Site icon अग्नि आलोक

मंहगाई की मार हो या सेक्युलरिज्म से बचना है तो सरकार को राखी बांधिए

Share

राकेश अचल

मंहगाई की मार हो या करों का आतंकवाद , कोविड का बुखार हो या केसरिया सेक्युलरिज्म इन सबसे बचना है तो 19 अगस्त को शुभ मुहूर्त में आप अपने देश की,अपने सूबे की सरकार को राखी बांधिए और प्रार्थना कीजिये कि सरकार आपके राखी बंधन को निभाए। अब तमाम समस्याओं से बचने का और कोई विकल्प बचा नहीं है, क्योंकि देश के बड़के भैया ने ऐलान कर दिया है कि इस बार भले ही भाजपा की सरकार बैशाखियों पर टिकी है लेकिन भाजपा अगले 35 साल देश पर राज करेगी। बड़के भैया की भविष्यवाणी सुनकर,पढ़कर मै कल से लगातार प्रार्थना कर रहा हूँ कि भगवान यदि किसी को भाई दे तो बड़के भैया जैसा दे। बड़के के बड़के तो केवल फेंकने के लिए मशहूर [ बदनाम ] थे, किन्तु बड़के भैया तो डींग मारने में दो कदम आगे निकल गए। बड़के भैया ने और उनकी पार्टी ने 4 जून को लोकसभा के नतीजे आने के बाद नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को राखी बांधकर भाई बनाया था ,अब बारी आपकी है। क्योंकि अगले 35 साल में मोशा और उनकी पार्टी की सरकार रही तो आपका क्या होगा ,आप ही जानें ? मै तो कुछ बता नहीं सकता ,क्योंकि मुझे अभी तक कोई ऐसा ज्योतिषी नहीं मिला है जो आने वाले 35 साल की सियासत की भविष्यवाणी कर सके। पिछली 15 तारीख को लाल किले की प्राचीर से भारत भाग्यविधाता ने कहा कि देश की महिलाओं की सुरक्षा बहुत बड़ा मुद्दा है ,सचमुच बड़ा मुद्दा है। हमें इसके प्रति संवेदनशील रहना चाहिए,लेकिन ये मुद्दा बड़ा बना बंगाल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्स्क के साथ सामूहिक और नृशंस बलात्कार की घ्रणित वारदात के बाद। इससे पहले इसी देश में वर्ष 2023 में 25 हजार बलात्कार की वारदातें हुईं लेकिन सरकार को ये समस्या बड़ी नहीं लगी ,क्योंकि ये सब सियासत के रंग में रंगी नहीं थी। इस वारदात के बाद देश के डाक्टर हड़ताल पर हैं ,लगता है जैसे सारे पीड़ित इसी वर्ग से आते हैं। डाक्टरों की हड़ताल मुझे सत्ता प्रतिष्ठान प्रेरित लगती है ,आपको लगती है या नहीं ये अलग बात है । हमारे हाईकोर्ट ने तो डाक्टरों की हड़ताल को तत्काल समाप्त करने को कहा है ,क्योंकि बंगाल में सामूहिक बलात्कार से एक बदनसीब महिला डाक्टर की मौत हुई थी किन्तु डाक्टरों की हड़ताल की वजह से देश में सैकड़ों लोग चिकित्सा के अभाव में कालकवलित हो गए। देश में दस साल से मोशा की सरकार है इसलिए देश के किसी भी हिस्से में होने वाला कोई भी महिला उत्पीड़न राज्य की सरकारों के साथ ही देश की सरकार के हिस्से में भी दर्ज किया जाना चाहिये । देश में महिलाओं के साथ ज्यादती के मामलों में निर्भया कांड के बाद लिए गए फैसलों का क्या हुआ ? क्यों नहीं शत-प्रतिशत आरोपियों को सजा हुई । क्यों सजा पाने वाले केवल 27-28 फीसदी ही लोग हैं ? साफ़ जाहिर है कि हमारा सिस्टम ,हमारी न्यायपालिका,हमारी सरकार इसके लिए दोषी है। अकेली ममता बनर्जी नहीं। मणिपुर में जब महिलाओं के साथ सरेआम ज्यादतियां हो रहीं थीं तब लालकिले की प्राचीर से महिला उत्पीड़न पर टसुए बहाने वाले कहाँ थे ? बहरहाल मै रक्षाबंधन पर वापस आता हूँ। देश की महिलाओं की ,खासतौर पर बहनों की रक्षा केवल कलाई पर राखी बाँधने से होने वाली नहीं है। बहनों को चाहिए की वे सरकार