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*ऐसे पकडें अपने फेफड़ों की कमजोरी*

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      ~ डॉ. प्रिया 

 पर्यावरण में बढ़ रहा प्रदूषण जहां खांसी और जुकाम का कारण बन रहा है, वहीं इससे फेफड़ों की समस्याओं का संकट भी गहराने लगा है. एनवायरमेंट में दिनों दिन बढ़ रही स्मॉग की समस्या का असर कहीं न कहीं फेफड़ों पर दिखने लगता है।

    इसके चलते आपका शरीर कई स्वास्थ्य संबधी समस्याओं का कारण साबित होने लगता है। 

    मौसम में आने वाली तब्दीली के कारण भी लोगों को सांस लेने और चंस्ट कंजेशन की समस्या से होकर गुज़रना पड़ता है। ऐसे में 10 से 12 फीसदी लोगों को निमोनिया की समस्या का सामना भी करना पड़ता है। दरअसल, हवा में मौजूद प्रदूषण फेफड़ों को संक्रमित कर देते हैं जो सांस की तकलीफ का कारण बनने लगते हैं।

    अगर आपके बॉडी पार्टस को आक्सीजन युक्त रक्त की प्राप्ति नही होगी, तो उनके खराब होने की संभावना बनी रहती है। सांस की तकलीफ से बचने और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ करें। इससे फेफड़ों की सेहत को फायदा मिलता है।

ये हैं फेफड़ों में बढ़ने वाले संकमण के कुछ प्रमुख लक्षण :

   *1. ब्रीदिंग प्रोब्लम :*

वे लोग जिनके फेफड़े उचित तरीके से कार्य नहीं करते हैं। उन्हें सीढ़िया चढ़ते उतरते वक्त या चलते समय भी सांस संबधी समस्या का सामना करना पड़ता है।

    ऐसे लोगों को एक्सरसाइज़ करते समय भी सांस लेने में तकलीफ महसूस होती है। बार बार ब्रीदिंग की समस्या होना फेफड़ों की परेशानी का प्राथमिक संकेत हैं।

*2. चेस्ट पेन :*

सांस लेते वक्त या खांसते समय अगर आप चेस्ट पेन महसूस करते हैं, तो ये फेफड़ों की समस्या की ओर इशारा करता है। चेस्ट में होने वाले हल्के दर्द को इग्नोर करना खतरनाक साबित हो सकता है।

   चेस्ट में होने वाला पेन कई प्रकार की हेल्थ प्रोब्लम्स की ओर इशारा करता है।

*3. लगातार खांसी :*

हवा के संपर्क में आते ही ऐसे लोगों को खांसी की समस्या से दो चार होना पड़ता है। थोड़ी थोड़ी देरे में उठने वाली खांसी लंग्स इंफैक्शन का ही संकेत है।

      सीएनईटी के अनुसार वे लोग जिन्हें 8 सप्ताह से ज्यादा खांसी की समस्या रहती हैं, उन्हें डॉक्टरी जांच के लिए अवश्य जाना चाहिए। इससे ब्रोनकाइटिस और निमोनिया जैसी समस्या बढ़ने का खतरा बना रहता है।

*4. म्यूकस की समस्या :*

  छाती में बनने वाले म्यूक्स की समस्या अगर लंबे वक्त से बनी हुई हैं, तो इसका उपचार अवश्य करवाएं। इसके अलावा अगर आपको खांसी के दौरान निकलने वाले म्यूक्स के साथ ब्लड भी नज़र आने लगे, तो डॉक्टर जांच के लिए अवश्य जाएं।

   इससे अस्थमा का खतरा बढ़ने की संभावना बनी रहती है।

     ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ की मदद से इस समस्या से बचा जा सकता है। इसके लिए मैट पर बैठें और मुंह के ज़रिए सांस लें। अब उसे मुंह में ही रोके रखें और लिप्स को टाइट कर लें। सांस ऐसे भरें कि मुंह पूरी तरह से फूल जाएं। 30 सेकण्ड के लिए सांस को मुंह में ही होल्ड करके रखें।

   अगर आप सांस को रोक पाने में समर्थ होते हैं, तो इसका अर्थ है कि आपके फेफड़े सेहतमंद हैं।

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