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पहली तिमाही में कैसे रह सकते हैं कंपनियों के नतीजे?

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चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय कंपनियों की आय और मुनाफा वृद्धि की चाल सुस्त रह सकती है। ब्रोकरेज फर्में वृद्धि अनुमान को पिछले वित्त वर्ष के अपने उच्च स्तर से घटा रही हैं। वि​भिन्न ब्रोकिंग फर्मों ने अपने अनुमान में चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान कंपनियों की आय वृद्धि में नरमी आने और कुल मुनाफा वृद्धि में सपाट से लेकर मामूली वृद्धि के संकेत दिए हैं।

ब्रोकरेज के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में निफ्टी 50 (Nifty-50) कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही की तुलना में महज 1.6 फीसदी बढ़ सकता है, जो पिछली 7 तिमाही में सबसे कम वृद्धि है। निफ्टी 50 कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 15.2 फीसदी और इसी वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 38.9 फीसदी बढ़ा था।

इसी तरह वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में इन कंपनियों की कुल आय 4.4 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जो 14 तिमाही में सबसे कम बढ़ोतरी होगी। इन कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री या आय वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 8.4 फीसदी और इसी वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.1 फीसदी बढ़ी थी।

बैंक, वित्तीय सेवा और बीमा (BFSI) कंपनियों को छोड़ दें तो निफ्टी 50 कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 1.5 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है जो दिसंबर 2022 तिमाही के बाद सबसे धीमी वृद्धि होगी। इसी तरह इन कंपनियों की कुल शुद्ध आय चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही की तुलना में 4.4 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जो तीन तिमाही में सबसे कम वृद्धि होगी।

इसकी तुलना में बीएफएसआई और तेल एवं गैस कंपनियों को हटाने के बाद निफ्टी 50 कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 10.6 फीसदी बढ़ने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही के 21.8 फीसदी और पहली तिमाही के 19.3 फीसदी वृद्धि से कम है। इन कंपनियों की आय में बेहतर वृद्धि ज्यादा मार्जिन की बदौलत होने की उम्मीद है। इन कंपनियों की कुल बिक्री वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 3.9 फीसदी बढ़ सकती है, जो सितंबर 2020 तिमाही के बाद सबसे कम वृ​द्धि है।

यह विश्लेषण वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के लिए उपलब्ध निफ्टी 50 की 49 कंपनियों के आय अनुमान पर आधारित हैं। इसमें अदाणी एंटरप्राइजेज शामिल है। इसमें एचडीएफसी की पिछली तिमाहियों के एकीकृत आंकड़े शामिल हैं, जिसका पिछले साल जुलाई में एचडीएफसी बैंक के साथ विलय हुआ था।

वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही के लिए एचडीएफसी की आय का अनुमान उपलब्ध है और हमने इसे एचडीएफसी बैंक के आंकड़ों के साथ जोड़ दिया है। वाहन विनिर्माताओं का शुद्ध मुनाफा एक बार फिर दो अंक में बढ़ने का अनुमान है जबकि आय वृद्धि कम रहेगी।

निफ्टी 50 में शामिल देश की 6 शीर्ष वाहन कंपनियों का कुल शुद्ध मुनाफा वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 29.1 फीसदी बढ़ने का अनुमान है। मार्जिन में सुधार से इन कंपनियों के मुनाफे में इजाफा होने की संभावना है। मगर वाहन कंपनियों की कुल शुद्ध बिक्री इस दौरान महज 6.7 फीसदी बढ़ेगी जो वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही की 14.4 फीसदी और पहली तिमाही की 30.5 फीसदी वृद्धि से काफी कम है।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बीएफएसआई, तेल एवं गैस, आईटी, एफएमसीजी और खनन एवं धातु क्षेत्र की कंपनियों की आय एवं मुनाफे में पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही की तुलना में कमी आ सकती है। ब्रोकरों का कहना है कि तेल मार्केटिंग कंपनियों के मार्जिन में गिरावट के कारण इस क्षेत्र के प्रदर्शन पर असर पड़ेगा।

गौतम दुग्गड़ के नेतृत्व में मोतीलाल फाइनैं​​शियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही के अनुमान में लिखा है, ‘मोतीलाल फाइनैं​​शियल सर्विसेज जिन कंपनियों पर नजर रखती है, उनकी आय सपाट रहने का अनुमान है और निफ्टी की आय चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4 फीसदी बढ़
सकती है। मगर इससे तेल मार्केटिंग कंपनियों को निकाल दें तो निफ्टी की आय 11 फीसदी बढ़ सकती है। इन कंपनियों का एबिटा मार्जिन 170 आधार अंक कम होकर 15.8 फीसदी रह सकता है।’

इलारा सिक्योरिटीज के विश्लेषकों ने लिखा है, ‘लार्ज कैप और मिड कैप शेयरों की आय कम रहेगी। स्मॉल कैप का प्रदर्शन अच्छा रहेगा और मार्जिन में भी सुधार होगा। हालांकि इससे ऊर्जा क्षेत्र को निकाल दें तो हमारे लार्ज कैप और मिड कैप नमूने की आय क्रमश: 14 फीसदी और 15 फीसदी बढ़ सकती है, जो स्मॉल कैप के प्रदर्शन के अनुरूप होगा।’

जियोजित फाइनैं​शियल सर्विसेज में शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘नतीजों का मौसम शुरू हो रहा है और शुरुआती अनुमान थोड़े कमजोर दिख रहे हैं। कच्चे माल की लागत ​स्थिर रहने और कीमतों में कटौती से मार्जिन में बढ़ोतरी का दौर खत्म होता दिख रहा है जिसका असर आय और मूल्यांकन में दिख सकता है।’

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