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मुझे भी आने लगे हैं सपने, मैं स्वप्नशील हुआ

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मधुकर पवार

इन दिनों ऐसा लग रहा है जैसे कुछ लोगों पर ईश्वर की कृपा बरस रही है और ईश्वर उन्हें सपने में आकर विजयी भव का आशीर्वाद दे रहे हैं. किसी को सत्ता पर बने रहने के लिये सपने में दर्शन देकर स्वयं भगवान ने आशीर्वाद दिया है तो किसी को कहा है… ताजपोशी की तैयारी करो. सपने में ईश्वर से आशीर्वाद प्राप्त होने की जानकारी स्वयं सपने देखने वालों ने पूरे होशो हवाश में दिये हैं इसलिये किसी भी तरह की शंका करने की कोई गुंजाईश भी नहीं है.
वैसे सपने तो हर व्यक्ति को आते हैं. कुछ सपने याद रह जाते हैं, कुछ सपनों की धुंधली सी याद रह जाती है और कुछ को तो बिलकुल ही भूल जाते है. याददास्त पर बहुत जोर देने पर भी कुछ याद नहीं आता तब बड़ी झुंझालाहट होती है. लेकिन क्या किया जा सकता है ? याददास्त का पोषाहार से सीधा सम्बंध है. देश में कुपोषण की गम्भीर समस्या भी बनी हुई है इसलिये याददास्त कमजोर होना स्वाभाविक है. सच पूछा जाये तो सपने याद नहीं रहना फायदेमंद ही है. यदि सभी सपने याद रह गये तो यह स्वास्थ्य के लिये हानिकारक हो सकते हैं.
सपने तो ईश्वर की अनुपम देन होते हैं. जब सपने अपने अनुकूल होते हैं, नींद खुल भी जाये तो आंखे बंद कर सपने को देखने का लुत्फ उठाने का लोभ संवरण नहीं कर पाते और अपनी मनमर्जी से सपने देखने लग जाते हैं. सुबह उठकर अपने सबसे करीबी को सपने के बारे में बताते हैं और उत्साहित होकर यह भी कहने से नहीं चूकते कि… सुबह का सपना है. जरूर सच होगा. सपने पर चर्चा के बाद कोई सलाह दे देता है कि कैलेंडॅर में देख लो. तुरंत ही बाबूलाल चतुर्वेदी या लाला रामस्वरूप का कैलेंडर देखकर मन को तसल्ली दे देते हैं कि इस बार का सपना तो जरूर सच होगा. कैलेन्डर से पता चल जाता है कि सपने से क्या लाभ होने वाला है. कुछ अति उत्साही तो तुरंत ही अपने निजी ज्योतिष से मोबाईल पर सम्पर्क कर सपने का समय बताकर इसके परिणाम के बारे में भी जानकारी ले लेते हैं.
कहते हैं ब्रह्ममुहुर्त में देखे गये सपने अक्सर सच होते हैं. और बाबा रामदेव कह्ते हैं कि ब्रह्ममुहुर्त में जाग जाओ. भ्रस्तिका, कपालभाति, अनुलोम विलोम, शीर्षासन करो. जब अच्छी नींद आ रही हो और प्यारे – प्यारे सपने भी आ रहे हों, तब भला जागकर सुनहरे पल से वंचित कैसे रह सकते हैं ? कुछ लोग यह भी मानते हैं कि दिन में एक बार व्यक्ति की जुबान से निकली बात सही होती है. इसी तरह ब्रह्ममुहुर्त में देखे गये सपनों के बारे में भी लोगों का अटूट विश्वास है कि सुबह – सुबह देखा गया सपना सच होता है. मुझे तो लगता है जितने भी माननीयों को ईश्वर ने सपने में दर्शन देकर आशीर्वाद दिया है, सभी के सपने में वे ब्रह्ममुहुर्त में ही आये होंगे. वरना इतने आत्मविश्वास से वे कैसे कह सकते थे कि भगवान ने अनके सिर पर हाथ रखकर राजनीति में अखंड सौभाग्यवान होने का आशीर्वाद दिया है.
ये बात भी सही है कि गुरू ज्ञानी हमेशा बड़े सपने देखने की सलाह देते हैं. बड़े सपने देखने में कोई बुराई भी तो नहीं है. मुझे तो सपने देखना और उधार मांगना… दोनो में बहुत बड़ी समानता दिखाई देती है. उधार मांगने में सिद्धस्त अनुभवी लोग सलाह देते हैं …. यदि आपको किसी से सौ रूपये उधार लेने हैं तो उससे हजार रूपये मांग लो. बहुत आनाकानी और खुशामद करने के बाद वह सौ रूपये देने को राजी हो जायेगा. ठीक यही बात सपने के मामले में भी होती है. मुख्यमंत्री बनने का सपना देखो तो सरपंच या पार्षद तो बन ही जाओगे. वैसे सरपंच या पार्षद से मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री तक की यात्रा की पहली सीढ़ी होती है. कुछ अपवाद स्वरूप पैराशूट से सीधे विधानसभा और संसद के प्रांगण में उतर जाते हैं.
