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जेल में इमरान, पाक सरकार आर्थिक चुनौतियों से कैसे निपटेगी

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चंद्रभूषण

 पाकिस्तान में खबरें अभी इस बात के इर्द-गिर्द चल रही हैं कि राजधानी इस्लामाबाद से 85 किलोमीटर दूर स्थित अटक जेल की एक छोटी सी कोठरी में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को कितने कीड़ों और मच्छरों का सामना करना पड़ रहा है। 9 अगस्त को संसद भंग किए जाने की खबर मीडिया में उतनी जगह नहीं पा रही है, जितने की यह हकदार है। दो तयशुदा घटनाएं पाकिस्तान में अगस्त और सितंबर में घटित होनी हैं। संसद भंग होने के थोड़े ही समय बाद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल रिटायर होने वाले हैं। जिस तोशाखाना केस में इमरान खान को तीन साल कैद की सजा सुनाई गई है और उनके पांच साल चुनाव लड़ने पर रोक लगाई गई है, वह ऊपरी अदालतों में तभी टिक पाएगा, जब उनके जज सरकार की मर्जी से चलने को राजी हों। पिछले तजुर्बे को देखकर लगता है, शाहबाज शरीफ के शासक गठजोड़ के लिए यह उम्मीद जस्टिस बंदियाल के हटने पर ही बन पाएगी।

पूर्व PM की लोकप्रियता के कांटे से मुक्ति पा भी ले तो पाक सरकार आर्थिक चुनौतियों से कैसे निपटेगी

अल्लाह, आर्मी, अमेरिका

तीन ‘ए’- अल्लाह, आर्मी और अमेरिका- पाकिस्तान को चला रहे हैं, ऐसा इस मुल्क का स्वतंत्र राजनीतिक ढांचा बनने के साथ ही कहा जाने लगा था। 21वीं सदी के दूसरे दशक में अमेरिका की जगह चीन को लाने की कोशिश हुई, जिसे इमरान खान चरम बिंदु तक लेते चले गए। लेकिन पिछले कुछ सालों में अमेरिका की दिलचस्पी पाकिस्तान में बहुत कम रह जाने के बावजूद पाकिस्तानी ढांचे से उसे बाहर निकालना लगभग असंभव है, इस बात का अंदाजा अभी इमरान की दुर्गति देखकर लगाया जा सकता है। बहरहाल, आगामी चुनावी मुकाबले के मद्देनजर कुछ बातें गौर करने लायक हैं।

चुनावी राजनीति से जरा परे हटकर देखें तो एक देश के रूप में पाकिस्तान की साख लगभग शून्य पर पहुंची हुई है। फरवरी 2022 के आखिरी हफ्ते में यूक्रेन पर रूस के हमले की शुरुआत के तुरंत बाद इमरान खान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पूतिन से मुलाकात करने पहुंचे थे। लेकिन फिर साल बीतने के पहले ही चक्का पूरा घूम गया और पाकिस्तान यूक्रेन के लिए हथियारों और गोला-बारूद की सप्लाई करने लगा। यूक्रेन की ओर से 155 एमएम हॉवित्जर तोपों के जो गोले अभी रूसी फौजों पर दागे जा रहे हैं, उनमें ज्यादातर पाकिस्तान से ही वहां पहुंचे हैं। अमेरिका अपना खुद का गोला-बारूद बचाकर रखना चाहता है, लिहाजा यूक्रेन की मिजाजपुर्सी का काम उसने चेलों पर छोड़ दिया है। नतीजा यह कि विदेश नीति में पाकिस्तान का हाल थाली के बैंगन से भी बुरा हो गया है।

रही बात पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की तो इस बारे में कुछ न कहना ही बेहतर होगा।

कोई जादू होना चाहिए

चर्चा है कि चुनावी माहौल में अर्थव्यवस्था की दशा सुधारने के लिए किसी गहरी आर्थिक समझ वाले व्यक्ति को कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनाया जाएगा। लेकिन यह काम ठीक से कर पाने के लिए उसे थोड़ा जादू भी सीखकर आना होगा।

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