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साहब और एंबुलेंस 3.0

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अनिल हासानी

एक बार नही, दो बार नही, पूरे तीन बार एंबुलेंस को रास्ता देने वाले दुनिया के पहले साहब बन गए हैं हमारे साहब। तीसरी बार एंबुलेंस को रास्ता देकर उन्होंने दो बार रास्ता देने वाला अपना ही पिछला रिकॉर्ड तोड दिया है। लगता है एंबुलेंस के साथ भी साहब का बचपन का नाता रहा है। शायद साहब और एंबुलेंस के बीच कोई जन्म जन्मांतर वाला रिश्ता है। 

साहब कहीं भी जा रहे हो, कितनी भी जल्दी में हो, मुंह उठा कर कोई न कोई एंबुलेंस उनके रास्ते में आ ही जाती है। ऐसा लगता है मानो एंबुलेंस का ड्राइवर साहब के काफिले के निकलने का ही इंतजार कर रहा है। इधर साहब निकले नही कि यह अपनी एंबुलेंस साहब की गाड़ी की तरफ भगा देता है। 

हर बार वीडियो की गुणवत्ता पिछली बार से बेहतर होती जा रही है।  पात्रों का अभिनय भी दिन प्रतिदिन स्वाभाविक होता जा रहा है। इस बार तो स्वयं ड्राइवर ने भी आगे आकर अपना बयान दर्ज करवाया है। यदि अब चौथी बार साहब के रास्ते में एंबुलेंस आई तो यकीनन उसमे बैठा मरीज भी बाहर आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा।

साहब को अब एंबुलेंस की लत लग चुकी है। सिगरेट और शराब की लत छुड़ाई जा सकती है पर एंबुलेंस की लत का कोई इलाज नहीं। लेकिन बार बार एंबुलेंस का बेधड़क साहब के रास्ते में आ जाना चिंता का विषय भी है। हम जानते ही हैं कि साहब के 18–18 घंटे काम करने की आदत के चलते उनके दुश्मन काफी बढ़ गए हैं। किसी दिन कोई असामाजिक तत्व एंबुलेक में बैठ कर चला आया तो सीधे साहब तक पहुंच जाएगा।

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