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बरसाती मौसम कैसे करें  हैजा, टाइफाइड और हेपेटाइटिस- ए से बचाव 

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      डॉ. श्रेया पाण्डेय 

 जल जनित रोग दुनियाभर में स्वास्थ्य की दृष्टि से बड़ी चुनौती हैं। खासतौर से उन इलाकों में जहां पेयजल और साफ-सफाई की व्यवस्था कमजोर होती है। हर रोज़ स्कूल या दफ्तर जाते समय किसी के लिए भी इन बीमारियों का जोखिम हो सकता है।

     ऐसे रोगों में हैजा, टाइफाइड का बुखार और हेपेटाइटिस सबसे आम हैं। इन सभी रोगों के लक्षण और कारण अलग-अलग होते हैं। 

      बरसात का मौसम शुरु होते है संक्रमित या दूषित पानी से होने वाले रोगों के मामले बढ़ने लगते हैं। अच्छी बात यह है कि हम इन सभी से बच सकते हैं, अगर सही हाइजीन का पालन करें। खासतौर से पानी पीते समय सावधानी बरतें कि यह पूरी तरह साफ और सुरक्षित हो।

     इनके लक्षण भले ही अलग-अलग हों, मगर कारण एक ही है। और वह है दूषित और संक्रमित पानी। इसलिए पानी का सबसे ज्यादा ध्यान रखें। दूसरी जरूरी बात कि लक्षण नजर आते ही तुरंत उपचार का प्रोटोकॉल फॉलो करें। जरा सी भी लापरवाही किसी भी रोग को जटिल बना सकती है।

ये हैं 3 सबसे कॉमन वॉटर बोर्न डिजीज :

   *1. हैजा :*

हैजा रोग का प्रमुख कारण कॉलरा विब्रियो बेक्टीरियम है। यह रोगकारी बैक्टीरिया आमतौर पर संक्रमित इंसान के मल द्वारा दूषित पानी या भोजन में पाया जाता है। अक्सर इस रोग का कारण साफ-सफाई का अभाव, अनट्रीटेड पानी का सेवन और साफ-सफाई का न होना होता है। इसके अलावा भी अन्य कई कारणों के चलते हैजा फैलता है।

     हैजा रोग के लक्षण हल्के-फुल्के या गंभीर भी हो सकते हैं। लेकिन एक्यूट डायरिया या पानी वाले दस्त इस रोग के सबसे सामान्य लक्षण हैं, इसकी वजह से शरीर में तेजी से पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) हो जाती है। रोग के लक्षणों में उल्टी होना भी शामिल है।

*2. टाइफाइड :*

इसका कारण सैल्मोनेला टाइफी नाम का बैक्टीरिया होता है। यह रोगाणु दूषित जल या भोजन में मल के जरिए फैलता है। रोग आमतौर से साफ-सफाई के अभाव और पेयजल तक सीमित पहुंच वाले इलाकों में ज्यादा फैलता है।

     टाइफाइड के बुखार के लक्षण काफी धीरे-धीरे प्रकट होते हैं। प्रायः इंफेक्शन के एक से दो हफ्ते बाद ये दिखायी देते हैं। इनमें मरीज के शरीर का तापमान बढ़ना, सिरदर्द, कमजोरी और थकान महसूस होना प्रमुख है। साथ ही, पेट में दर्द और पेट का मुलायम होना, कब्ज या डायरिया (दस्त) की शिकायत तथा कुछ समय बाद त्वचा पर गुलाबी रैशेज़ दिखायी देने लगते हैं। 

     कई बार यह अधिक गंभीर भी हो जाता है और तब आंतों में छेद भी हो जाते हैं जिनसे खून बहने लगता है जो कि खतरनाक हो सकता है।

*3. हेपेटाइटिस ए :*

हेपेटाइटिस ए एक प्रकार का एक्यूट वायरल इंफेक्शन होता है जो हेपेटाइटिस ए वायरस की वजह से फैलता है। यह एचएवी संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित पानी या भोजन के जरिए फैलता है। 

    इसके अलावा, हैजे या टाइफाइड से उलट यह हेपेटाइटिस ए संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने, जैसे कि यौन संसर्ग से भी फैल सकता है।

     हेपेटाइटिस ए के लक्षण इंफेक्शन होने के कुछ हफ्तों बाद से दिखायी देते हैं। ज्यादातर शुरुआती लक्षणों में निम्न शिकायत हो सकती हैः थकान, मितली आना, उल्टी और पेट में दर्द। जैसे-जैसे रोग गंभीर रूप लेता है, मारीज की आंखों और त्वचा में पीलापन दिखायी देने लगता है या जॉन्डिस (पीलिया) हो जाता है।

      जिसमें मरीज के पेशाब का रंग गाढ़ा और मल हल्के पीले रंग का दिखायी देता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस ए के कारण क्रोनिक लिवर रोग नहीं होता, हालांकि यह रोग अपने आप में काफी परेशानी खड़ी कर सकता है और इसके लक्षण कई महीनों तक मरीज का पीछा नहीं छोड़ते।

ये हैं वॉटर बोर्न डिजीज से बचाव तथा नियंत्रण के जरूरी उपाय :

   *1. साफ-सफाई का ध्यान रखें :*

सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता के उपायों का पालन करने से जल जनित रोगों से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है। 

     इसके लिए जल स्रोतों का ट्रीटमेंट करना जरूरी है ताकि वहां मौजूद खतरनाक रोगाणुओं से स्रोतों को मुक्त किया जा सके। साथ ही, कचरा आदि का निस्तारण इस तरह से किया जाना चाहिए कि पानी की सप्लाई या स्रोत उनकी वजह से दूषित न हो.

     *2. वैक्सीनेशन करवाएं :*

वैक्सीनेशन से भी कई जल जनित रोगों से बचाव हो सकता है। उदाहरण के लिए, टाइफाइड के बुखार तथा हेपेटाइटिस ए से बचाव की वैक्सीनें मौजूद हैं। ये वैक्सीनें उन लोगों के लिए भी काफी लाभकारी होती हैं जो इन रोगों के प्रसार वाले इलाकों में ट्रैवल करते हैं।

*3.त्वरित रिस्पॉन्स तथा इलाजः*

     जल जनित रोगों का शुरुआत में ही निदान करना और जल्द से जल्द इलाज शुरू करना काफी अहम् होता है। इससे इन रोगों के बड़े पैमाने पर फैलने से बचाव होता है। हैजा होने पर शरीर में पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) से बचने के लिए ओरल रीहाइड्रेशन सॉल्ट्स का सेवन करने की सलाह दी जाती है, और कुछ मामलों में, गंभीर किस्म के इंफेक्शन से बचाव के लिए एंटीबायोटिक्स भी दिए जाते हैं।

      टाइफाइड का बुखार होने पर एंटीबायोटिक्स का प्रयोग किया जाता है, लेकिन हाल के समय में एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस बढ़ने के खतरे भी बढ़े हैं। 

    हेपेटाइटिस ए में, कोई खास ट्रीटमेंट जरूरी नहीं होता और हेल्थ एक्सपर्ट प्रायः मरीज को आराम करने, उचित पोषण पर ध्यान देने तथा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन की सलाह देते हैं।

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