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कितना बड़ा है रिलायंस में यह फेरबदल

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मृत्युंजय राय
दुनिया के 9वें सबसे अमीर इंसान मुकेश अंबानी का कारोबारी साम्राज्य रिटेल से लेकर टेलिकॉम और ऑयल रिफाइनिंग तक फैला हुआ है। पिछले मंडे को उन्होंने रिलायंस इंफोकॉम लिमिटेड (RJIL) का चेयरमैन पद छोड़ दिया, जिस पर अब उनके बड़े बेटे आकाश बैठेंगे। इसे रिलांयस ग्रुप में उत्तराधिकार योजना की शुरुआत माना जा रहा है। यह आगे क्या शक्ल लेगी, इसका पक्का पता नहीं है, लेकिन कुछ संकेत जरूर मिले हैं।

फैसले की क्या है अहमियत
रिलायंस ग्रुप में हुआ यह बदलाव देश के लिए भी मायने रखता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज भारतीय शेयर बाजार और इकॉनमी का अहम स्तंभ है। आइए, देखते हैं कैसेः

यानी रिलायंस में किसी भी बदलाव का सरकार की आमदनी और देश की इकॉनमी पर असर होगा। इसलिए कंपनी में भविष्य में लीडरशिप क्या शक्ल लेती है, उसकी काफी अहमियत है।

मुकेश अंबानी और आकाश अंबानी (फोटोः PTI)

सक्सेशन प्लान की जरूरत क्यों पड़ी
पिता धीरूभाई अंबानी की मृत्यु के बाद मुकेश अंबानी का छोटे भाई अनिल अंबानी के साथ संपत्ति के बंटवारे को लेकर विवाद लंबा चला था। धीरूभाई ने अपने जीते जी कारोबार का बंटवारा नहीं किया था। शायद, मुकेश अपने बच्चों के बीच वैसा विवाद नहीं देखना चाहते। इसलिए उन्होंने उत्तराधिकार योजना को लागू करना शुरू कर दिया है। इस पर तफसील से नजर डालने से पहले यह जानना जरूरी है कि कंपनी के अहम बिजनेस क्या हैं?

तीन बड़े बिजनेस
रिलायंस इंडस्ट्रीज की वित्त वर्ष 2022 में कुल आमदनी 7.93 लाख करोड़ रही। यह कंपनी अपने आप में एक बिजनेस एंपायर है, जिसके तीन अहम हिस्से हैं।

क्या है असल वैल्यूएशन
रिलायंस के पूरे बिजनेस एंपायर की शेयर बाजार अभी करीब साढ़े 16 लाख करोड़ रुपये कीमत लगा रहा है, जो कम है। अगर कंपनी के तीनों बिजनेस अलग होते हैं और डिजिटल के साथ रिटेल बिजनेस को मार्केट में लिस्ट कराया जाता है तो यह रकम कहीं अधिक होगी।

इन बिजनेस की असल वैल्यू भले ही अधिक हो, लेकिन यह कीमत तभी लगेगी जब ये अलग-अलग शेयर बाजार में लिस्ट हों। यह भी कहा जा रहा है कि आगे चलकर रिलायंस ग्रुप के अलग-अलग बिजनेस एक होल्डिंग कंपनी के अंदर आ जाएंगे। होल्डिंग कंपनी वाले मॉडल में मार्केट अलग-अलग बिजनेस की पूरी वैल्यू नहीं देता।

रिलायंस की फ्यूचर लीडरशिप
आइए, अब एक-एक करके आपको आकाश, ईशा और अनंत के बैकग्राउंड और उनकी जिम्मेदारियों के बारे में बताते हैं। सक्सेशन प्लान में कंपनी का डिजिटल बिजनेस शायद आकाश को मिले। वह 2016 में जियो के लॉन्च होने से पहले उससे जुड़े हैं। इससे दो साल पहले 22 साल की उम्र में ही उन्हें कंपनी के बोर्ड में शामिल कर लिया गया था। कहते हैं कि 2020 में जब जियो में गूगल और फेसबुक ने निवेश किया तो उसके पीछे भी आकाश का ही दिमाग था।

आकाश की जुड़वां बहन ईशा आगे रिटेल बिजनेस संभाल सकती हैं। रिलायंस ग्रुप ने 2016 में ई-कॉमर्स बिजनेस में कदम रखा तो उसका श्रेय अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी से पढ़ीं और कंसल्टिंग कंपनी मैकिंजी में काम कर चुकीं ईशा को ही जाता है।

मुकेश अंबानी के बच्चों में सबसे छोटे 27 साल के अनंत हैं। उन्होंने भी अपने बड़े भाई आकाश अंबानी की तरह अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है। माना जा रहा है कि अनंत को कंपनी के एनर्जी बिजनेस की जिम्मेदारी मिलेगी। लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि यह बिजनेस बहुत बड़ा है। अभी इसी बिजनेस से कंपनी को सबसे अधिक आमदनी और मुनाफा होता है। इसलिए शायद उन्हें अकेले इसकी पूरी कमान न मिले।

सवाल यह है कि अगर उत्तराधिकार योजना पर अमल शुरू हो गया है तो यह पूरा कब तक होगा? अभी जो संकेत मिल रहे हैं, उन्हें देखकर लगता है कि इसमें कुछ साल का वक्त लग सकता है।

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