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भारत में कैसे चलती है राजनीति ?

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राहुल जैन

एक साहब को डॉक्टर बनने का शौक चढ़ा।

ज्यादा पढ़े लिखे थे नहीं जुगाड़ लगाया टांका भिड़ाया और बन गए साहब डॉक्टर बिल्कुल ऐसे ही जैसे बोले तो अपने मुन्ना भाई एमबीबीएस।

अब यह साहब डॉक्टर तो बन गए अब सोचने लगे कि मरीज कहां से लाए अपने से ईलाज कौन कराएगा? अपन को आता तो कुछ है नहीं और धंधा पानी तो चलाना ही पड़ेगा।

यह डॉक्टर साहब पहुंच गए अंधों के शहर में और जमकर अफवाह फैलाई अपन भी कभी अंधे थे अब अपन को सब कुछ दिखता है हम डॉक्टर हैं बहुत जल्दी तुम सबको भी सब कुछ दिखेगा बस तुम्हें कुछ करना पड़ेगा। सबसे पहले अंग्रेजी दवाइयां लेनी बंद कर दो अंग्रेजी डॉक्टर को दिखाना बंद कर दो उन्होंने हमारे देश का बेड़ा गर्क कर रखा है  तुम सब मिलकर थोड़ा-थोड़ा पैसे इकट्ठा करो ताकि यहां पर हम एक हॉस्पिटल बना दे फिर देखना तुम सबको कैसे दिखता है चकाचक  बस यह ध्यान रखना ₹10000 से कम कोई ना दे जितना ज्यादा पैसा आएगा उतना शानदार हॉस्पिटल बनेगा जितना शानदार हॉस्पिटल बनेगा उतना ही ज्यादा तुम्हारी आगे आने वाली पीढ़ियों को फायदा होगा।

सभी अंधों को यह बात समझ में आ गई और सब ने जबरदस्त पैसा दिया और जबरदस्त पैसा इकट्ठा हो गया।

डॉक्टर साहब खुश दिमाग चला टना टन बोले अरे भाई जमीन भी तो चाहिए, हॉस्पिटल तो जमीन पर ही बनेगा चलो इतने पैसे में जमीन तो आ ही जाएगी पहले जमीन लेते हैं हॉस्पिटल फिर बनाते हैं अब साहब जी ने 6 महीने जमीन ढूंढने में लगा दिए कोई सस्ती मंदी जमीन मिल गई खरीदी साहब ने महंगे दाम बता कर और शहर में जबरदस्त जश्न मनाया अब यहां पर हॉस्पिटल बनेगा सभी अंधों को दिखाई देना शुरू होगा और इस जश्न में ऐलान कर दिया भाइयों जमीन तो आ गई है अब हॉस्पिटल बनाना बाकी है फिर से पैसा इकट्ठा करो और एक शानदार हॉस्पिटल बनाएंगे सभी अंधों को दिखाई देना शुरू होगा। 

हां बस यह ध्यान रखना ₹20000 से कम कोई ना दें क्योंकि हॉस्पिटल बनाने में बहुत पैसा खर्च होता है अब बेचारे मरते क्या न करते अंदर से जोश भी है पूरे उफान पर कि अब हमें दिखाई देना शुरू होगा पर बेचारे निराश भी हैं 10 हजार पहले दे चुके हैं 20 हजार फिर से देने पड़ेंगे पर दिल को तसल्ली दे बैठे की चलो डॉक्टर के पास भी तो पैसा खर्च करते है ना हॉस्पिटल बनेगा तो अपन को भी दिखाई देना शुरू होगा 

देखेंगे ये दुनिया कैसी है 

इसलिए दे देते हैं और सब ने धड़ाधड़ पैसा फिर से इकट्ठा कर दिया।

आप इतना पैसा देखकर तो इन फर्जी डॉक्टर साहब का खुद का दिमाग चकरा गया और सोचने लगे वह पैसा कमाना कितना आसान है चलो फिर से कमांएंगे बहुत ज्यादा कमाई करेंगें अबकी बार।

अब साहब 5 मजदूर तो गड्ढा खोदने वाले ले आए और 50 लोग ले आए शोर मचाने वाले।

5 लोग बेचारे गड्ढा खोदे और 50 लोग सफेद कोट पहन कर शोर मचाए कि हॉस्पिटल हम बनने नहीं देंगे।

अब ये फर्जी डॉक्टर साहब तो नेता ही बन गए और बोले जोरदार तरीके से देखो भाईयो इन अंग्रेजी डॉक्टरों का तो अभी से दम निकलने लगा है। इनका धंधा पानी बंद न हो जाए इसलिए ये सब अब हमे हॉस्पिटल बनाने नही दे रहे हैं। 

अब साहब ये खबर तो आग की तरह फैल गई आजू बाजू के शहरो और गांवों से चंदा मिलना शुरू हो गया इन साहब को और इस हड़ताल में असली डॉक्टर भी आ गए अब बस फर्क इतना ही आया की अब वो लोग भी आ गए जिन्हे दिखाई देता था अंधे नही थे इसलिए अब तो हॉस्पिटल बनाना मजबूरी हो गई इन साहब की।

अब फर्जी डॉक्टर साहब का माथा ठनका फटाफट से सारा पैसा जमा करवा दिया स्विस बैंक में और हड़ताल करने वाले लोगों पर आरोप लगा दिया की भाईयो ये हमारा हॉस्पिटल न बन जाए इसलिए इन हड़ताल करने वाले डॉक्टर लोगों ने हमारा पैसा भी चुरा लिया है। इनके खिलाफ हम कोर्ट केस करेंगे और जैसा भी फैसला होगा हम उसी हिसाब से चलेंगे। कोर्ट का केस तो कभी खत्म होगा नही इसलिए डाल दिया एक केस कोर्ट में भी।

इधर आम जनता ने इन बेचारे डॉक्टरों की जमकर ठुकाई कर दी और 2-4  हड्डियां तोड़ दी सभी डॉक्टरों की। अब इन फर्जी डॉक्टर साहब ने शांति की अपील की और लोगो को शांत कर दिया और बोले

अब मैं ये निर्णय मैं आप लोगो के ऊपर छोड़ता हूं भाईयो

अब हमारे पास कुछ नहीं है ये डॉक्टर लोग हमारा सब कुछ लूट कर ले गए हैं इसलिए अब हमारे लिए हॉस्पिटल बनाना संभव नहीं है हां अगर आप लोग चाहे तो हम फिर से कोशिश कर सकते हैं।

नतीजा असली डॉक्टर पिट गए

नकली डॉक्टर भाग गए 

अंधे आज भी अंधे ही है।

भाई लोगो कहानी असली नही है ये काल्पनिक है बस ये समझ जाओ की भारत की राजनीति बिलकुल ऐसे ही चल रही है।

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