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 कैसे कहूं के….हम आजाद है और हम सब एक है

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.केसे मनाऊं आजादी का महोत्सव,,केसे भूल जाऊ

…राजस्थान में पानी से भरी मटकी छू लेने पर टीचर द्वारा एक 9साल के बच्चे को इस लिए मार डाला गया क्योंकि वह छोटी जाति का था,,,उसके हाथ लगने से मटकी अशुद्ध हो गई।

…अभी कुछ वर्षो पहले उत्तराखंड के बागेश्वर में एक व्यक्ति के द्वारा आटा पीसने की चक्की छु लेने पर उस व्यक्ति का गला ही काट दिया गया,,,,कसूर दोनो घटनाओं  में मेरे समाज के लोगो का एक ही था के वह इन मनुवादियो के द्वारा बनाई गई छोटी जाति में पैदा हुए थे,,,,,

आज आजादी के महोत्सव मानने से ज्यादा यह सोचने की जरूरत है के यह सब क्यों हो रहा है और कब तक होता रहेगा।

…कब तक मूछ रखने और घोड़ी चढ़ने पर अनुसूचित जाति के लोगो को सजा मिलती रहेगी।

…आज 75 सालो बाद भी देश में भारतीय संविधान का राज नही सिर्फ और सिर्फ मनुवादी सोच का राज है।

…असली आजादी तब होगी जब देश में संविधान का राज होगा।

संजय खत्री

Mo..9557640991

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