करती थी कि अगर कोई लेडी वर्किंग ना हो तो क्या घर में उसकी इज्जत होगी। मैं अभी वर्किंग विमन की बात नहीं कर रही हूं, उनकी भी जिंदगी बहुत मुश्किल है। हम औरतें बहुत सारे रोल एक साथ निभाती हैं और उम्मीद की जाती है कि हम सबमें परफेक्ट हों, मगर हम भी इंसान हैं, हमारे भी इमोशन हैं, इसलिए मुझे लगता है कि औरतों की तरफ थोड़ा और संवेदनशील होने की जरूरत है।

क्या होममेकर्स काे वह महत्व ना मिलना भी कहीं न कहीं एक वजह है कि आप मदरहुड के बाद भी लगातार काम में सक्रिय हैं?

नहीं, मैं इस तरह से नहीं सोचती। मैं सबको उसी इज्जत से देखती हूं। आप काम कर रही हैं, तो आपकी मेरे मन में बहुत इज्जत है, लेकिन अगर आपको लगता है कि मुझे घर पर रहकर एक अलग तरह से जिंदगी बितानी है या मेरी ज्यादा जरूरत घर पर है। मेरे लिए काम-घर के बीच बैलेंस बना पाना संभव नहीं है तो मैं घर की जिम्मेदारी संभालती हूं, तो मैं भी मैं आपकी और ज्यादा इज्जत करूंगी। मतलब, आपकी जो भी चॉइस है, मेरे लिए आप पूजनीय हैं।

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