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बासी पार्टनर से हर्ट होना पड़ रहा है तो उसे कैसे करें डील 

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        सोनी कुमारी, वाराणसी 

 बात-बात पर टोकना, खुद को सुपीरियर साबित करना और पार्टनर की हर छोटी-बड़ी बात में कमी निकालना बॉसी पार्टनर की निशानी है। पार्टनर का ऐसा रवैया वाकई जीवन में धीरे-धीरे तनाव का कारण बनने लगता है। अगर कोई व्यक्ति अपने पार्टनर को अपने मन मुताबिक चलने के लिए मज़बूर करता है, तो वो पूरी तरह से गलत है। इससे पार्टनर का व्यक्तित्व खतरे में पड़ सकता है। 

     मगर कुछ आसानी टिप्स की मदद से इस समस्या को सुलझाकर रिलेशनशिप को हेल्दी बनाए रखने में मदद मिलती है। 

       कपड़ों के सिलेक्शन से लेकर उठने-बैठने तक पार्टनर की दखलअंदाज़ी जीवन में निर्भरता को बढ़ाने लगती है। ऐसे में व्यक्ति अपने फैसले लेने में असमर्थ साबित होता है और भावनाओं को चोट पहुंचती है। बॉसी पार्टनर की मांग दिनों दिन बढ़ने लगती है और उनकी बातों की अवहेलना करने पर वे गुस्सा दिखाते हैं। इससे रिश्ते पर नकारात्मक प्रभाव दिखने लगता है।

     दरअसल, वे अपने पार्टनर को अपने मनमुताबिक चलाना चाहते है, जिससे पार्टनर की इच्छाएं और धैर्य सब कुछ दिनों दिन कम होने लगता है।

        बॉसी पर्सनैलिटी उस व्यक्तित्व को कहा जाता है, जहां व्यक्ति अपनी ही बात को हर वक्त उपर रखता है और अपने प्रकट किए विचारों को सही और सर्वमान्य मानने लगता है। ऐसे लोगों के व्यवहार में लचीलापन नहीं होता है। वो हर पल खुद को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं और बात बात पर रिएक्ट करने लगते हैं।

     इस प्रकार के लोगों में नार्सिसिस्ट डिसऑर्डर और हाइपोमैनिक पर्सनैलिटी डिसऑडर का खतरा बना रहता है। इसके अलावा वे लोग जो किसी बड़े ओहदे या टीचर होते हैं। धीरे धीरे उनके व्यवहार बॉसीपन की झलक दिखने लगती है।

बॉसी पर्सनैलिटी के लोगों से इस प्रकार से डील करें :

*1. टालरेंस पावर बढ़ाएं :*

अगर आप जान चुके हैं कि आपका पार्टनर बॉसी है और उन्हें अपनी मर्जी से ही हर कार्य को करने की आदत है। तो ऐसे लोगों से उलझने से बचें और अपनी टालरेंस पावर को बढ़ा लें।

     कई बार व्यक्ति का कार्य उसके व्यवहार में झलकने लगता है। ऐसे में हेल्दी रिलेशनशिप को मेंटेन रखने के लिए बहस और झगड़ा करने की जगह पार्टनर को समझने का प्रयास करें।

*2. मानसिक स्थिति का आंकलन :*

    दूसरों की गलतियों को गिनने और उन्हें गलत साबित करने से पहले अपने पार्टनर की मानसिक स्थिति को समझें। आमतौर पर बॉसी पर्सनैलिटी के लोग नार्सिसिस्ट डिसऑर्डर और हाइपोमैनिक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार होते हैं। 

    ऐसे में उनकी मेंटल हेल्थ को बूस्ट करने में उनकी मदद करना आवश्यक है। इससे आपसी अंडरस्टैडिंग बढ़ने लगती है।

*3. सीमा निर्धारण :*

अपने पार्टनर के सम्मान को बनाए रखने के साथ अपने अस्तित्व को खोने न दें। अपनी सीमाओं को लेकर स्पष्ट करें। पार्टनर को इस बात से अवगत करवाना आवश्यक है कि उसका कौन सा व्यवहार स्वीकार्य है और कौन सा नहीं। रिश्ते में सीमाओं को लेकर कोई समझौता न करें।

*4. खुद में बदलाव :*

अपने पार्टनर में परफेक्शन को खोजने की जगह खुद में बदलाव लाएं। अगर पार्टनर बॉसी व्यवहार का है, तो आप खुद को शांत रखें और बातचीत के ज़रिए समस्या का समाधान करे। अपनी गलतियों को पहचानें और खुद में बदलाव लेकर आएं। पार्टनर में बदलान लाने का प्रयास न करें।

*5. हर काम के लिए पार्टनर पर डिपेंड न रहें :*

वे महिलांए जो अपने छोटे बड़े हर काम के लिए अपने र्पाटनर पर निर्भर करती है। उन्हें आत्मनिर्भर होना चाहिए। इससे पार्टनर उनकी वेल्यू को समझने लगते हैं। फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट बनने से चीजों के महत्व को समझने लगते हैं। इससे र्पाटनर के व्यवहार में परिवर्तन खुद ब खुद नज़र आने लगता है।

*डॉक्टर से सलाह लें :*

पार्टनर का व्यवहार बॉसी होने पर डॉक्टर से भी संपर्क कर सकते हैं। इससे पर्सनैलिटी डिसऑडर्र की जानकारी मिल सकती है। साथ ही व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए कुछ वक्त योग और मेडिटेशन के लिए भी निकालना आवश्यक है। सब उपाय फेल होते नज़र आएं तो उससे डिस्कनेक्ट हो लें.

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