~ अमृता शर्मा (कोलकाता)
संयोजिका : चेतना मिशन
दुनिया का तो काम ही है कहना :
संसार को राजी नही कर सकते।
ऊपर देखकर चलोगे तो कहेंगे… “अभिमानी हो गए।”
नीचे देखकर चलोगे तो कहेंगे… “बस किसी के सामने देखते ही नहीं।”
आंखे बंद कर दोगे तो कहेंगे कि… “ध्यान का नाटक कर रहा है।”
चारो ओर देखोगे तो कहेंगे कि… “निगाह का ठिकाना नहीं। निगाह घूमती ही रहती है।”
और परेशान होकर आंख फोड़ लोगे तो यही दुनिया कहेगी कि… “किया हुआ भोगना ही पड़ता है।”
👁ईश्वर को राजी करना आसान है,
लेकिन संसार को राजी करना असंभव है।
दुनिया जो कहेगी, उस पर ध्यान दोगे तो-
आप अपना ध्यान नहीं ऱख पाओगे…।
-जिंदगी से हार जाओगे : तब भी दुनिया कहना नहीं बंद करेगी।
तब कहेगी- “राम नाम सत़्य!”
आपके लिए कुछ भी असम्भव नही है. ‘बस चाह सच्ची होनी चाहिए. अगर आपकी चाह अपाहिज नहीं है, तो राह देगी. राह मंज़िल देगी. केवल चाह को ईमानदार बना लें, कायनात सपोर्ट करेगी.