दिव्यांशी मिश्रा, भोपाल
आसपास दिनों दिन बढ़ रहा तनाव मन में चिंता और भय को पैदा करता है। इससे जीवन में निराशाएं और गतिहीनता बढ़ने लगती है। जो एंग्जाइटी का कारण बन जाते हैं। रोजमर्रा में होने वाली छुट पुट बातें एंग्जायटी को ट्रिगर करने लगती है। इससे मन ही मन रोष बढ़ने लगता है। जो अनियमित खान पान, बेचैनी और नींद पूरी न होने का कारण बनने लगता है।
दिनरात किसी एक ही समस्या के बारे में बार बार फोक्स करने से एंग्ज़ाइटी अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
*एंग्ज़ाइटी अटैक क्या है?*
इस बारे में मनोचिकित्सक डॉ विकास मानव बताते हैं कि किसी व्यक्ति के दिल की धड़कन का अचानक बढ़ जाना, सिर में दर्द रहना, चक्कर आना और तर्कहीन बातें करना एंग्ज़ाइटी अटैक कहलाता है।
इस बात को समझना बेहद ज़रूरी है कि एंग्ज़ाइटी अटैक न तो आपको कोई दिल की बीमारी है और न ही हार्ट डिजीज़ के लक्षण बल्कि ये अत्यधिक घबराहट के वो लक्षण हैं। जो कुछ देर बाद अपने आप समाप्त हो जाते है।
*कारणों की पड़ताल :*
देर तक किसी चीज़ के बारे में सोचना एंग्जाइटी का कारण बनने लगता है। इससे भूख कम लगने लगती है, बेचैनी बढ़ना, वज़न घट जाता है और नींद न आने की समस्या बनी रहती है।
ध्यान किसी एक समस्या की ओर ही केंद्रित रहता है। ऐसे में एंग्जायटी को ट्रिगर करने वाली चीजों को रोकना बेहद ज़रूरी है। दरअसल, एंग्जाइटी किसी चीज़ को लेकर लिए गए तनाव के कारण बढ़ने लगती है।
अगर तनाव को समय पर कम न किया जाए, तो वो एंग्जाइटी अटैक का रूप ले लेता है।
*एंग्ज़ाइटी अटैक से कैसे डील करें?*
1. ब्रीदिंग तकनीक 4.7.8 :
वो व्यक्ति जो एंग्ज़ाइटी अटैक से होकर गुज़र रहा है उसे खुद को काम डाउन करने के लिए नाक से 4 सेकण्ड तक गहरी सांस लें। अब 7 सेकण्ड तक उस सांस को होल्ड करके रखें।
उसके बाद मुंह के ज़रिए 8 सेकण्ड तक सांस को धीरे धीरे रिलीज़ करें। सांस पर नियंत्रण रखने से आप खुद को मेंटल तौर पर हेल्दी बना सकते हैं।
2. विपरीत परिस्थिति से दूरी :
वो कारण या वजह जो एंग्ज़ाइटी अटैक के लिए जिम्मेदार हैं, उससे कुछ देर के लिए दूर हो जाएं।
इससे आपका ध्यान खुद ब खुद उस सिचुएशन से हटने लगता है और माइंड डायवर्ट होकर दूसरे कार्यों में एगेंज होने लगता है। एक बार नॉर्मल होने के बाद दोबारा से उस रिचुएशन में जाने से बचें।
3. रिवर्स काउंटिंग :
माइंड को उस परिस्थिति से बाहर लाने के लिए रिवर्स काउंटिंग करना शुरू करें। इससे दिमाग दूसरे कार्यों की ओर व्यस्त होने लगता है।
10 से 1 तक रिवर्स काउंटिंग करने के बाद रूक जाएं। फिर 10 सेकण्ड के गैप के बाद रिवर्स काउंटिंग को दोबारा से दोहराएं। इस प्रक्रिया को 3 से 7 बार करें।
4. वर्कआउट है :
एंग्जाइटी अटैक से बाहर निकलने में वर्क्आउट एक अहम रोल निभाता है। इसके लिए दिनभर में कुछ देर हाई इंटैसिटी या लो इंटैसिटी एक्सरसाइज़ करें।
इससे आपके शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कम होने लगता है। जो मानसिक थकान से शरीर को मुक्त करता है। जो एंग्जाइटी अटैक का कारण साबित होने लगता है।
*एंग्ज़ाइटी अटैक से बचने के लिए टिप्स :*
1. पहले तनाव के कारणों को खोजें. सबसे पहले अपनी समस्या को पहचानें यानि तनाव के कारण को जानें।
कई बार अनजाने कारण भी जीवन में टेंशन को बढ़ा देते हैं। स्ट्रेस के कारणों को समझकर उनके बारे में अत्यधिक सोचना बंद कर दें।
2. परिस्थितियों से निपटने का साहस पैदा करें. इस तरह की तकनीक अपने अंदर पैदा करें कि किसी भी विक्षम परिस्थिति से कैसे निपटा जा सकता है।
खुद को इतना मज़बूत बनाएं कि हर तरह की परिस्थिति से डरने की बजाय उससे मज़बूती से डील कर पाएं।
3. योगा, रिलैक्सेशन और मेडिटेशन को अपनाएं. अपने जीवन में योग के अलावा मेडिटेशन और एक्सरसाइज़ को शामिल करें। इससे आप खुद को हेल्दी और एक्टिव पाएंगी।
कुछ देर माइल्ड एक्सरसाइज़ के लिए निकालें। इससे आपके तन के साथ मन को भी सुकून की प्राप्ति होने लगती है। जो शरीर को हेल्दी बनाने में मदद करता है।
4. लोगों से मिलना और बातचीत करना जारी रखें. वे लोग जो अन्य लोगों से बात करने से हिचकिचाते हैं। उनका सोशल सर्कल वाइड नहीं बन जाता है।
जो एंग्ज़ाइटी का कारण बन जाता है। ऐसे में खुद को लोगों से मिलने जुलने से न रोकें। नए दोस्त बनाएं और उनके साथ क्वालिटी टाइम भी स्पैंड करें।