सपने तो तभी आते हैं जब गहरी नींद में हो. लेकिन जब बड़े सपने देखने की सलाह देते हैं तो नींद कैसे आ सकती है ? जब ठीक से नींद नहीं आयेगी तो तनाव भी होगा और तनावजन्य बीमारियां भी हो सकती हैं. इसलिये कुछ लोग खुली आंखों से भी सपने देखने में महारत हासिल कर लेते हैं. ऐसे लोगों को योगी की श्रेणी में रखा जा सकता है. फिर योगी तो त्रिकालदर्शी होते हैं. जब वे दिन में सपने देखते हैं तब पास में बैठे व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि वह जाग रहा है, सो रहा है या अर्ध निंद्रा में है. योग की भाषा में इसे ध्यान कह सकते हैं. ध्यान से एकाग्रता बढ़ती है जो सपने को साकार करने में सहायक होती है.
जब से मैंने टेलीविजन पर कुछ माननीयों को सपने आने के बारे में वक्तव्य देखे और समाचार पत्रों में पढ़े हैं… मुझे विश्वास हो गया है कि जब सपने में स्वयं ईश्वर आकर उनसे कह रहे हैं – वत्स ! जागो, बिस्तर से उठो और राजतिलक की तैयारी करो. उनको आये सपनों का ऐसा असर हुआ कि वे स्वयं तो ऊर्जा से भर गये, उनके समर्थकों का जोश भी दोगुना हो गया. कुछ ने तो अधिकारियों को देख लेने की धमकी तक दे डाली. कुछ अधिकारियों ने तो नाम पट्टिका के रंग तक बदल दिये. शायद उन्हें भी ईश्वर ने सपने में आकर कहा होगा.. वत्स, अब रंग बदलने का समय आ गया है. तुम अब नाम पट्टिका के रंग के साथ अपना भी रंग बदल लो. उनमें इतना साहस का संचार हो गया कि वे ये भी भूल गये कि उन्होने तो अभी केवल सपना देखा है. अभी सपना फलीभूत नहीं हुआ है.
यह भी सत्य है कि सभी सपने सच नहीं होते. मेरी ईश्वर के प्रति पूरी आस्था है. ईश्वर से मेरी प्रार्थना है… यदि आपने माननीयों को सपने में दर्शन देकर विजयी भव का आशीर्वाद दिया है तो इनके विश्वास को कभी भी टूटने नहीं देना अन्यथा बाबा भारती और डाकू खड़कसिंह की कहानी की पुनरावृत्ति न हो जाये. वरना आप पर कोई आस्थावान व्यक्ति विश्वास ही नहीं करेगा.
आजकल मुझे भी कभी–कभी सपने आने लगे हैं. सपने तो पहले भी आते थे लेकिन कभी भी सपनों को गम्भीरता से नहीं लेता था. अब तो कुछ सपने याद भी रहने लगे है. अब अक्सर खुली आंखों से भी सपने देखने का अभ्यास करने लगा हूँ. खुली आंखों से मन पसंद सपना अपनी सुविधानुसार कभी भी, कहीं भी देख लेता हूँ. बहुत प्रयास करने के बाद भी मेरे सपने में ईश्वर अभी तक नहीं आये हैं. लेकिन मैं सपनों को बहुत ध्यान से देखता हूं. सपनों को याद रखने की भी कोशिश करता हूँ. पता नहीं कब ईश्वर सपने में आकर आशीर्वाद दे और सपना सच हो जाये. मुराद पूरी हो जाये.
मतगणना का टेलीविजन पर समाचार आ रहा है. बीच – बीच में विज्ञापन भी देखने पड़ रहे हैं. इस दौरान थोड़ी सी झपकी भी आ जाती है. कानों में सुनाई दे रहा है… जब बच्चों के सपने पूरे नहीं होते हैं तो मां का दिल टूट जाता है. सपने को पूरा करने के लिये फ्यूचर तेल का उपयोग करे. इसमें सभी पोषक तत्व मौजूद हैं जो हमारे शरीर के विकास के लिये आवश्यक है. जिन माननीयों के सपने सच नहीं हुये हैं, उन्हें यह विज्ञापन जरूर देखना चाहिये और सपने पूरे करने के लिये खाने में फ्यूचर खाद्य तेल का उपयोग जरूर करना चाहिये. मुझे पूरा विश्वास है… आपके सपने जरूर पूरे होंगे.

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