की कलाई पर राखी बांधें क्योंकि उनकी सुरक्षा का असल जिम्मा सरकार का है ,सरकारों का है। सिस्टम का है। पुलिस का है। अदालतों और वकीलों का है। हमारे यहां कल तक रक्षाबंधन बाजार नहीं था ,त्यौहार था । हमने रेशम के धागे की राखियां अपनी कलाई पर खूब बँधवाईं है। हम अपने गुरु के साथ पूरे बाजार में दुकानदारों को राखी बांधकर त्यौहार मानते थे । जात-पात नहीं देखते थे। तब एक रूपये में रेशमी राखी एक दर्जन आतीं थीं। अब एक राखी कम से कम दस रूपये की और ज्यादा से ज्यादा पता नहीं कितने की आती है। अब राखी चाकलेटों,जेवरों,कपड़ों का त्यौहार हो गया है। राखी न जानें कहाँ छिप गयी है । राखी के दुर्दिन हैं शायद । अन्यथा राकाही में तो वो ताकत थी की मुगल शासक तक उसके बंधन में बांध जाते थे। हमने और आपने बचपन में राखी और धर्म बहनों की अनेक कहानियां पढ़ी और सुनीं होंगी। राखी का किस्सा हमें त्रेता में सुनने को नहीं मिलता लेकिन द्वापर में कहते हैं कि जब कृष्ण की ऊँगली सुदर्शन चक्र से कट गयी थी तब द्रोपदी ने अपनी साडी का सिरा फाड़कर कृष्ण की ऊँगली पर बाँध कर अपने प्रेम का प्रदर्शन किया था और बदले में चीर हरण के समय कृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा की थी । किस्सा सनातन है इसलिए भरोसा कीजिये कि रक्षाबंधन का श्रीगणेश इसी घटना से हुआ होगा। अब किलयुग है । कलियुग में सरकार भाई है और रियाया बहनें। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री ,मंत्री तक जनता से राखियां बंधवाते हैं । हमारे मध्यप्रदेश में तो लाड़ली बहनों को मुख्य्मंत्री डॉ मोहन यादव ने इस बार 500 रूपये का नेग सीधे खाते में डलवा दिया है ,फिर भी बहनों को मिटटी में ज़िंदा दफन करने की वारदातें होतीं हैं। दिल्ली में महिला पहलवानों के साथ बाहुबली नेता ज्यादती कर गुजरते हैं। लेकिन देश का रोम नहीं फड़कता। महिलाओं के साथ ज्यादती तभी मानी जाती है जब वो किसी गैर भाजपा शासित सूबे में हो। राखी है तो राखी की बात करते है। हमारे पंडित जी ने कहा है की कल 19 अगस्त को रक्षाबंधन पर दोपहर 1.30 बजे तक भद्रा रहेगी। इस कारण राखी बांधने का मुहूर्त 1.30 बजे के बाद ही शुरू होगा। रक्षाबंधन पर भद्रा के अलावा मुहूर्त के लिए चौघड़िया, लग्न या किसी भी तरह का विशेष काल नहीं देखा जाता है।भद्रा खत्म होने के बाद से सूर्यास्त तक बहनें कभी भी अपने भाइयों को राखी बांध सकती हैं। वैसे तो रात में रक्षाबंधन करने का विधान किसी ग्रंथ में नहीं है, लेकिन किसी वजह से दिन में रक्षाबंधन नहीं मना पा रहे तो सूर्यास्त के बाद भी राखी बांधने की परंपरा है। मेरा मानना है कि राखी बाँधने का कोई मुहूर्त नहीं होता । बहनें जब अपने आपको असुरक्षित समझें उसी क्षण सरकार को ,थानेदार को मंत्री को ,नेता को राखी बाँध दें । बेहतर हो की महिलाएं राखियां अपने पर्स में हमेशा रखें। क्योंकि आज के युग में राखी ही उन्हें बचा सकती है । सरकार का तो बूता है नहीं उनकी सुरक्षा करने क। सरकार नारी शक्ति वंदन के लिए क़ानून बना सकती है लेकिन नारियों की शक्ति की वंदना करने के बजाय यदि वे सियासत में हैं तो उनका मान-मर्दन जरूर कर सकती है। सभी दल ऐसा करते हैं। भाजपा आजकल ज्यादा कर रही है।हमरी न मानो तो बसुंधरा दीदी से बूझ लीजिये। इसलिए राखी की सबसे ज्यादा जरूरत भाजपा नेताओं को है।

Exit mobile version