पुष्पा गुप्ता
है तो जीवन है. जल नहीं तो कल नहीं. जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है.
मनुष्य, पशु, पक्षी, कीड़ा-मकोड़ा, वनस्पति आदि जो कुछ भी जीवंत नज़र आता है, सबके लिए पानी जरुरी है. इसीलिए समस्त मानवीय सभ्यताएं जलश्रोत वाले क्षेत्रों में ही विकसित हुई हैं.
जल क़ो उर्दू में आब, मराठी में पानी, तमिल में तन्नी, कन्नड़ में नीर और बॉग्ला में जोल कहते हैं.
अंग्रेजी में इसे वाटर, फ्रेंच में ओऊ और केमेस्ट्री में H2O कहते हैं.
संस्कृत में पानी को वारि, नीर, पय, तोय, अम्बु और अमृत कहा जाता है.
हमारी पृथ्वी के लगभग 71% भाग पर जल है. जल हमें वर्षा, तालाबों, नदियों, पर्वतों, झरनों, झीलों, कुओं और समुद्रों से मिलता है. सारा जल पीने लायक नहीं होता है. धरती पर उपलब्ध जल का केवल 6% ही पीने लायक है.
पानी तीन अवस्थाओं में मिलता है : ठोस (बर्फ), द्रव्य (तरल) और गैस (भाप) के रूप में. मानव शरीर में लगभग 65% पानी होता है.
हमारे पूर्वज नदियों, तालाबों, कुओं का जल पीते थे. आज हम मिनिरल वाटर पीते हैं, फिर भी स्वस्थ नहीं हैं. हमसे जल को प्रदूषित कर दिया है. नदियों का बहता जल भी आज पीने योग्य नहीं है. हमसे जल का अपव्यय करके इसके भूमिगत स्रोतों को कम भी कर दिया है.
यही कारण है की वर्तमान में समूचा विश्व जल संकट के भयावह दौर से गुजर रहा है. दुनिया भर के चिंतक कह रहे हैं कि आने वाले समय में बहुत बड़ा जल संकट आने वाला है. यहाँ तक की जल को तीसरे विश्वयुद्ध का कारण बताया जा रहा है.
कई पीढ़ियों तक के लिए दौलत जुटाने में लगे रहते हैं आप. पानी नहीं रहेगा तो धन-दौलत नहीं पी लेंगी आपकी पीढ़ियां. हमारे जीवन के लिए बहुत मूल्यवान और महत्वपूर्ण है. जल स्रोतों में गंदगी डालना और पानी को व्यर्थ में बहाना दोनों खतरनाक है.
सब क़ुछ दूसरे लोग करें, सरकार करे : यह सोचना बंद करके हमें अपने स्तर से जो संभव हो वो तो करना ही चाहिए.
मेरी मानें तो आप इन बातों पर अमल जरूर करें :
~ दातुन या व्रश करते समय नल को बंद रखें. जब जरूरत हो तब ही खोलें.
~बड़ों से कहें कि वे टूटी पाईप की मरम्मत करवाएँ.
~ जहां कहीं भी खुले नल दिखे, उसे तुरंत बंद करें.
~ शावर के बदले बाल्टी में पानी भरकर स्नान करें.
~कार – स्कूटर आदि की धुलाई-सफाई के लिए पाइप का इस्तेमाल अनुचित है. बाल्टी में पानी लेकर कार की सफाई करनी चाहिए. यह बात बड़ों को बताएँ.
~घर में बचे पानी को भी नष्ट नहीं करें, उसे किसी पौधे में डालें.
~ सब्जियों के धोने से बचे पानी को किसी गमले में डालें.
~ बरसात होने पर चौड़े मुँह वाले बड़े बरतन में जल इकट्ठा करें.
~ नदियों, तालाबों आदि को प्रदूषित करने में अपना योगदान नहीं दें बल्कि अन्यों को रोकने की कोशिश करें.