लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को है। इस बीच, शाहिद सिद्दीकी ने जयंत चौधरी पर आरोप लगाते हुए रालोद छोड़ दिया। इससे पहले आरिफ महमूद ने रालोद का साथ छोड़ा था। महमूद ने अल्पसंख्यकों की अनदेखी करने का रालोद पर आरोप लगाया था।
लोकसभा चुनाव 2024 में सभी की नजरें मुस्लिम वोटरों पर गड़ी हुई हैं। यूपी ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मुसलमानों की ठीकठाक आबादी है। अकेले यूपी में 20 फीसदी के करीब मुसलमान वोटर हैं। साथ ही 29 लोकसभा सीट ऐसी हैं, जिन पर मुस्लिम वोटर जीत-हार की निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। इसी क्रम में NDA का हिस्सा बनते ही एक बड़े मुस्लिम नेता ने राष्ट्रीय लोकदल का साथ छोड़ दिया है। RLD के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शाहिद सिद्दीकी ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि मैं खामोशी से देश के लोकतांत्रिक ढांचे को समाप्त होते नहीं देख सकता हूं। मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी से भी आहत हूं। इसके साथ ही उन्होंने माफिया मुख्तार अंसारी की मौत मामले में जांच की मांग की थी। गुजरात के गोधराकांड के बाद तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी का इंटरव्यू करने पर सपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया था।
आज हमला देश के संवैधानिक ढांचों पर है- शाहिद सिद्दीकी
शाहिद सिद्दीकी ने बताया कि उन्होंने RLD मुखिया जयंत चौधरी को अपना इस्तीफा भेज दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल की सदस्यता और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से अपना त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने कहा कि आज देश के संवैधानिक ढांचों और लोकतंत्र के ऊपर हमला है। ऐसे में किसी का चुप रहना पाप है। शाहिद ने कहा कि बीजेपी नेताओं से अपील करता हूं कि उन्हें अटल जी के रास्ते को अपनाना चाहिए और राजधर्म निभाने की बात करनी चाहिए। आज जिस तरीके से मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। नेताओं के 15-15 साल पुराने मुकदमे निकाले जा रहे हैं। चुनाव के ठीक समय ऐसा होना ये राजधर्म नहीं है।
बीजेपी नेताओं से ये की अपील
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता जो अटल जी और बीजेपी की नीति में विश्वास करते हैं, उन्हें भी इसका विरोध करना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों के लीडरों से अपील है कि भारत का लोकतंत्र सबसे महत्वपूर्ण है। सत्ता आती जाती रहती है। इमरजेंसी का हमने विरोध किया था। हमने जेल काटी थी। ये इसलिए नहीं किया कि हम इंदिरा गांधी या कांग्रेस के विरोधी थे। हम देश के हित में खड़े होना चाहते थे। आज भी हम देश के हित में खड़े होना चाहते हैं। सवाल इस समय बीजेपी, आरएलडी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का नहीं है। सवाल हिंदुस्तान और लोकतंत्र का है। पूरी दुनिया में हमारी पहचान हमारे लोकतंत्र की वजह से है। इस पहचान और इज्जत को आगे बढ़ाना है।
मुख्तार अंसारी की मौत पर कही थी ये बात
मऊ से 5 बार के विधायक माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर भी आरएलडी के उपाध्यक्ष रहे शाहिद सिद्दीकी ने अपनी प्रतिक्रिया दी थी। शाहिद ने इस मामले में जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा कि मुख्तार अंसारी महान स्वतंत्रता सेनानी और महात्मा गांधी के सहयोगी डॉ. एम.ए. अंसारी के परिवार से आते हैं। स्थानीय माफिया द्वारा उनके परिवार पर किए गए हमलों के कारण वो (मुख्तार अंसारी) आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उनकी मौत की पूरी जांच होनी चाहिए, क्योंकि यह संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है।
मायावती के खिलाफ बोलने पर बसपा ने किया था निष्कासित
पूर्व राज्यसभा सांसद शहीद सिद्दीकी राष्ट्रीय लोकदल में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर कार्यरत थे। शाहिद पत्रकार होने के साथ ही नई दिल्ली से प्रकाशित उर्दू साप्ताहिक पत्रिका के मुख्य संपादक भी हैं। शाहिद सिद्दीकी का जन्म 1951 में पत्रकारों और लेखकों के परिवार में हुआ था। उनके पिता मौलाना अब्दुल वहीद सिद्दीकी एक पत्रकार और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे। शाहिद सिद्दीकी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस से की थी। 1997-99 तक कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख रह चुके हैं। बाद में शाहिद सपा में शामिल हो गए थे। 2002 से 2008 तक सपा में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वो राज्यसभा सांसद रहे चुके हैं। जुलाई 2008 में बसपा में शामिल हो गए थे, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती के खिलाफ बोलने के कारण उन्हें 2009 में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
गोधरा कांड के बाद पीएम मोदी का इंटरव्यू करने पर सपा ने किया था निष्कासित
पेशे से पत्रकार शाहिद सिद्दीकी को गोधरा कांड के बाद अल्पसंख्यक विरोधी दंगों पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का साक्षात्कार लेने के लिए उन्हें जुलाई 2012 में समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उस इंटरव्यू में मोदी ने कहा था कि अगर मैं दोषी हूं तो मुझे फांसी दे दो। कवर-पेज साक्षात्कार छह पृष्ठों का था और इसमें गुजरात में मुसलमानों की स्थिति, गोधरा के बाद के दंगे और अन्य संवेदनशील मुद्दे शामिल थे। सिद्दीकी ने उन्हें अस्वीकार करने के समाजवादी पार्टी के रुख को महज एक मजाक करार देते हुए कहा था कि मैं मुलायम सिंह यादव सहित समाजवादी पार्टी के सभी प्रमुख नेताओं की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुआ था, इसलिए यह मजाक वास्तव में दुखद है।
शाहिद सिद्दीकी नहीं, आरिफ महमूद भी RLD छोड़कर चले गए थे
वहीं, इससे पहले आरएलडी के तीन नेताओं ने एकसाथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया था, जिसमें आरएलडी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष रहे आरिफ महमूद का नाम भी शामिल था। आरिफ महमूद ने मुसलमानों की अनदेखी करने को लेकर RLD मुखिया जयंत चौधरी पर आरोपों की बौछार की थी। आरिफ महमूद ने आरोप लगाया था कि जयंत चौधरी का अल्पसंख्यकों के प्रति कोई रुझान नहीं था। जब भी हम अपनी समस्याओं को उनके सामने रखते थे तो कभी भी उन्होंने उन समस्याओं को कंसीडर नहीं किया। कार्यालय में अल्पसंख्यक का बोर्ड लगा था, उसे भी निकाल कर फेंक दिया गया। दफ्तर में अलपसंख्यकों को बैठने तक की जगह नहीं दी थी। उन्होंने बताया कि हमारे अध्यक्ष रहते हुए जयंत चौधरी कभी भी अल्पसंख्यको की मीटिंग में नहीं आए। वो रोजा इफ्तार से भी परहेज करने लगे थे।